गरियाबंद

रावण भाटा मैदान में पारम्परिक दशहरा का मंचीय कार्यक्रम
05-Oct-2025 2:23 PM
रावण भाटा मैदान में पारम्परिक दशहरा का मंचीय कार्यक्रम

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

नवापारा राजिम, 5 अक्टूबर। पारम्परिक दशहरा की शुरुआत राधाकृष्ण मदिर के सर्वाकार मोहन अग्रवाल, गोपाल अग्रवाल, गिरधारी अग्रवाल सपरिवार मंदिर परिसर में नगर पं. ब्रह्मदत्त शास्त्री की उपस्थिति में मंत्रोच्चारण कर रामादल की पूजा-अर्चना की गई। जिसमें भगवान राम की भूमिका में जिनेन्द्र चक्रधारी, लक्ष्मण- भागवत चक्रधारी, हनुमान -नरेश चक्रधारी, अंगद -लोकेश महार, सुग्रीव -चन्दन चौहान सहित  रामादल को बैल गाड़ी पर  बिठा क र  मंदिर  परिसर से सदर रोड होते हुए रामादल रावण भाटा शीतला पारा पहुँचे।

वहीं रावण की भूमिका चेतन कुमार चौहान, मेघनाथ प्रीतम चौहान, कुंभकर्ण अजय चक्रधारी, द्वारपाल जय चक्रधारी, यश चक्रधारी  रामलीला मंच स्थल पर पहुंचते है, वैसे  वहां उपस्थित दर्शकों में रावण को देखकर  खलबली मच गई। दर्शकों ने रावण महाराज की जय घोष किये। तभी मंच पर रावण गरजते हुए कहा रावण मिट जाएगा झुकेगा नहीं।

इसी के साथ रामलीला का प्रथम प्रसंग शुरू हुआ। जिसमें रामादल के बीच सीता वापसी के लिए विचार -विमर्श करते हुए जिसमें सहमति बनी कि अंगद को ही रावण के दरबार शांति प्रस्ताव देने के लिए राजदूत के रूप में भेजा जाये। तभी अंगद का आगमन रावण के दरबार में होता है और अंगद और रावण का सीधा संवाद होता है।

रावण पूछता है कि हे वानर कौन है तू, बतला अपना नाम ? इतना सुनते ही अंगद अपना भी परिचय  बड़ी सादगी से देता है। बिना युद्ध किये सीता की वापसी की बात करता है। लेकिन रावण नहीं मानता तो अंगद भी एक शर्त रावण के सामने रखता है कि मेरा पैर यदि कोई भी उठा लेता है तो मैं सीता माँ को हार गया, ऐसा कहकर अंगद अपना पैर रख जाम  देता है जिसे कोई भी नहीं उठा पाते और अन्त  में रावण भी अंगद के पैर उठाने का प्रयास भी करते हैं, लेकिन अंगद अपना पैर खुद हटा देते हंै। फिर रावण युद्ध की घोषणा कर देते हंै।  रावण दल और रामदल मे युद्ध होता है जिसमें बारी -बारी से रावण के सैनिक सहित मेघनाथ और कुंभकर्ण मर जाते है और अन्त में राम और रावण के बीच घमासान युद्ध होता है। जिसमें रावण राम के हाथों मारे जाते हंै।

 

रावण के मरते ही पूरे दर्शक श्री राम की जय जयकार करते हुए सोन पत्ती लूटते हंै। वहीं निगाहे नीलकंठ पक्षी को ढूंढते हुए भी दिखाई देते हैं।

विजयी रामादल की शोभायात्रा निकाली जाती है जिसमें भगवान राम की पालकी को कन्धे पर उठाये निषाद समाज के पन्ना निषाद, डिहु निषाद, मनहरण निषाद, माखन निषाद, कैलाश निषाद,रवि निषाद,राजेन्द्र निषाद, नागेन्द्र निषाद आगे-आगे चलते और इस पालकी सहित भूमिका निभाई रामादल की पूजा अर्चना होती है। रामादल और पालकी को मंदिर पहुंचने में देर रात हो जाती है।

इस राम लीला का सफल संचालन भूषण चक्रधारी,विजय चौहान,टीकम चक्रधारी सहित रामायण मण्डली के सीता राम सोनकर ,रामाधार कहार, प्रकाश प्रमेद  बया,नूतन ताम्रकार,प्रेम देवांगन का विशेष सहयोग रहता है।


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