जशपुर

सुप्रीम कोर्ट ने महिला सरपंच को किया बहाल
15-Nov-2024 5:47 PM
सुप्रीम कोर्ट ने महिला सरपंच को किया बहाल

  सोनम ने कहा- सत्य की जीत  

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

जशपुरनगर, 15 नवंबर। सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले की साजबहार की महिला सरपंच सोनम लकड़ा को उनके पद से हटाने के आदेश को रद्द करते हुए राज्य सरकार पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने सरपंच को अनुचित रूप से परेशान करने और उनके खिलाफ मनमानी कार्रवाई करने वाले अधिकारियों की जांच के निर्देश भी दिए हैं। यह फैसला जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने सुनाया, जिसमें उन्होंने अधिकारियों की सरपंच के प्रति अनुचित व्यवहार पर नाराजगी जताई और उन्हें कड़ी फटकार लगाई।

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ज्ञात हो कि जशपुर जिले फऱसाबहार के साजबहार की सरपंच सोनम लकड़ा को रीपा के कार्य को समय सीमा तीन महीने के अंदर नहीं कराने के कारण अनुविभागीय अधिकारी फरसाबहार ने 18 जनवरी को पद से हटाने का आदेश दिया था, जिसे सरपंच ने हाईकोर्ट बिलासपुर में अधिवक्ता मनोज चौहान के माध्यम से चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी।

 इसके बाद सरपंच ने उच्च न्यायालय का आदेश व अनुविभागीय अधिकारी के आदेशों को अधिवक्ता मनोज चौहान, मनीष गुप्ता, के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ शासन को फटकार लगाई और कहा अनुसूचित एरिया के चुनी हुई महिला जनप्रतिनिधि को इस तरह नहीं निकाला जा सकता।þ

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सुप्रीम कोर्ट ने प्रथम दृष्टया दोनों कोर्ट के आदेश को दोषपूर्ण मानते हुए सभी कोर्ट के आदेशों को पलटते हुए ग्राम पंचायत सरपंच के रूप में कार्यकाल समाप्त होते तक लगातार कार्य करने का आदेश दिया है साथ ही छत्तीसगढ़ शासन को चार सप्ताह के भीतर सरपंच को परेशान करने के एवज में एक लाख रुपए मुआवजा देने का भी आदेश दिया है, और साथ ही जिन अधिकारियों ने ऐसा किया, जांच कर मुआवजा राशि उस अधिकारी से वसूलने का भी आदेश  है।

अपनी याचिका में सरपंच ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि उन्हें हटाने के पूर्व प्राकृतिक न्याय का पालन नहीं किया गया है तथा उन्हें उचित सुनवाई का अवसर नहीं दी गई है, पंचायत के किसी भी निर्माण कार्य के लिए सिर्फ सरपंच ही जिम्मेदार नहीं होता है।

इस संबंध में ‘छत्तीसगढ़’ ने  साजबहार की सरपंच सोनम लकड़ा से बात की। सरपंच का कहना है -मुझ पर कोई वित्तीय अनियमितता और न ही कोई घोटाले का आरोप था। मुझे लगता है कि किसी राजनीतिक दबाव के कारण मुझे निकाला गया था, परंतु सत्य की जीत हुई है। मंै सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद देती हूं।

जनप्रतिनिधियों का हौसला बढ़ेगा

इस संबंध में ‘छत्तीसगढ़’ ने जिला पंचायत सदस्य विष्णु कुलदीप व अधिवक्ता से बात की। उन्होंने कहा ये मामला सरकार पर सुप्रीम कोर्ट का जोरदार तमाचा है। राज्य में अधिकारी-कर्मचारी बेकाबू है। नियम कानून को ताक पर रखकर आदेश करते हैं। इस आदेश के बाद ग्रामीण क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों का हौसला बढ़ेगा। इस आदेश के बाद ऐसे अधिकारियों को सबक लेना चाहिए जो आकाओ को खुश करने के लिए कुछ भी आदेश कर जाते हैं।


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