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जेसिंडा अर्डर्न: पीएम पद छोड़ने का एलान करते हुए क्या कहा जो मिसाल है
19-Jan-2023 2:13 PM
जेसिंडा अर्डर्न: पीएम पद छोड़ने का एलान करते हुए क्या कहा जो मिसाल है

wikipedia photo


न्यूज़ीलैंड, 19 जनवरी । न्यूज़ीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न ने कहा है कि अगले महीने वो प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफ़ा देंगी.

ये घोषणा करते हुए उनका गला भर आया कि छह साल तक इस 'चुनौतीपूर्ण' पद को संभालने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की है. उन्होंने कहा कि इसके बाद अब अगले चार साल में उनके पास योगदान देने के लिए कुछ ख़ास नहीं बचा है. इसलिए अब वो अगला चुनाव नहीं लड़ेंगी.

उन्होंने कहा कि सात फ़रवरी तक वो लेबर पार्टी की नेता के पद से इस्तीफ़ा दे देंगी जिसके बाद आने वाले दिनों में उनके उत्तराधिकारी को चुनने के लिए वोटिंग होगी.

न्यूज़ीलैंड में इस साल 14 अक्टूबर को आम चुनाव होने हैं.

42 साल की जेसिंडा ने कहा कि गर्मी की छुट्टियों के दौरान उन्होंने अपने भविष्य की योजनाओं के बारे में सोच-विचार किया.

उन्होंने कहा, "मैंने उम्मीद की थी कि मुझे अपना बचा हुआ कार्यकाल पूरा करने की कोई वजह मिलेगी, लेकिन दुख की बात है कि ऐसा नहीं हुआ. अगर मैं अब भी अपने पद पर बनी रहती हूं तो इससे न्यूज़ीलैंड का नुक़सान होगा."

दुनिया की सबसे कम उम्र की महिला राष्ट्र प्रमुख बनी थीं

टीनेजर रहते हुए अर्डर्न देश की लेफ़्ट पार्टियों से जुड़ी थीं. वो देश की अंतिम वामपंथी प्रधानमंत्री हेलेन क्लार्क के कार्यालय में काम करती थीं. इसके अलावा वो ब्रिटेन में टोनी ब्लेयर की सलाहकार भी रही थीं.

वो अपने चुनाव अभियानों में समाज में फैली असामनताओं की बात किया करती थीं. राजनीति में उन्हें क्या खींचता है, इस पर बात करते हुए कभी अर्डर्न ने कहा था कि "भूख से संघर्ष करते बच्चे और बिना जूते के उनके पांव ने उन्हें राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया."

लेबर पार्टी के टिकट पर साल 2008 में संसद पहुंचीं अर्डर्न अगस्त 2017 में लेबर पार्टी की नेता चुनी गईं. हैमिल्टन में 1980 में जन्मी अर्डर्न साल 2017 में गठबंधन सरकार में न्यूज़ीलैंड की प्रधानमंत्री बनीं.

साल 2017 में 37 साल की उम्र में पीएम चुनी जाने वाली जेसिंडा अर्डर्न उस समय दुनिया में सबसे कम उम्र की महिला राष्ट्र प्रमुख बनी थीं. वो साल 1856 के बाद न्यूज़ीलैंड की सबसे युवा प्रधानमंत्री बनी थीं.

इसके एक साल बाद जून 2018 में वो दुनिया की दूसरी ऐसी राष्ट्राध्यक्ष बनीं जिन्होंने पद पर रहते हुए बच्चे को जन्म दिया.

उस वक्त एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, "मैं काम करने वाली और मां बनने वाली पहली महिला नहीं हूं. कई महिलाओं ने पहले भी ऐसा किया है."

उनसे पहले 1990 में पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो ने प्रधानमंत्री रहते हुए बेटी को जन्म दिया था. वह पद पर रहते हुए मां बनने वाली दुनिया की पहली नेता थीं.

2018 में उन्हें टाइम्स पत्रिका ने दुनिया के सबसे ताकतवर सौ नेताओं की लिस्ट में शामिल किया था.

अप्रैल 2019 में अर्डर्न ने अपने मंगेतर और लिव-इन पार्टनर क्लार्क गेफ़ोर्ड से शादी कर ली. क्लार्क पेशे से टीवी प्रेज़ेंटर हैं. दोनों लंबे वक़्त से रिश्ते में थे.

अक्तूबर 2020 में हुए चुनावों में उनकी पार्टी ने बहुमत हासिल किया जिसके बाद उनकी पार्टी ने 2020 में सरकार बनाई और अर्डर्न एक बार फिर प्रधानमंत्री बनीं.

