संपादकीय

कोलकाता की एक स्त्रीरोग विशेषज्ञ महिला चिकित्सक ने अपनी एक महिला मरीज को देखने से इंकार कर दिया जो कि सात महीने की गर्भवती है, और शुरू से ही इसी डॉक्टर को दिखाती आ रही है। डॉक्टर हिन्दू है, और मरीज मुस्लिम है। शिकायत में कहा गया है कि डॉ. चम्पा कली सरकार ने इस गर्भवती मुस्लिम महिला को 24 अप्रैल को देखने से मना कर दिया, और कहा कि तुम्हारी धर्म के लोगों ने मेरे धर्म के लोगों को मारा है, तुम लोग कातिल हो। यह मुस्लिम महिला अपनी नियमित डॉक्टर से यह झिडक़ी सुनकर हक्का-बक्का रह गई, और सातवें महीने के गर्भ में अब किसी दूसरे डॉक्टर के पास जाना आसान भी नहीं है। महिला के परिवार ने कहा कि कस्तूरी दास मेमोरियल सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की इस डॉक्टर ने कहा कि कश्मीर की घटना के बाद वे किसी मुस्लिम मरीज को नहीं देखने वाली हैं। उसने कहा हिन्दुओं को तुम्हारे पति को मार डालना चाहिए, तब तुम्हें समझ आएगा कि (पहलगाम में) हमें कैसा लगा होगा। हमें सारे मुस्लिमों को देखने पर रोक लगा देनी चाहिए। परिवार का कहना है कि डॉक्टर ने गर्भवती महिला को हत्यारा और आतंकी भी कहा, और कहा कि आगे की चेकअप के लिए वह मदरसे जाए। घर लौटने के बाद इस महिला ने फोन पर डॉक्टर से फिर अनुरोध किया, और डॉक्टर वही तमाम बातें दुहराईं जो कि टेलीफोन पर रिकॉर्ड की गईं, और देश के कुछ जिम्मेदार मीडिया के पास वह रिकॉर्डिंग मौजूद है।
देश में इससे भयानक नौबत और क्या हो सकती है? हमने तो सरकारी अस्पतालों के ऐसे डॉक्टरों को देखा है जो कि बस्तर में दर्जनों पुलिस जवानों को मारने वाले नक्सलियों का भी इलाज करते हैं, और जरूरत पडऩे पर एक ही मोर्चे से लौटे हुए पुलिसवाले वहां जख्मी हुए नक्सलियों को खून भी देते हैं। फिर डॉक्टरी तो एक शपथ से बंधा हुआ ऐसा पेशा है जिसकी वजह से डॉक्टरों को ईश्वर के बराबर माना जाता है, जिंदगी बचाने और देने वाले माने जाते हैं। ऐसे डॉक्टरों के मन में अगर यह बात घर कर गई है कि उन्हें धर्म देखकर इलाज करना है, या धर्म देखकर मरीज को लौटा देना है, तो पहलगाम के आतंकियों का तो मकसद ही पूरा हो गया। सोशल मीडिया पर ओवरटाइम करने वाले नफरती लोगों की बात हम नहीं करते, वे तो अभी भी देश में नई-पुरानी कई तरह की सच्ची-झूठी कहानी मिला-जुलाकर नफरत फैलाने में लगे हुए हैं, और वे लोग यह देखकर निराश हैं कि किस तरह पहलगाम और बाकी कश्मीर में वहां के स्थानीय मुस्लिम लोगों ने बाहर से आए हुए तमाम सैलानियों को अपने घर ठहराया, उनकी हिफाजत की, उन्हें मुफ्त में एयरपोर्ट या स्टेशन पहुंचाया, और पर्दे वाली महिलाओं ने भी अपने घर ठहराए परिवारों के पुरूषों को खाना परोसा। ऐसी तस्वीरें, और ऐसे वीडियो वहां से बचकर आए हुए लोग ही पोस्ट कर रहे हैं, और अपने चेहरे और नाम के साथ पोस्ट कर रहे हैं। किसी देश को साम्प्रदायिक-नफरती हिंसा से बचने के लिए सद्भावना की ऐसी ही घटनाओं की जानकारी की जरूरत है, नफरत की नहीं। कोलकाता की इस डॉक्टर ने जो किया है, और यह तोहमत से परे फोन रिकॉर्डिंग की शक्ल में भी मौजूद है, वह देश को नफरत की आग में झोंकने का काम है। आज अगर डॉक्टरी के पेशे में भी हिन्दू-मुस्लिम नफरत काम करने लगेगी, तो कितनी ही जिंदगियां समय पर सही इलाज न मिलने पर खत्म हो जाएंगी। पहलगाम में तो 26 लोगों को मार डाला गया था, उनमें भी एक तो आतंकियों को रोकते हुए मारा गया मुस्लिम खच्चरवाला भी था। लेकिन अगर हिन्दू और मुस्लिम मरीजों के बीच डॉक्टरों के धर्म को लेकर एक आशंका भर दी जाएगी, और डॉक्टरों के मन में नफरत, तो क्या होगा?
सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने का ठेका लिए हुए साम्प्रदायिक लोग तो इसी की कोशिश कर रहे हैं। लगातार यह लिख रहे हैं कि धरम पूछकर ही किसी से सामान खरीदें, धरम पूछकर ही किसी को नौकरी पर रखें। ऐसे लोगों को कश्मीर में जिंदगियां बचाने वाले स्थानीय मुस्लिमों का धर्म भी पूछना चाहिए। हमारे करीब छत्तीसगढ़ के सरगुजा के हिन्दू परिवारों की खुद की बताई हुई कहानी है कि हमले के बीच पहलगाम में किस तरह उनके परिचित एक मुस्लिम कपड़े बेचने वाले ने उन करीब दर्जन भर लोगों को वहां से बचाकर निकाला, और उसी की वजह से ये सब जिंदा हैं। लेकिन ऐसी सकारात्मक कहानियां भी जिन नफरती-मेहनती लोगों को छू नहीं पा रही हैं, उनके भीतर से सभ्यता और इंसानियत दोनों का खासा नुकसान हो चुका है, और वे जूम्बी बनने के करीब हैं। जूम्बी किन्हें कहा जाता है, लोगों की जानकारी के लिए यह एक ऐसा काल्पनिक प्राणी होता है जो दुबारा जिंदा हुआ इंसान रहता है, और वह लाश की तरह चलता-फिरता, मानवभक्षी रहता है। लोग चाहें तो इस नाम को सर्च करके इस पर बनी काल्पनिक फिल्में या छोटे वीडियो भी देख सकते हैं। आज कुछ लोग जूम्बी की तरह काम कर रहे हैं, वे मानवभक्षी हो चुके दिख रहे हैं।
हमारा मानना है कि आज जब देश में भाजपा की लीडरशिप वाली सरकार है, और डेढ़-दो दर्जन राज्यों में भाजपा, या उसके गठबंधन की सरकारें हैं, तो तकरीबन पूरे देश की कानून व्यवस्था भाजपा की साख से जुड़ी हुई है। वह दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भी है, और उसके करोड़ों सदस्य सक्रिय भी हैं। आज के इस मौके पर देश को किसी भी साम्प्रदायिक तनाव से बचाना जिम्मेदारी तो हर किसी की है, लेकिन सबसे अधिक जिम्मेदारी सबसे अधिक हिस्से पर सत्तारूढ़ भाजपा की है। भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं को चाहिए कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भारत की साख बनाए रखने के लिए नफरत फैलाने वालों पर नजर रखें, उन्हें रोकें, और देश में अमन-चैन बनाए रखने में सक्रिय हिस्सेदारी निभाएं। सत्तारूढ़ पार्टी की साख सरकार के कामकाज से भी जुड़ी रहती है, और देश पर आतंकी हमले न हों, राज्यों में साम्प्रदायिक तनाव न हों, और देश की अर्थव्यवस्था ठीक से चलते हुए जल्द से जल्द पांच ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सके, ऐसे तमाम मकसद ध्यान में रखते हुए भाजपा के कार्यकर्ताओं को सोशल मीडिया पर भी नफरती लोगों को रोकना-टोकना चाहिए। वैसे तो यह जिम्मेदारी बुनियादी तौर पर हर नागरिक की है, लेकिन जिनकी साख सरकार से सीधे जुड़ी हुई है, उन्हें तनाव के ऐसे वक्त पर अधिक चौकन्ना और अधिक सक्रिय रहना चाहिए। प्रधानमंत्री ने पहलगाम के हमलावरों को धरती के आखिरी कोने तक जाकर सजा देने की घोषणा की है। भारत में बैठे हुए लोगों को समझना चाहिए कि धरती का वह आखिरी कोना हिन्दुस्तान में नहीं है, और देश की सरहद के बाहर जहां कहीं प्रधानमंत्री जो कार्रवाई करना चाहते हैं, विपक्ष ने उन्हें बिना किसी शर्त के पूरा समर्थन दिया है। ऐसे माहौल में इस देश के लोगों को सब्र रखना चाहिए, और आज जनता का जो हिस्सा अधिक मुखर दिख रहा है, उन्हें अनर्गल, हिंसक, और नफरती बातें करने के बजाय प्रधानमंत्री पर अधिक भरोसा रखना चाहिए।
कोलकाता की जिस डॉक्टर की साम्प्रदायिक नफरत से आज इस मुद्दे पर लिखना पड़ा है, वह तो उजागर हो गई है, लेकिन कदम-कदम पर नफरत की बात करने वाले भी मौजूद हैं, और उन्हें सद्भावना की, जिंदगियां बचाने की असल घटनाएं छू भी नहीं गई हैं। यह सिलसिला देश के लिए खतरनाक होगा, और इसे लेकर प्रधानमंत्री को जनता से सीधे अपील भी करनी चाहिए। डॉक्टर और मरीज के बीच का पवित्र रिश्ता अपार विश्वास पर टिका रहता है, अधिकतर लोग इस विश्वास को ईश्वर पर विश्वास की तरह मानकर चलते हैं, और अगर इसमें भी इतनी गहरी और चौड़ी दरार एक जगह आई है, तो उस दरार को दूर तक फैलने नहीं देना चाहिए। (क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)