संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : यूपी, भगवान भरोसे हिन्दू होटल, जहाँ पकाने-खिलाने को कुछ नहीं !!
28-Dec-2021 6:34 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : यूपी, भगवान भरोसे हिन्दू होटल, जहाँ पकाने-खिलाने को कुछ नहीं !!

केंद्र सरकार के नीति आयोग ने देश के तमाम राज्यों का एक हेल्थ इंडेक्स जारी किया है जिसमें 2019-20 में राज्यों की स्वास्थ्य सेवाओं का क्या हाल रहा, इसका मूल्यांकन किया गया है। नीति आयोग के इस मूल्यांकन का यह चौथा साल ऐसा है जिसमें केरल देश में अव्वल रहा। और ये चारों साल मोदी सरकार के शासनकाल के ही हैं, और केरल के साथ कोई खास रियायत की गई हो ऐसा तो नहीं माना जा सकता। दूसरी तरफ 19 बड़े राज्यों में सबसे आखिर में उत्तर प्रदेश का नंबर है जिसे कि देश का सबसे कामयाब राज्य साबित करने की कोशिश चुनावी माहौल के बीच चल ही रही है। केंद्रीय गृह मंत्री वहां कहकर आ रहे हैं कि इस उत्तर प्रदेश में आधी रात को भी कोई लडक़ी गहनों से लदकर दुपहिया पर जा सकती है और वह सुरक्षित रहेगी। दूसरी तरफ हर दिन ऐसी खबर आ रही है कि किस शहर में शहर के बीच चलती हुई गाड़ी में किसी लडक़ी या महिला से कैसे बलात्कार हो रहा है। खैर हम दूसरी बातों पर अभी जाना नहीं चाह रहे हैं और केवल स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर बात करना चाहते हैं, तो इसमें 19 बड़े राज्यों की लिस्ट में सबसे आखिर में यूपी है, और उसके ठीक पहले भाजपा के गठबंधन वाला बिहार है जहां पर कहने को डबल इंजन की सरकार है। अब दिलचस्प बात यह है कि इस लिस्ट को देखें तो इसमें शुरू के 4 सबसे अच्छे राज्य केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, और आंध्र प्रदेश से चारों के चारों दक्षिण भारत के हैं, और दक्षिण भारत का बचा हुआ अकेला राज्य कर्नाटक इस लिस्ट में नौवें नंबर पर हैं जहां पर कि भाजपा की सरकार है। शुरू के चारों दक्षिण भारतीय राज्य बिना भाजपा की सरकार वाले हैं। लिस्ट में आखिरी के 3 राज्य देश के सबसे बड़े राज्यों में से हैं, और मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को सबसे बदहाल पाया गया है। जहां केरल को इस हेल्थ इंडेक्स में 82.20 नंबर दिए गए हैं, वही उत्तर प्रदेश को 30.57 नंबर मिले हैं। ऐसे ही इस फर्क का अंदाज लगाया जा सकता है।

यह बात समझने की जरूरत है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जिस तरह से धर्म और जाति का नाम लेकर पूरे-पूरे शहर को भगवा रंग से रंगकर, बसों से लेकर सरकारी इमारतों तक का, और हज हाउस से लेकर कांग्रेस भवन तक का रंग बदलकर अपने को कामयाब मान रही है, वह हकीकत में कोई कामयाबी नहीं है। जिस तरह से केरल लगातार स्वास्थ्य सेवाओं में सबसे अव्वल माना जा रहा है, पाया जा रहा है, उसे देखें और इसी दौरान उत्तर प्रदेश में गंगा पर तैरती हुई लाशों को देखें, रेत में उथली दफनाई गई और सतह चीरकर बाहर आती हुई लाशों को देखें तो यह फर्क साफ समझ आता है कि गंगा के तट पर महाआरती, गंगा आरती, और हर बात पर धार्मिक नारे, धार्मिक उन्माद, इनसे असल जिंदगी नहीं चलती। केरल के दूसरे पैमानों को देखने की जरूरत भी है क्योंकि केरल वह राज्य है जहां पर सत्तारूढ़ वामपंथी लोगों और वहां के आर एस एस के लोगों के बीच हिंसक संघर्ष चलते ही रहता है। इसलिए केरल के साथ उत्तर प्रदेश की तुलना करना दो राजनीतिक विचारधाराओं की तुलना करने तरीका भी हो जाता है, कम से कम ऐसी दो राजनीतिक विचारधाराओं की शासन व्यवस्था की तुलना। केरल देश में पढ़ाई-लिखाई में सबसे आगे चलने वाला राज्य है जहां के लोग दुनिया में चारों तरफ जाकर काम करते हैं और वहां से पैसा घर भेजते हैं। केरल का भौतिक विकास बहुत हो रहा है और वहां के लोग तकनीकी शिक्षा और प्रशिक्षण पाकर तरह-तरह के हुनर सीखते हैं और उनका कोई मुकाबला नहीं है। दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में लगातार धर्म को पेट पालने का एक विकल्प बनाकर पेश किया जा रहा है जिससे किसी से भजन भी नहीं हो पा रहे हैं, क्योंकि भूखे पेट भजन नहीं हो पाते। राज्य में पढ़ाई-लिखाई का हाल बुरा है, नौकरियों का हाल बुरा है, प्रति व्यक्ति आय का हाल बुरा है, और देश के बीचों-बीच रहते हुए भी उत्तर प्रदेश में विकास, केरल जैसे एक किनारे के राज्य के मुकाबले कहीं भी नहीं है। केरल की प्रतिव्यक्ति आय उत्तर प्रदेश से 3.8 गुना अधिक है. उत्तर प्रदेश, जाहिर है कि अपने डबल इंजन भाई, बिहार के साथ देश में सबसे नीचे की दो जगहों पर है, इनसे कम प्रति व्यक्ति आय और कहीं नहीं है।

यह समझने की जरूरत है कि यह सिलसिला बहुत हद तक धार्मिक उन्माद से प्रभावित है जहां कि लोगों की सोच को मार-मारकर कुंदकर दिया गया है कि उनके दिमाग में किसी तरह से भी कोई वैज्ञानिक तथ्य या तर्क का आग्रह न आ जाए। जनता को लोकतांत्रिक और प्रगतिशील सोच से कैसे दूर किया जा सकता है, और कैसे उन्हें एक उन्मादी ध्रुवीकरण से उपजी भीड़ में बदला जा सकता है, इसकी एक जलती-सुलगती मिसाल उत्तर प्रदेश में देखने मिलती है। अब जब मोदी सरकार के नीति आयोग ने अपने इंडेक्स में बहुत साफ-साफ केरल को नंबर वन, और यूपी को आखिरी करार दिया है, तो इसे सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं से जोडक़र नहीं देखना चाहिए, राज्यों की बाकी स्थिति को भी देखना चाहिए। यह एक अच्छा मौका है कि चुनाव के ठीक पहले मोदी सरकार के नीति आयोग ने ही यह आंकड़े जारी किए हैं, किसी और के तैयार किए हुए रहते तो यह बात उठती कि यह चुनाव को प्रभावित करने के लिए, और योगी की महान सरकार को बदनाम करने के लिए तैयार किए गए आंकड़े हैं। अब उत्तर प्रदेश के लोगों के समझने की यह बात है कि उन्हें भगवा सरकार के रूप में भगवान भरोसे ही छोड़ दिया गया है, और इस सरकार का आधुनिक चिकित्सा व्यवस्था से कुछ भी लेना देना नहीं है। भगवान भरोसे हिन्दू होटल, जहाँ पकाने-खिलाने को कुछ नहीं !!
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