कोण्डागांव

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
फरसगांव/केशकाल, 10 अगस्त। विकासखण्ड माकड़ी के अंतर्गत ग्राम पंचायत कोसाहरदुली अंतर्गत तारगांव (रांधना) निवासी श्रवण कुमार नेताम का चयन छत्तीसगढ़ राज्य लोक सेवा के द्वारा इतिहास विषय पर सहायक प्राध्यापक में होने से परिवार सहित उनके शुभचिंतक ईष्ट मित्रों एवं क्षेत्र वासियों ने हर्ष का माहौल है।
श्रवण कुमार नेताम इसलिए चर्चा में हैं क्योंकि इस मंजिल तक पहुंचने के लिए उन्होंने एक लंबा और संघर्ष से भरा सफर तय किया। एक समय ऐसा था जब उन्हें ढाबे में काम कर के अपना परिवार चलाने के साथ-साथ कापी पुस्तकों के लिए धन इक_ा करना पड़ता था।
श्रवण कुमार नेताम अपने जीवन के संघर्ष के बारे में बताया कि उनका जन्म अत्यंत गरीब परिवार में हुआ था, बचपन में कक्षा 05 वीं में पढ़ते समय ही उनकी माँ का देहांत हो गया था। सबसे बड़े भाई होने के नाते एक भाई और दो बहनों की पूरी पारिवारिक जिम्मेदारी उनकी कंधो में आ गई, मां के गुजरने के बाद से लेकर कॉलेज तक का सफर उनके लिए काफी संघर्षपूर्ण रहा, रोज सबके लिए खाना बनाना, पढऩा, स्कूल जाना और साथ में कॉपी पुस्तक खरीदने के लिए श्रम करना। एक समय ऐसा आ गया था 10वीं के बाद उन्हें ढाबे में काम करना पड़ा।
इन परिस्थितियों के बावजूद उनकी रिजल्ट प्रतिवर्ष सन्तोषजनक रहा। जो हमेशा आगे बढऩे के लिए प्रेरित किया। स्नातक पूरी होने के बाद उनकी डाटा इंट्री ऑपरेटर फिर उसके बाद सहायक ग्रेड 03 में जॉब लगा तो परिस्थिति में थोड़ा सुधार हुआ। उन्होंने जॉब में आने के बाद 2014 से राज्य सेवा परीक्षा की तैयारी करना प्रारंभ किया। यह दौर भी चैलेंजिंग रहा, जॉब के साथ तैयारी करने में टाइम मैनेजमेंट भारी दिक्कत करता है फिर भी उन्होंने 2014 की राज्य सेवा परीक्षा प्रारम्भिक/मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण करके साक्षात्कार के लिए चयन हुआ। तब से लेकर राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा हर वर्ष उत्तीर्ण करते हुए तीन बार साक्षात्कार के लिए चयन हुआ था जो उनके लिए प्रेरणास्रोत रहा। सहायक प्राध्यापक पद में आने का मुख्य कारण अपने ज्ञान में वृद्धि करते हुए लोगों में इतिहास के प्रति सकारात्मक वातावरण निर्मित करना एवं छात्र छात्राओं को कंपटीशन एग्जाम का तैयारी करवाते हुए प्रेरित करना है।
मेरा जीवन उन युवाओं के लिए प्रेरणा बने जो सफलता पाने के लिए संघर्ष करते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि मैं चाहता था कि मेरा जीवन उन युवाओं के लिए प्रेरणा बने जो सफलता पाने के लिए संघर्ष करते हैं। वे 2016 में चयन हुए प्रतिभागियों से प्रेरित हुआ साथ ही सभी प्रतियोगिता परीक्षार्थियों को यह संदेश देना चाहता है कि आप जिस किसी पद के लिए तैयारी कर रहे हैं उसमें निरंतरता होना बहुत जरूरी है यदि कभी असफल होते हैं तो उसे अनदेखा करते हुए सफलता के प्रति सकारात्मक सोच रखते हुए तैयारी में निरंतरता बनाए रखें। सफलता एक दिन जरूर मिलेगी।
सफलता का श्रेय
श्रवण कुमार अपने सफलता का श्रेय केतन भोयर सर नायब तहसीलदार ओरछा, स्व. फरसू राम मरकाम शिक्षक, फूलसिंह मरकाम एवं उनके गुरुजनों, परिवार, ईष्ट मित्रों को दिया जिनके बदौलत आज उन्होंने यह मुकाम हासिल की है। उनकी इस सफलता के लिए सभी ने उन्हें शुभकामनाएं दी।