गरियाबंद

उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में दुर्लभ तितलियों और पक्षियों की मौजूदगी दर्ज
13-Oct-2025 3:12 PM
उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में दुर्लभ तितलियों और पक्षियों की मौजूदगी दर्ज

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

गरियाबंद, 13 अक्टूबर। उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व जैवविविधता के लिए समृद्ध साबित हो रहा है। मानसून के बाद यहां अनेक दुर्लभ तितलियों की मौजूदगी दर्ज की गई है। इनमें एटलस मॉथ, ऐथेरिया पफिया, कॉमन नवाब (पॉलीयूरा अथामास) और कॉमन बैंडेड पीकॉक (पैपिलियो पैरिस) जैसी आकर्षक प्रजातियां शामिल हैं। गौरतलब है कि ‘कॉमन बैंडेड पीकॉक’ उत्तराखंड की राज्य तितली भी है।

वन विभाग के अनुसार हाल ही में रिजर्व क्षेत्र में छह प्रमुख तितली प्रजातियों की पहचान हुई है। उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक वरुण जैन ने बताया कि यहां बैंडेड पीकॉक, ब्लू मॉरमॉन, कॉमन मॉरमॉन, ब्लू टाइगर, वांडरर और कॉमन पैंसी जैसी तितलियां प्रचुर मात्रा में देखी गईं। इसके अलावा इस क्षेत्र में देश के सबसे बड़े उल्लू स्पॉट-बेलिड ईगल आउल की मौजूदगी भी कैमरे में दर्ज की गई है।

विशेषज्ञों का मानना है कि तितलियों की यह उपस्थिति न केवल सौंदर्य दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र और परागण प्रक्रिया के लिए भी आवश्यक है। तितलियों का भोजन फूलों का रस, सड़े-गले फल और पेड़ों का रस होता है, वहीं कीचडय़ुक्त पानी से वे खनिज और लवण प्राप्त करती हैं।

 

भारत में लगभग 1300 प्रजातियों की तितलियां पाई जाती हैं। उनकी संख्या और गतिविधि मानसून के बाद बढ़ जाती है, जब जंगल में फूलों और कोमल वनस्पतियों की भरमार होती है। तितलियों को पारिस्थितिकी तंत्र का स्वास्थ्य सूचक माना जाता है।

वन विभाग का दावा है कि तितलियों और दुर्लभ पक्षियों की मौजूदगी से स्पष्ट है कि उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व केवल बाघों और हाथियों का ही नहीं, बल्कि जैवविविधता की अनेक दुर्लभ प्रजातियों का भी सुरक्षित आवास बन चुका है।


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