गरियाबंद

गोबरा नवापारा का ‘परमधाम’ जहां अंत नहीं, अमरता की शुरुआत होती है...
15-Oct-2025 3:56 PM
गोबरा नवापारा का ‘परमधाम’ जहां अंत नहीं, अमरता की शुरुआत होती है...

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

नवापारा-राजिम। प्रदेशभर में मुख्य न्यायाधीश ने मुक्तिधामों की जर्जर दशा पर चिंता जताई और सुधार के निर्देश दिए, उसी समय गोबरा नवापारा नगर का ‘परमधाम’ समिति द्वारा संचालित मुक्तिधाम, पूरे प्रदेश के लिए एक प्रकाशस्तंभ की तरह खड़ा दिखाई देता है।

जहां स्वच्छता, संस्कार, हरियाली और मानवीय संवेदनाएं एक साथ सांस लेती हैं। यह मुक्तिधाम केवल अंतिम संस्कार का स्थल नहीं, बल्कि जीवन और मृत्यु के शाश्वत संवाद का मंदिर है। यहां पहुंचकर व्यक्ति महसूस करता है कि अंत भी कितना सुंदर, शांत और सुसंस्कारित हो सकता है।

व्यवस्था और सौंदर्य

की मिसाल..

परमधाम समिति ने जनसहभागिता और सेवा-भाव से इस स्थल को स्वच्छता और सुंदरता का प्रतीक बना दिया है। यहां बिजली, पेयजल, शेड, शौचालय, स्नानागार, बैठक व्यवस्था और लकड़ी की समुचित उपलब्धता है। पूरे परिसर की नियमित सफाई, पक्का एप्रोच रोड और भव्य कांच से सजे बैठक हॉल इसकी आधुनिकता और सुसंरचना का परिचायक हैं।

चारों ओर फैली मजबूत बाउंड्रीवाल और हर कोने में खिला हरियाली का संसार यह सब मिलकर इसे किसी बाग की तरह शांत और पवित्र बनाते हैं। यहां बादाम, केला, सीताफल, जाम, आम, कटहल, इमली, करोंदा, गंगाइमली और जामुन जैसे फलदार वृक्ष जीवन की हर ऋतु का प्रतीक बनकर खड़े हैं।

संवेदनाओं और सहभागिता का स्थल: यहां पशु-पक्षियों के लिए चारे और दाने की व्यवस्था प्रतिदिन की जाती हैं। मानो परमधाम केवल मनुष्यों के लिए नहीं, बल्कि हर जीव के लिए खुला मंदिर हो। इस स्थल की सबसे बड़ी विशेषता है यहां पुरुषों से अधिक महिलाओं की सहभागिता है। वे वृक्षारोपण, सफाई, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। यहां के आसपास के लोग प्रतिदिन मार्निंग वॉक और इवनिंग वॉक के लिए आते हैं। जहां कदमों की आहट नहीं, बल्कि श्रद्धा की सरगम गूंजती है। सुरक्षा हेतु यहां एक चौकीदार अपने परिवार सहित निवास करता है।

हर 15 अगस्त और 26 जनवरी को यहां ध्वजारोहण, सुंदरकांड पाठ और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, जो यह सिद्ध करते हैं कि यह स्थल सिर्फ शोक का नहीं, बल्कि संस्कार और सामाजिक एकता का उत्सव स्थल है।

आस्था और निर्मलता

 का अनोखा अनुभव

संस्कार के उपरांत जब लोग विदाई लेते हैं, तो फव्वारों से पवित्र जल का छिडक़ाव किया जाता है। यह केवल शुद्धि का प्रतीक नहीं, बल्कि इस संदेश का भी कि मृत्यु अंत नहीं, आत्मा की निर्मल यात्रा की शुरुआत है। यह मुक्तिधाम पब्लिक, प्राइवेट और पार्टनरशीप मॉडल के अंतर्गत संचालित है, जहां पारदर्शिता और ईमानदारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। यहां ऑडिट कार्य नियमित रूप से होता है और समिति के बैंक खाते में लगभग 6 लाख रुपये की निधि सुरक्षित रखी गई है, जो समाज के भरोसे और समर्पण का प्रतीक है।

यह स्थान हमें याद दिलाता है कि यहीं से हमारी परलोक यात्रा प्रारंभ होती है। इसलिए इसका सुसज्जित, स्वच्छ और पवित्र रहना केवल समिति की नहीं, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है। हर व्यक्ति को इस कार्य से जुडऩा चाहिए। कोई श्रमदान से, कोई वृक्षारोपण से, कोई आर्थिक सहयोग से। ताकि आने वाली पीढिय़ाँ देखें कि कैसे एक नगर ने अपने संस्कारों को इतनी श्रद्धा से संजोया है।

परमधाम केवल एक स्थल नहीं, एक विचार है...

जहां मिट्टी से मिट्टी मिलती है और मनुष्य अपनी अमरता की झलक पाता है। यह गोबरा नवापारा की आत्मा है। जहां सेवा में श्रद्धा, स्वच्छता में पूजा, और हरियाली में जीवन झलकता है।


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