कवर्धा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बोड़ला, 2 सितंबर। पोला के अवसर पर शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला बोड़ला में बालक - बालिकाओं का गेड़ी दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें 6वीं 7वीं 8वीं तीनों ही क्लास के बालक - बालिकाओं ने काफी उत्साह के साथ इस प्रतियोगिता में भाग लिया ।
इसमें बालक वर्ग से छठवीं से प्रिंस हठीले, कक्षा सातवीं में सूर्यप्रकाश आठवीं में निकेश धुर्वे , बालिका वर्ग में डिंपल धुर्वे, हेमलता और गायत्री तिलगाम ,काजल पटेल प्रथम रही ।
इस बीच शाला प्रबंधन समिति के पूर्व अध्यक्ष दीपक माग्रे शिक्षक सगनू धुर्वे, रामकुमार डहरिया, शिक्षिका उमा विश्वकर्मा व पूनाराम पनागर के द्वारा खेल को सम्पन्न कराया गया।
पोला त्यौहार के बारे में जानकारी देते हुए शिक्षक पूनाराम पनागर ने बताया कि पोला त्यौहार भादो माह की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बैलों का श्रंगार कर इनको पूजा की जाती है और बच्चे मिट्टी के बैल चलाते हैं और इस दिन बैल दौड़ का भी आयोजन क्षेत्र में किया जाता है , साथ ही सबसे महत्वपूर्ण इस दिन गेड़ी का विसर्जन किया जाता है।
इसके मनाए जाने के विषय में जानकारी देते हुए दीपक माग्रे ने बताया कि किसानों के लिए यह पर्व विशेष महत्व रखता है पोला के दिन बैलों की पूजा कर सुख-शांति का शुभकामना करते हैं जहां घरों में बैलों की पूजा होती है वही लोग ठेठरी खुरमीसोहारी पपड़ी का भी लुफ्त उठाते हैं छत्तीसगढ़ में इस त्यौहार की धूम गांव से लेकर शहर तक होती है विधि विधान से पूजा अर्चना के बाद लकड़ी और मिट्टी से बैल चलाने की परंपरा है।
उन्होंने आगे बताया कि विष्णु भगवान जब कान्हा के रूप में धरती में आए थे, तब जन्म से ही उनके कंस मामा उनकी जान के दुश्मन बने हुए थे।
कान्हा जब छोटे थे और वासुदेव यशोदा के यहां रहते थे, तब कंस ने कई बार कृष्ण को मारने भेजा था। इस बार कंस ने पोला नामक असुर को भेजा था इसे भी कृष्ण ने अपनी लीला के चलते मार दिया था और सबको अचंभित कर दिया था। वह दिन भादो की अमावस्या का दिन था, इस दिन से ही इस दिन को पोला कहा जाने लगा