संपादकीय

पिछले कुछ महीनों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को लेकर दुनिया में बहुत किस्म की फिक्र सामने आई है। हमने भी इसी जगह पर कई बार यह लिखा है कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में लगातार रात-दिन चलता रिसर्च इसे एक दानवीय ताकत दे सकता है जो कि इंसानों के काबू के बाहर की हो सकती है। यही वजह है कि दुनिया के बड़े-बड़े टेक्नालॉजी-बादशाहों ने यह सार्वजनिक मांग की है कि एआई में हो रही रिसर्च को रोका जाए, खासकर ऐसी रिसर्च को जो कि इसे पहले इंसान, और फिर खुद टेक्नालॉजी के काबू के बाहर कर दे। लेकिन टेक्नालॉजी की हर रिसर्च कारोबारी कमाई से भी जुड़ी रहती है इसलिए अभी ऐसे किसी रोक की बात बरसों दूर है। हालांकि दुनिया का इतिहास बताता है कि इंसानों की क्लोनिंग के मामले में पूरी दुनिया ने एकमत होकर उस पर रोक लगाई हुई है, जो कि जारी है। इसलिए एआई के और खतरनाक होने के पहले न सही, लेकिन आगे किसी वक्त उस पर रोक पर आम सहमति बन सकती है।
अब आज इस पर एक बार और बात करने की जरूरत इसलिए आ पड़ी है कि ब्रिटेन की नेशनल क्राइम एजेंसी ने अभी अपना एक अंदाज सामने रखा है कि वयस्क पुरूष आबादी का एक हिस्सा धरती के बच्चों के लिए सेक्स-खतरा बन सकता है। इस जांच एजेंसी ने यह पाया है कि अब बच्चों की सेक्स-तस्वीरें असल जिंदगी से आना जरूरी नहीं है, सिर्फ कुछ शब्द लिखकर या बोलकर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से ऐसी तस्वीरें बनाई जा सकती हैं, और इन्हें देख-देखकर बच्चों के यौन शोषण के शौकीन मुजरिम अपनी हसरतें बढ़ा सकते हैं, बच्चों पर असली खतरा हो सकते हैं। एनसीए का यह अंदाज है कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी तमाम कोशिशों के बावजूद बढ़ती चल रही थी, और जांच में पता लगता था कि गिरफ्तार दस में से आठ लोग मर्द थे। अब ऐसा लगता है कि दुनिया की दो फीसदी मर्द आबादी बच्चों पर एक यौन-खतरा बन जाएगी। यह अंदाज ब्रिटेन के बारे में ही लगाया गया है, और एजेंसी का कहना है कि पौने सात लाख से सवा आठ लाख वयस्क मर्द बच्चों के लिए किसी तरह का खतरा बन सकते हैं।
आज ही सुबह की एक रिपोर्ट है कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से महज कुछ शब्दों से ही बच्चों की असली दिखती और लगती सेक्स-तस्वीरें आसानी से बनाई जा सकती हैं। बीबीसी ने एक जांच में यह पाया है कि बच्चों से सेक्स के शौकीन, पीडोफाईल्स एआई का इस्तेमाल कर रहे हैं, और ऐसी तस्वीरों का कारोबार भी कर रहे हैं। जांच एजेंसियों का यह कहना है कि इंटरनेट के कुछ बड़े प्लेटफॉर्म अपनी नैतिक और कानूनी जिम्मेदारियों की फिक्र किए बिना ऐसी तस्वीरों और इनके कारोबार को जगह दे रहे हैं, जबकि टेक्नालॉजी का इस्तेमाल करके वे ऐसी आवाजाही को रोक सकते थे, अब चूंकि एआई के इस्तेमाल से ऐसी तस्वीरें से आसानी से बनाई जा रही हैं जो असली तस्वीरों को मात दे सकती हैं, तो इनके कारोबार के बढ़ जाने का खतरा है, और ऐसे ग्राहकों को लगातार ऐसी तस्वीरें मिलने के बाद उनका बच्चों के शोषण का खतरा भी बढ़ रहा है। हालत यहां तक आ गई है कि एआई का इस्तेमाल करके पोर्नो सामग्री तैयार करने वाले लोग छोटे-छोटे बच्चों और शिशुओं के साथ बलात्कार के भी फोटो तैयार कर रहे हैं। पुलिस को इन दिनों हो रही जांच में लगातार ऐसी तस्वीरें मिल रही हैं।
