कवर्धा

8 साल पुराने डॉक्टर दंपति हत्याकांड का खुलासा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कवर्धा, 7 जुलाई। कबीरधाम पुलिस ने 8 साल पुराने डॉक्टर दंपति हत्याकांड का पर्दाफाश किया और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस के अनुसार राजनांदगांव के आईजी अभिषेक शांडिल्य के निर्देशन में कबीरधाम जिले में वर्षों से लंबित व अंधे हत्याकांडों की गहन समीक्षा जारी थी। इसी दिशा में पुलिस अधीक्षक धर्मेन्द्र सिंह ने डॉक्टर दंपति की रहस्यमयी हत्या को सर्वोच्च प्राथमिकता पर लिया और स्वयं पूरे प्रकरण की निगरानी की।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पुष्पेन्द्र बघेल एवं पंकज पटेल के समन्वय में तथा एसडीओपी बोड़ला अखिलेश कौशिक एवं एसडीओपी कवर्धा कृष्णा कुमार चंद्राकर के पर्यवेक्षण में एक विशेष जांच टीम गठित की गई। टीम ने वर्ष 2017 के इस बहुचर्चित दोहरे हत्याकांड की परत-दर-परत जांच करते हुए अंतत: उस रहस्य से पर्दा उठा दिया, जो वर्षों से पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ था।
6 अप्रैल 2017 को शहर के प्रतिष्ठित चिकित्सक डॉ. गणेश सूर्यवंशी एवं उनकी पत्नी डॉ. उषा सूर्यवंशी का शव उनके निवास के आंगन में रक्तरंजित अवस्था में मिला था। प्रारंभिक जांच में यह दोहरा हत्याकांड प्रतीत हुआ, किंतु किसी ठोस सुराग के अभाव में मामला अंधकार में चला गया।
पुन: विवेचना के दौरान यह तथ्य सामने आया कि आरोपी सत्यप्रकाश साहू, पूर्व में डॉक्टर दंपति का ड्राइवर रह चुका था और उसने डॉक्टर को लगभग 1.80 लाख रुपये उधार दिए थे। कुछ दिन पूर्व ही थाना कवर्धा में एक व्यक्ति द्वारा उसके विरुद्ध ब्लैकमेलिंग की शिकायत दर्ज कराई गई थी, जिससे वह पुलिस पूछताछ के डर से गंडई भाग गया था।
पैसों की तंगी से जूझता आरोपी गंडई से कवर्धा लौटा और डॉक्टर से उधार की राशि मांगने गया। उसी दौरान वह उनके घरेलू झगड़े का साक्षी बन गया, जो कि पूर्व में भी कई बार पड़ोसियों द्वारा देखी-सुनी गई थी।
बयान के अनुसार, विवाद इतना बढ़ा कि डॉक्टर ने दरवाजा रोकने वाले भारी पत्थर से अपनी पत्नी के सिर पर वार कर दिया। पत्नी ने जवाबी हमले में छोटे पत्थर से डॉक्टर पर प्रहार किया। घायल पत्नी जब जमीन पर गिरी, तो डॉक्टर ने फिर से वार कर उसकी हत्या कर दी।
यह सब देखकर सत्यप्रकाश घबरा गया। उसे डर हुआ कि डॉक्टर उसे भी मार सकता है। इसी भयवश उसने डॉक्टर को धक्का देकर गिराया और फिर पत्थर से वार कर उसकी भी हत्या कर दी।
हत्या के पश्चात आरोपी ने कमरे में फैले खून के धब्बे साफ किए, शवों को आंगन तक खींचकर रखा और रातभर प्रतीक्षा करता रहा। सुबह लगभग 5 बजे वह जेवदन रोड की ओर से निकलकर बस से दुर्ग चला गया। जाते समय डॉक्टर का एक मोबाइल अपने साथ ले गया, जिसे गंडई में 1900 रुपये में गिरवी रखा।
5 अप्रैल को वह पुन: कवर्धा लौटा और डॉक्टर के घर के बाहर जाकर देखा कि अभी भी घटना के बारे में किसी को पता नहीं चला है। 6 अप्रैल को जब पुलिस को घटना की जानकारी मिली, तब भी आरोपी मौके पर पहुंचा था और भीड़ में शामिल होकर परिस्थिति का जायजा ले रहा था।
कबीरधाम पुलिस द्वारा पुन: वैज्ञानिक आधारों पर साक्ष्यों का विश्लेषण किया गया, जिसके आधार पर संदेश के रूप में सत्यप्रकाश का नाम सामने आया जिसके आधार पर 14 घंटे की गहन मनोवैज्ञानिक पूछताछ की गई। अंतत: आरोपी ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया।
यह प्रकरण जिले का सबसे जटिल और चुनौतीपूर्ण दोहरा हत्याकांड था, जिसे कबीरधाम पुलिस ने तकनीकी दक्षता, वैज्ञानिक विवेचना एवं मानसिक धैर्य से सुलझाया।
मामले के खुलासे में महत्वपूर्ण सुराग देने अथवा आरोपी की गिरफ्तारी में सहयोग हेतु पुलिस महानिरीक्षक अभिषेक शांडिल्य द्वारा 30 हजार रुपये एवं पुलिस अधीक्षक धर्मेन्द्र सिंह द्वारा 10 हजार रुपये के ईनाम की घोषणा की गई थी। उक्त मामले को निकल करने में थाना प्रभारी कोतवाली निरीक्षक लालजी सिन्हा साइबर प्रभारी निरीक्षक मनीष मिश्रा, उप निरीक्षक संतोष ठाकुर, एएसआई बंदे सिंह मरावी, चंद्रकांत तिवारी ॥ष्ट वैभव कल्चुरी, चुम्मन साहू, आरक्षक लेखा चंद्रवंशी,अमित सिंह, गज्जू सिंह, धर्मेन्द्र मरावी के साथ साथ थाना कोतवाली और सायबर के टीम का विशेष योगदान रहा।