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विपक्षी नेता बोले, अमेरिका को तानाशाही की तरफ धकेल रहे ट्रंप
22-Sep-2025 9:55 PM
विपक्षी नेता बोले, अमेरिका को तानाशाही की तरफ धकेल रहे ट्रंप

अमेरिका में डेमोक्रैटिक पार्टी के शीर्ष नेताओं ने चेतावनी दी है कि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का अपने सियासी विरोधियों के पीछे पड़ने का रवैया देश को तानाशाही की तरफ धकेल रहा है.  

अमेरिकी संसद के ऊपरी सदन 'सीनेट' में विपक्षी डेमोक्रैटिक धड़े के प्रमुख चक शूमर ने सीएनएन चैनल पर एक इंटरव्यू में कहा कि ट्रंप देश के न्याय विभाग को "ऐसा औजार बना रहे हैं जो उनके दुश्मनों को निशाना बनाता है, चाहे वे गुनहगार हों या ना हों. और ज्यादातर तो बिल्कुल बेगुनाह हैं, और इससे उनके दोस्तों को फायदा होता है. यह तानाशाही का रास्ता है. तानाशाह यही काम करते हैं."  

इससे पहले शनिवार, 20 सितंबर को एक सोशल मीडिया पोस्ट में "पैम" (अटॉर्नी जनरल पैम बॉन्डी) को संबोधित करते हुए ट्रंप ने नाराजगी जताई कि कैलिफोर्निया से डेमोक्रैटिक पार्टी के सीनेटर एडम शिफ और न्यूयॉर्क की डेमोक्रैटिक अटॉर्नी जनरल लेटीशिया जेम्स के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं हुई. शिफ और जेम्स उन चंद लोगों में से हैं जिन पर ट्रंप के करीबी सहयोगी और फेडरल हाउसिंग फाइनेंस एजेंसी के डायरेक्टर बिल पुल्टे ने कर्ज के मामले में फर्जी कागजात बनाने का आरोप लगाया है. ट्रंप ने आगे लिखा, "अब और देर नहीं कर सकते, यह हमारी साख और विश्वसनीयता को खत्म कर रहा है."

अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री और राष्ट्रपति पद के लिए ट्रंप को चुनौती दे चुकीं हिलेरी क्लिंटन ने भी शूमर की आलोचना को दोहराते हुए ट्रंप के कदमों को "हमारी सियासत में बेहद खतरनाक मोड़" बताया.

बीते वर्षों में एडम शिफ और लेटीशिया जेम्स अलग-अलग मौकों पर ट्रंप से भिड़ चुके हैं और उन्होंने ऐसी जांचें चलाईं जिन्हें ट्रंप ने सियासी "विच हंट" यानी राजनीति से प्रेरित कार्रवाई बताया. ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान, शिफ ने अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रेसेंटेटिव (निचले सदन) के सदस्य के रूप में राष्ट्रपति के खिलाफ पहले महाभियोग की अगुवाई की थी. यह महाभियोग इस बात पर आधारित था कि उन्होंने 2020 के चुनाव में छेड़छाड़ करने के लिए यूक्रेन पर दबाव डाला.  

वहीं वाइट हाउस छोड़ने के बाद, लेटीशिया जेम्स ने उनके खिलाफ धोखाधड़ी का बड़ा मामला चलाया. आरोप था कि ट्रंप और उनकी कंपनी ने गैर-कानूनी तरीके से अपनी दौलत को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया और संपत्तियों की कीमतों को जान-बूझकर बदला ताकि बैंकों से फायदेमंद कर्ज या बेहतर बीमा शर्तें हासिल की जा सकें. एक राज्य जज ने उस केस में ट्रंप को 46.4 करोड़ डॉलर चुकाने का आदेश दिया था. बाद में एक उच्च अदालत ने वित्तीय जुर्माना हटा दिया, हालांकि मूल फैसले को बरकरार रखा था.(www.dw.com)


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