अंतरराष्ट्रीय

रूसी मिसाइलों के अलावा, एक और हमले से लड़ते यूक्रेनी युवा
08-Mar-2022 5:13 PM
रूसी मिसाइलों के अलावा, एक और हमले से लड़ते यूक्रेनी युवा

-मारियाना स्प्रिंग

यूक्रेन पर रूस के हमले लगातार जारी है. इस बीच सोशल मीडिया पर ख़ुद के देश से जुड़ी गलत जानकारी और अराजकता से जुड़ी ख़बरों के बीच यूक्रेन में रह रहे एक युवा के लिए यह सब कैसा अनुभव है?

कैटरीन यूक्रेन की राजधानी कीएव में रहती थीं. उम्र सिर्फ़ 24 साल है. बीते गुरुवार कीएव में जब एक ज़ोरदार धमाका हुआ तो वो डरकर उठ गईं. इसके बाद जब उन्होंने सोशल मीडिया खोला तो उन्हें एक के बाद एक ऐसे अपडेट्स मिले जो वाकई डराने वाले थे.

उन्होंने मुझे बताया कि उस धमाके से जगने के बाद और सोशल मीडिया पर वो पोस्ट्स पढ़ने के बाद पहला काम जो उन्होंने किया वो ये कि उन्होंने अपने साथी के साथ फ़टाफ़ट अपना सामान बांधा और बेसमेंट में चली गईं. फिलहाल वह लवीएव से कुछ दूर अपने गृहनगर में हैं और अपने पुरुष मित्र, पड़ोसियों और अपने पालतू कुत्ते के साथ छिपी हुई हैं.

वह बताती हैं, "छिपने के बाद जब मैंने सोशल मीडिया देखा तो ये मेरे लिए डरावना था."

वह बताती हैं कि उनके इंस्टाग्राम फ़ीड में और स्टोरीज़ में यूक्रेन पर रूस के हमले से जुड़े ही पोस्ट्स थे. ज़्यादातर पोस्ट्स डराने वाली थीं. उनके दोस्तों ने भी कुछ फ़ैक्चुअल पोस्ट्स डाल रखी थीं. लेकिन सिर्फ़ फ़ैक्चुअल (तथ्यात्मक जानकारी) पोस्ट्स नहीं थीं. बहुत सी फ़ेक जानकारी भी मौजूद थी.

इंस्टाग्राम और टिकटॉक जैसे अकाउंट्स पर कई ऐसी पोस्ट्स थीं जिसमें दावा किया जा रहा था कि यूक्रेन-रूस के बीच छिड़ी जंग 'वास्तविक' नहीं है यह सिर्फ़ 'एक धोखा' है.

कैटरीन बताती हैं, "ऐसे ही एक अकाउंट को मैंने ब्लॉक कर दिया लेकिन उसे ब्लॉक करने के बाद, तुरंत ही एक दूसरी लड़की की प्रोफ़ाइल फ़ोटो के साथ एक दूसरे अकाउंट से मुझे मैसेज आने लगे. इस प्रोफ़ाइल से रूसी भाषा में लिखा जा रहा था."

ट्रोलर्स बहुत एक्टिव तौर पर काम कर रहे हैं. ख़ास बात यह है कि वे पूरे यूक्रेन में महिलाओं से अलग-अलग तरह से संपर्क भी कर रहे हैं.

टेलीग्राम पर अफ़वाहें
अलीना 18 साल की हैं. उन्हें भी कई ऐसी पोस्ट्स मिलीं, जिन्हें पढ़ने के बाद वो दहशत में आ गयीं. एक ऐसी ही पोस्ट में रूसी लोगों की तरफ़ से दावा किया गया था कि दक्षिण-पूर्वी यूक्रेन में ज़ैपोरिज़्ज़्या के आस-पास की जगह नष्ट होने वाली है. हालांकि ये अफ़वाहें झूठी थीं.

अलीना जिस समय मुझसे बात कर रही थीं, अपने बेडरुम में थीं. वह हर रात होने वाली हवाई फ़ायरिंग और हमलों से थक चुकी हैं.

मुझसे बात करते हुए उन्होंने कहा कि हमले से जो नुकसान हो रहा है वो तो है ही, लेकिन चैट-ऐप्स जैसे टेलीग्राम और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर फैली अफ़वाहें भी दहशत पैदा कर रही हैं.

वह कहती हैं, "रूसी लोग ख़ासतौर पर हमारी चैट खोजते हैं और फिर हमें लिखते हैं कि कहीं विस्फ़ोट हो रहा है. कोई लिखता है कि फलां जगह पर बम विस्फ़ोट की सूचना है तो कुछ लोग उस जानकारी को झूठ बताते हैं."

