संपादकीय
फोटो : सोशल मीडिया
उत्तर भारत में सरकार के एक किसी सबसे निचले ओहदे पर काम करने वाले आदमी और उसकी अब अफसर बन गई बीवी के बीच का झगड़ा खबरों में छाया हुआ है। इन खबरों की सुर्खियां पढक़र जो समझ आता है वह यह है कि इस नौजवान ने अपने बीवी को शादी के बाद पढ़ा-लिखाकर, या उसकी मदद करके, या उस महिला ने खुद अपनी मेहनत से राज्य की प्रशासनिक सेवा में जगह पाई, और उसके बाद शायद उसे पता लगा कि पति जो अपने को छोटा अफसर बताता है, वह सफाई कर्मचारी है। इसके बाद खबरें बताती हैं कि इस महिला को उसके साथ रहना नहीं जमा, उसका कहना है कि उसे धोखा दिया गया था, पति का कहना है कि अब अफसर बनने के बाद पत्नी का किसी दूसरे अफसर से संबंध हो गया है, और इसलिए यह शादी टूट रही है। मामला सरकारी विभागीय जांच तक भी पहुंच गया है। अब जैसा कि पति-पत्नी के बीच ऐसे किसी विवाद में होता है, दोनों तरफ से जानकारी गलत देने के कई आरोप भी लग रहे हैं, और मामला पुलिस तक भी गया है।
हिन्दुस्तान का खबरों का मीडिया, और सोशल मीडिया, दोनों ही इस खबर पर टूट पड़े हैं। फिर इन दोनों जगहों पर इस मामले को चटपटा बनाने के लिए कुछ घरेलू वीडियो भी आए हैं जिसमें गालियां दी जा रही हैं, और झगड़ा चल रहा है। इस जोड़े की दो बेटियां भी हैं, और जाहिर है कि मां-बाप के बीच के इतने झगड़े, इतने तनाव का बुरा असर उन पर भी पड़ रहा होगा। हर किस्म के मीडिया पर लोगों का यह रूख सामने आ रहा है कि एक गरीब पति ने पत्नी की मदद करके उसे बढ़ावा दिया, और उसने अफसर बनते ही उसे दुत्कार दिया। यह एक निहायत ही निजी मामला था, जिसने सार्वजनिक शक्ल अख्तियार कर ली है। पति-पत्नी के बीच शादी के वक्त किसी जानकारी को छुपाना भी कोई बड़ी बात नहीं है, और पति का पत्नी को आगे बढ़ाना भी बहुत अनहोनी नहीं है। इसके साथ-साथ जब दोनों में से कोई एक खासा ऊपर चले जाए, तो उन्हें दूसरे का बोझ लगना या अपने लायक न लगना भी बहुत अनोखी बात नहीं है। अखिल भारतीय सेवाओं के बहुत से ऐसे अफसर रहते हैं जो अपनी जाति-परंपरा के मुताबिक, गांवों के रिवाजों के मुताबिक कम उम्र में ही शादीशुदा हो चुके रहते हैं, और बाद में जब वे बड़े अफसर बन जाते हैं, तो उन्हें गांव की वह बीवी ठीक नहीं लगती है, और उनमें से बहुत से लोग उसे गांव में छोडक़र एक शहरी बीवी भी ले आते हैं। ऐसा ही बहुत से नेताओं ने भी किया है जिनके नामों की चर्चा की जरूरत नहीं है। इसे जिंदगी का एक हिस्सा ही मानना चाहिए कि शादी के बाद अगर जोड़ीदारों के बीच कोई ऐसा बड़ा फासला आ जाता है, या उनमें से किसी एक की जिंदगी में कोई बहुत बड़ा बदलाव आता है, कोई दूसरे बहुत ताकतवर लोग उनकी जिंदगी में आ जाते हैं, तो उन्हें अपने जीवनसाथी फीके लगने लग सकते हैं। यह किसी और के आए बिना भी होता है, शादियां भी कई वजहों से टूटती हैं, बहुत सी शादियां इस वजहों से टूटती हैं कि लडक़े या लडक़ी की कोई शारीरिक या मानसिक दिक्कत छुपाकर रखी गई थी जो कि शादी के बाद सामने आई। इसलिए इस शादी का टूटना बहुत सी तोहमतों के साथ जरूर हो रहा है, लेकिन तोहमतों से परे बहुत सी शादियां टूटती ही रहती हैं।