ब्रिटेन का कानून ऐसी एआई-निर्मित तस्वीरों को भी बच्चों की खींची गई तस्वीरों के बराबर मानता है, और इनके यौन-शोषण के होने, सेक्स से जुड़े होने पर इन्हें रखने, पोस्ट करने, या किसी को भेजने पर सजा का इंतजाम है। पुलिस का मानना है कि एआई से बनाई गई कृत्रिम चाइल्ड-सेक्स तस्वीरों को कम नुकसानदेह मानना ठीक नहीं है क्योंकि इन्हें देख-देखकर लोग असली जिंदगी में भी यही सब करने के लिए और हौसला पाएंगे, और फिर वे किसी जिंदा बच्चे के यौन-शोषण तक पहुंच जाएंगे। आज बहुत से ऐसे फोटो, और ऐसी तस्वीरों का कारोबार करने वाले लोग इन्हें जापान की एक वेबसाइट पर पोस्ट करते हैं क्योंकि उस देश में बच्चों के सेक्स-कार्टून या उनकी सेक्स-पेंटिंग गैरकानूनी नहीं मानी जाती। अब इस वेबसाइट ने बच्चों की असल दिखने वाली कम्प्यूटर से गढ़ी गई तस्वीरों पर रोक लगाने की घोषणा की है।
दुनिया में किसी भी तरह की टेक्नालॉजी महज औजार होती है, यह तो उसके इस्तेमाल करने वाले लोगों पर रहता है कि वे उसका क्या करते हैं। परमाणु ऊर्जा की तकनीक से परमाणु बिजलीघर भी चलते हैं, और परमाणु बम भी बनाए जाते हैं। चाकू से सब्जी भी काटी जा सकती है, और किसी का गला भी काटा जा सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस दुनिया का सबसे नया, और अब तक का सबसे ताकतवर औजार है, जिसमें हथियार बन जाने के तमाम खतरे मौजूद हैं। अब देखना है कि आगे इस तकनीक से और कैसे-कैसे खतरे खड़े हो सकते हैं। अब ऐसा लगता है कि तरह-तरह की, बच्चों से जुड़ी, और दूसरे तमाम किस्म की भी, सेक्स-सामग्री को बनाने में इसका व्यापक इस्तेमाल होने लगेगा क्योंकि इसके लिए किसी का कलाकार होना जरूरी नहीं है, सिर्फ कम्प्यूटर की मामूली जानकारी बहुत है। ऐसे में कानून को भी एक बार फिर से देखने की जरूरत पड़ेगी कि क्या लोग अपने खुद के लिए ऐसी सामग्री गढ़ेंगे, तो क्या वह भी जुर्म के दायरे में आएगी? यह कुछ उसी किस्म का है कि वयस्क लोग अपनी खुद की नग्न तस्वीरें खींचकर रखें, और उसका कोई कारोबारी इस्तेमाल न करें, तो वह जुर्म के दायरे में नहीं है। अब लोग अपने खुद के सुख के लिए अगर बच्चों की सेक्स-तस्वीरें गढ़ेंगे, और उन्हें न कहीं पोस्ट करेंगे, न बेचेंगे, न भेजेंगे, तो क्या वह भी जुर्म में आएगा? और एक सवाल यह भी उठता है कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का ऐसा इस्तेमाल क्या जांच एजेंसियों के जांच के दायरे में रहेगा? क्या वह लोगों की निजता का हनन नहीं कहलाएगा? एक नई टेक्नालॉजी आज दुनिया में बहुत सी नई परिभाषाओं की भी जरूरत आन पड़ी है क्योंकि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के बाद अब पुरानी परिभाषाओं में नए खतरों को नापने की गुंजाइश कुछ घट गई है।
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