उन्होंने टेलीग्राम पर एक और वीडियो देखा था, जिसमें बताया गया कि उनके गृहनगर में एयरपोर्ट के पास बम विस्फ़ोट हुआ है. लेकिन यह विस्फ़ोट उनके गृहनगर में नहीं बल्कि मारियुपोल में हुआ था.

मार्टा 20 साल की हैं. और फिलहाल वो ब्रिटेन में फंसी हुई है. वो यहां अपने दोस्तों से मिलने आयी थीं और तभी युद्ध छिड़ गया. वह बताती हैं कि उन्होंने सीरिया और इराक के वीडियो देखे हैं जिन्हें यूक्रेन का बताकर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया है.

वह कहती हैं कि टिकटॉक और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर पोस्ट किये गए इन वीडियोज़ की वजह से वो डरी हुई हैं और कुछ हद तक नाराज़ भी.

ट्रोलर्स का मुक़ाबला
जिन तीनों महिलाओं से हमने बात की उनका कहना है कि वे युद्ध की इस स्थिति में ख़ुद को एक और युद्ध से भी जूझते हुए पा रही हैं. एक ऐसा युद्ध जो सोशल मीडिया पर जारी है और जिसकी कोई सीमा नहीं है.

मार्टा कहती हैं, "सोशल मीडिया पर बहुत सी ऐसी पोस्ट्स हैं जिनमें यूक्रेन को झूठा कहा गया है."

मार्टा
कुछ वीडियो ऐसे भी हैं जिनमें इस युद्ध के लिए यूक्रेन को ही ज़िम्मेदार ठहराया गया है और रूस का महिमामंडन कर रखा गया है. कुछ वीडियो में ये दावा किया गया है कि ये युद्ध की स्थिति जानबूझकर चुनी गयी है.

मार्टा कहती हैं, "मैंने जब उन अकाउंट्स की पड़ताल की तो पाया कि ना ही उनके कोई फ़ॉलोवर्स थे और ना ही वे किसी को फ़ॉलो करते थे. कोई प्रोफ़ाइल जानकारी भी नहीं. सिर्फ़ रूस का झंडा मिला, जिसे उन्होंने प्रोफ़ाइल पिक्चर के तौर पर लगा रखा था."

फ़ेक जानकारी
वो एक ऐसे ही अकाउंट का ज़िक्र करते हुए कहती हैं कि 'जेस' नाम के एक अकाउंट से इसी तरह का कंटेंट पोस्ट किया गया था. उस अकाउंट का सिर्फ़ एक फ़ॉलोवर था. उस अकाउंट से सिर्फ़ एक ही वीडियो भी पोस्ट किया गया था. ये वीडियो भी हाल ही में पोस्ट किया गया था, जिससे यह अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि अकाउंट कुछ दिन पहले ही बना होगा.

कैटरीन का अनुभव भी ऐसा ही रहा है. वह कहती हैं कि उन्होंने इस तरह के कई अकाउंट्स को वेरिफ़ाई करने की कोशिश की लेकिन ज़्यादातर फ़ेक अकाउंट निकले.

ऐसे में ये पता लगा पाना बेहद मुश्किल है कि इनके पीछे कौन है जो इस तरह की भ्रामक जानकारियाँ साझा कर रहा है.

ऐसा लगता है रूस ने इस तरह की भ्रामक ख़बरें फैलाने के लिए पहले से ही इस तरह के अप्रमाणिक अकाउंट्स बना रखे हैं. लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि इन अकाउंट्स के पीछे वाकई असली चेहरे हों जो झूठी ख़बरों को फैलाने में भरोसा करते हों.

सोशल मीडिया से जुड़ी नीति
सोशल मीडिया पर फ़ेक ख़बरों का मौजूद होना या पब्लिश किया जाना एक बड़ी समस्या है और सोशल मीडिया कंपनियां इस समस्या से लंबे समय से जूझ रही हैं. लेकिन अब उनकी नीतियों को लेकर नए सिरे से जांच की जा रही है.

मेटा, ट्विटर और गूगल समेत सभी बड़ी सोशल मीडिया कंपनियों और ब्राउज़िंग प्लेटफ़ॉर्म ने यूक्रेन में युद्ध से जुड़ी ग़लत सूचना और जानकारी के प्रचार और प्रसार से निपटने के लिए प्रतिबद्धता जतायी है.

लेकिन टेलीग्राम और टिक्कॉक जैसे कई ऐप हैं जो यूक्रेन के युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय है और इन ऐप्स के माध्यम से इस तरह की भ्रामक जानकारी काफी तेज़ी से फैलायी जा रही है.

यह बहुत स्पष्ट है कि वास्तविक दुनिया में जो हो रहा है वो ज़िंदगी और मौत से जुड़ा मसला है लेकिन यह भी सच है कि ऑनलाइन फैल रही इस तरह की ख़बरों और वीडियो ने 'दहशत' और 'दर्द' को और बढ़ा दिया है. (bbc.com)


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