दुर्ग
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 20 नवंबर। जल संचय के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करते हुए दुर्ग जिले ने इंस्ट जोन कैटेगरी 3 में प्रथम स्थान प्राप्त किया है । इस उपलब्धि के लिए 18 नवम्बर को नई दिल्ली के विज्ञान भवन के प्लेनरी हॉल में आयोजित राष्ट्रीय पुरस्कार वितरण समारोह में दुर्ग जिले को सम्मानित किया गया।
जल शक्ति अभियान की शुरुआत 1 जुलाई 2019 को जल संकट और जल संरक्षण की राष्ट्रीय चुनौती के समाधान के लिए की गई थी। राष्ट्रीय जल पुरस्कार में संवर्ग 3 में दुर्ग जि़ले को जल संरक्षण की दिशा में किए गए उल्लेखनीय कार्य के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल के हाथों कलेक्टर अभिजीत सिंह को 25 लाख का चेक एवं प्रशस्ति पत्र प्राप्त हुआ। जेएसजेबी-जल संचय जनभागीदारी अभियान में देशभर में दुर्ग को छत्तीसगढ़ जोन-2 की केटेगरी-3 में 16वां स्थान मिला है। दुर्ग की यह उपलब्धि एक बार फिर साबित करती है कि जब जिला प्रशासन और जनता मिलकर कार्य करें तो असंभव भी संभव हो जाता है।
जलसंकट से निपटने के लिए दुर्ग जिले ने साबित कर दिया कि मोर गांव, मोर पानी और एकेच गोठ एकेच बानी, बूंद-बूंद बचाबो पानी, केवल नारा नहीं, बल्कि काम का तरीका है। कलेक्टर अभिजीत सिंह के निर्देश में जिला पंचायत सीईओ बजरंग दुबे के मार्गदर्शन में वर्षा जल संचय और जल संरक्षण के लिए कई बड़े कदम उठाए गए हैं। महात्मा गांधी नरेगा के तहत जल जीवन मिशन के अंतर्गत रनिंग वाटर क्षेत्र में सोक पिट का निर्माण किया गया। जनपद पंचायत दुर्ग में 70, धमधा में 101 और पाटन में 55 सोक पिट बनाए गए। इसके साथ ही रिचार्ज पिट निर्माण में दुर्ग में 43, धमधा में 92 और पाटन में 73 पिट बनाए गए। 300 ग्राम पंचायतों में 68 स्थानों पर 16,120 सोख्ता गड्डा तैयार किया गया। 423 हैंडपंप जिनका जल स्तर गिर गया था, उन्हें रिचार्ज किया गया। इन प्रयासों से दुर्ग जिले में जल संरक्षण और जल संचय का एक मजबूत ढांचा तैयार हुआ है। यह न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा, बल्कि लोगों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक और सक्रिय भी बनाएगा।