अब कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इससे लोगों का हौसला पस्त होगा, और वे अपने बीवी को आगे बढ़ाने से हिचकेंगे। हिन्दुस्तानी समाज को देखें, तो औरत का हौसला बढ़ाने में आदमी का हौसला हमेशा से ही पस्त रहते आया है। और यह जरूरी भी नहीं है कि किसी औरत को गुलाम की तरह रखा जाए, और वह छोडक़र न जा सके। आज सामाजिक और कानूनी माहौल बदला हुआ है, अब पहले के मुकाबले अधिक लड़कियां और महिलाएं जुल्म के खिलाफ उठ खड़ी हो रही हैं। ऐसे में बिना धोखाधड़ी वाले रिश्ते भी टूट रहे हैं। और रिश्तों के टूटने को हमेशा बुरा भी नहीं मानना चाहिए। कुछ रिश्ते जब ऐसे हो जाते हैं कि वे कैंसर की तरह स्थाई तकलीफ देने वाले बन जाते हैं, तो उन्हें सर्जरी से अलग कर देना ही जिंदगी को बचाने के लिए जरूरी होता है। रिश्तों को बड़ी तकलीफों के साथ अंतहीन ढोते रहना कोई अच्छी बात नहीं होती है, और जब दो जीवनसाथियों के बीच एक दर्जा गुलाम सरीखा हो जाए, तो उसे ऐसे रिश्ते से बाहर आ जाना चाहिए। जब किसी को यह लगे कि बच्चों पर इस रिश्ते का अब सिर्फ बुरा असर पड़ रहा है, तब भी उन्हें ऐसे रिश्तों से बाहर आ जाना चाहिए। शादी के बारे में पंडितों और धर्म की कही हुई यह बात निहायत फिजूल रहती है कि रिश्ते स्वर्ग में बनते हैं, और सात जनम के लिए होते हैं। रिश्ते आधी या तीन चौथाई जिंदगी के लिए ही बनते हैं, और अगर उनको निभाना मुश्किल पड़ रहा है, तो एक-दूसरे को ढोने के बजाय हल्के बदन अलग-अलग रास्तों पर निकल जाना ठीक रहता है।
उत्तर भारत की जिस शादी को लेकर खबरों और सोशल मीडिया पर दुनिया जहान की बहस चल रही है, उसमें बस महिला के अधिकार का मुद्दा काम का है, और यह भी काम का है कि एक सफाई कर्मचारी के काम के लिए एक महिला के मन में अफसर बनने के बाद अगर कोई हिकारत आई है, तो वह कैसी है। बाकी इस मामले पर अधिक लोग इसलिए अधिक उबले हुए हैं क्योंकि इसमें आदमी बेइंसाफी का शिकार दिख रहा है या दिखाया जा रहा है। तकरीबन तमाम मामलों में बेइंसाफी का शिकार होने पर महिला का मानो एकाधिकार रहता है। इस एक मामले के बहुत व्यापक मतलब नहीं निकालने चाहिए। मामले का अधिकांश हिस्सा दो पक्षों की जुबानी बातचीत पर टिका हुआ है, और दोनों में से कोई भी सही या गलत हो सकते हैं। फिर दुनिया में जिन्हें महिलाओं के हक का सम्मान करना है, उन्हें बराबरी का दर्जा देना है, उन्हें बढ़ावा देना है, उन लोगों का हौसला इस मामले से पस्त नहीं होने वाला है। बहस के लिए यह मान भी लें कि इस मामले में बीवी की गलती है जो कि अफसर बनने के बाद अपने पति से हिकारत करने लगी है, तो भी यह बात बहुत अटपटी नहीं है, और उसने मर्दों के दबदबे वाली समाज व्यवस्था में मर्दों की सोच देख-देखकर ही ऐसा सीखा होगा। इस एक घटना से इंसाफपसंद लोगों की सोच पर फर्क नहीं पड़ेगा। जिन लोगों को इस मुद्दे पर और भी बहस करनी है, उससे भी किसी का नुकसान नहीं है क्योंकि बहस से कई मुद्दे सामने भी आते हैं, और तर्क सामने रखने वाले लोगों की दबी-छुपी भावनाएं भी बाहर निकलती हैं। हम इस मामले में इस जोड़े में से किसी के बेकसूर होने के बारे में अटकल लगाना नहीं चाहते। हमारा यही मानना है कि इंसानों के बीच के रिश्ते ऐसे ही रहते हैं, वे कभी भी खराब हो सकते हैं, एक-दूसरे के लिए हिकारत पैदा कर सकते हैं, और इनके टूट जाने को कोई नुकसान नहीं मानना चाहिए। बाकी जो लोग इस पर बहस जारी रखना चाहते हैं, उनके सोशल मीडिया एक मुफ्त की जगह है ही।