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पाकिस्तान के एक वरिष्ठ पत्रकार अरशद शरीफ़ की नैरोबी में पुलिस की गोली लगने से मौत हो गई है.
नैरोबी पुलिस ने इस वारदात को एक 'भूल' बताया है.
नैरोबी पुलिस ने सोमवार को कहा कि कीनिया में छिपकर रह रहे एक वरिष्ठ पाकिस्तानी पत्रकार की पुलिस की गोली लगने से मौत हो गई है.
पुलिस ने बताया कि नैरोबी के पास, रोडब्लॉक पर रुकने के बजाय उन्होंने गाड़ी रोकी नहीं, जिस कारण यह हादसा हुआ.
कीनिया पुलिस ने इस घटना पर दुख जताया है.
उन्होंने इसे एक 'मिस्टेकन-आइडेंटिटी' का मामला बताया है.
पुलिस ने बताया कि पुलिस-प्रशासन एक बच्चे के अपहरण के मामले में वैसी ही कार की तलाश कर रही थी. इसी क्रम में यह हादसा हुआ.
पुलिस का कहना है कि अपहरण के मामले में तलाशी के दौरान जब कार रोडब्लॉक पर भी नहीं रुकी तो कार की 'ग़लत पहचान' के कारण फ़ायरिंग की गई, जिसकी वजह से यह हादसा हुआ.
50 साल के अरशद शरीफ़ ने पाकिस्तान की सेना की आलोचना के बाद गिरफ़्तारी से बचने के लिए जुलाई में पाकिस्तान छोड़ दिया था.
वह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ़ की सरकार के भी आलोचक रहे थे.
अरशद की मौत पर पाकिस्तान के पीएम शाहबाज़ शरीफ़ ने दुख जताया है.सोमवार को उन्होंने कीनिया के राष्ट्रपति विलियम रुटो से भी बात की और उनसे यह सुनिश्चित करने की अनुरोध किया कि इस मामले की सही जांच हो.
नैरोबी पुलिस ने बताया कि अरशद शरीफ़ के सिर में गोली लगी थी. जिस समय यह हादसा हुआ उस कार में अरशद के साथ उनके भाई भी थे.
नैरोबी-मागाडी हाईवे पर पुलिस ने रोड-ब्लॉक लगाया था लेकिन उन्होंने अपनी कार नहीं रोकी. दोनों ने पुलिस के आदेश की अवहेलना करते हुए कार की गति और बढ़ा दी. जिसके बाद पुलिस ने गोली चलाई. अरशद की पत्नी ज़वेरिया ने कीनिया में अपने पति की हत्या की पुष्टि की है.
वहीं कार में अरशद के साथ सफर कर रहे उनके भाई की स्थिति के बारे में अभी तक कोई पुष्ट जानकारी नहीं है. (bbc.com/hindi)