चुनौती भरा कार्यकाल

अर्डर्न ने दुनिया भर की कामकाजी महिलाओं को यह संदेश दिया था कि नौकरी और ज़िम्मेदार पद पर रहते हुए भी एक महिला एक मां होने की ज़िम्मेदारी संभाल सकती है.

जुलाई 2017 में अर्डर्न का विपक्षी नेता के रूप में जब पहला दिन था तब वे एक टीवी शो में गई थीं. उस शो की होस्ट ने अर्डर्न से पूछा था कि वे करियर और बच्चे में से पहले क्या चुनेंगीं?

उस समय अर्डर्न ने कहा था, "यह एक महिला पर निर्भर करता है कि वह कब बच्चा चाहती है. यह तय नहीं करना चाहिए कि अगर वह नौकरी कर रही है तो उसे प्रेग्नेंट होने का अवसर नहीं मिलेगा."

अपने कार्यकाल में जेसिंडा ने कोरोना महामारी और इसके कारण आने वाली मंदी, क्राइस्टचर्च मस्जिद में हुई गोलीबारी और व्हाइट आइलैंड में ज्वालामुखी विस्फोट जैसी कई चुनौतियां देखीं.

उन्होंने कहा, "शांति के दौर में देश का नेतृत्व करना एक बात है, लेकिन संकट के दौर में ऐसा करना बड़ी चुनौती है. ये घटनाएं... मेरी परेशानी की वजह हैं क्योंकि ये बड़ी घटनाएं थीं, बेहद बड़ी घटनाएं और एक के बाद एक आती गईं. इस दौरान कोई वक्त ऐसा नहीं रहा जब मुझे लगा हो कि हम शासन का काम देख रहे हैं."

ओपिनियन पोल्स के अनुसार, साल 2020 में जेसिंडा अर्डर्न के नेतृत्व में लेबर पार्टी को भारी बहुमत से जीत मिली, लेकिन हाल के महीनों में देश के भीतर उनकी लोकप्रियता घटी है.

हालांकि इस पर अर्डर्न ने कहा कि लेबर पार्टी चुनाव नहीं जीतती इसलिए वो इस्तीफ़ा दे रही हैं ऐसा नहीं है, बल्कि इसलिए दे रही हैं ताकि पार्टी ज़रूर जीते. उन्होंने कहा, "हमें नया नेतृत्व चाहिए जो चुनौती ले सके."

भविष्य के लिए उम्मीदों वाला संदेश

पार्टी के डिप्टी अध्यक्ष ग्रांट रॉबर्टसन ने कहा है कि सोमवार को पार्टी नेतृत्व के लिए जो चुनाव होने वाला है उसमें वो उम्मीदवार के तौर पर उतरेंगे. चुनावों में अगर किसी एक उम्मीदवार को दो तिहाई सदस्यों का समर्थन नहीं मिल पाता, तो ऐसे में लेबर पार्टी का नेतृत्व ले मेम्बर के पास चला जाएगा. ले मेम्बर पार्टी की समिति में शामिल वो सदस्य होते हैं जो विधायक नहीं होते और सुचारू रूप के काम चलाए रखने के लिए ज़िम्मेदार होते हैं.

अर्डर्न के इस्तीफ़े की घोषणा के बाद ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंटोनी अल्बनीज़ ने उनके नेतृत्व की तारीफ़ की और उन्हें एक समझदार, मज़बूत और दरियादिल नेता बताया.

ट्विटर पर उन्होंने लिखा, "जेसिंडा न्यूज़ीलैंड के लिए एक मज़बूत आवाज रही हैं, वो मेरे लिए एक बढ़िया मित्र और कई लोगों के लिए प्रेरणा रही हैं."

संवाददाताओं से बात करते हुए अर्डर्न ने जलवायु परिवर्तन, सोशल हाउसिंग और बच्चों में ग़रीबी कम करने की अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनवाईं. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि देश के नागरिक उन्हें एक ऐसे नेता के तौर पर याद रखेंगे जिसने दयालु बने रहने की कोशिश की.

उन्होंने कहा, "मैं इस उम्मीद और विश्वास के साथ देश का नेतृत्व छोड़ रही हूं कि देश का नेता ऐसा हो जो नेकदिल होने के साथ मज़बूत हो, संवेदनशील होने के साथ फ़ैसले लेनेवाला हो, आशावादी हो और देश का काम एकाग्रता से करे और अपनी शख़्सियत की छाप छोड़े - और जिसे ये पता हो कि कब नेतृत्व छोड़ देना है." (bbc.com/hindi)


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