दुर्ग

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 16 मई। भारतमाला परियोजना के लिए अधिग्रहित जमीन के मुआवजा वितरण में गड़बड़ी की शिकायत पर जांच की बजाय शासन प्रशासन द्वारा नियमानुसार मुआवजा नहीं मिलने के पहले दबाव पूर्वक सडक़ निर्माण कार्य शुरू करने को लेकर अनेक प्रभावित भूमि स्वामियों में रोष व्याप्त है। नियमानुसार मुआवजा नहीं मिलने की बात को लेकर ग्राम धनोरा में निर्माण स्थल पर प्रदर्शन कर रहे एक भूमिस्वामी पर ट्रक में भरा मुरुम पलट दिया गया, जिन्हें पुलिस व प्रदर्शनकारियों ने खींचकर निकाला तब प्रदर्शन कर बालमुकुंद तिवारी बाल बाल बचे।
श्री तिवारी का कहना है कि उन्होंने प्राइवेट सेक्टर में काम करते हुए पाई पाई जोड़ बेटी की शादी के समय काम आएगा सोचकर 2009 में जमीन ली थी। यह जमीन भारतमाला के लिए अधिग्रहित होने पर जो नियम कहता उसका पालन करते हुए मुआवजा की मांग कर रहे हैं, मगर इसका पालन न कर प्रावधान के विपरीत मुआवजा तय किया गया है।
प्रावधान के अनुसार मुआवजा के बाद ही निर्माण शुरू करने की मांग को लेकर अनेक भूमि स्वामी आज प्लाट में एकत्रित हुए थे। तभी अधिकारी ने मुरुम से भरे गाड़ी पलटने निर्देश दिए जैसे ही गाड़ी से मुरूम पल्टा वे उसमें दबने लगे तब आनन फानन में पुलिस एवं सहयोगी साथियों ने उन्हें खींचकर बाहर निकाले तब वे बाल बाल बचे तब तक वे घुटने से ऊपर तक मुरूम में दब चुके थे।
उनका कहना है मामले में वे केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी से भी मिल चुके है, मगर गड़बड़ी की जांच की बजाय शासन प्रशासन दबावपूर्वक सडक़ निर्माण कर लीपापोती करने में लगे हैं। उनकी भारत माला को लेकर विरोध नहीं उनकी मांग सिर्फ प्रावधान के अनुसार मुआवजा की मांग है। आगे भी उनका मुआवजा को लेकर संघर्ष जारी रहेगा । वे अपनी जमीन को नियमानुसार मुआवजा नहीं मिलने पर छोड़ेंगे नहीं अब इसके अलावा कोई चारा नहीं है।
एक अन्य प्रभावित भूमि स्वामी शिव चंद्राकर का कहना कि दुर्ग में भी मुआवजा वितरण गड़बड़ी हुई है। इसकी वे रायपुर की तरह ईओडब्ल्यू व सीबीआई से जांच मांग कर रहे है। उनका कहना है कि भारतमाला परियोजना (छत्तीसगढ़) में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है, कुछ समय पहले ही अभनपुर का प्रकरण सामने आया, जिसमें अधिसूचना दिनांक के बाद बड़े जमीन को छोटे-छोटे टुकड़ों में कर अधिकारी और कर्मचारी लाभ कमाए और सरकार को करोड़ों रूपये का राजस्व का नुकसान पहुंचाया।
इस प्रकरण के सामने आते ही तात्कालिक जिला-दुर्ग के भू अर्जन अधिकारी ने सारे छोटे प्लाटों को हेक्टेयर में मुआवजा बनाकर एनएचएआई का विश्वास जीतकर वहां से उन्होंने अपना रास्ता निकाला। थ्री-ए प्रकाशन के बाद भी बटांकन किया गया, रजिस्ट्री किया गया और इन्होंने ऐसे किसानों को पकड़ा जिन्होंने अपनी पूरी जमीन बेच चुके थे, जो रोड, नाली की जमीन छोड़ी गई थी उसका मुआवजा बना दिया गया। वह 3 डी प्रकाशन में अधिग्रहित भूमि से कई गुना अधिक जमीन का है।
उनका कहना है कि तात्कालीन भू-अर्जन अधिकारी दुर्ग द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग भू-अर्जन अधिनियम 2013 का उल्लंघन करते हुए अपने चाहने वालों को छोड़ शेष सभी 500 वर्गमीटर कृषि भूमि से कम के जमीन को भी हेक्टेयर में मुआवजा बना दिया गया। जबकि राष्ट्र्रय राजमार्ग भू-अधिग्रहण 2013 के अनुसार कृषि भूमि 500 मीटर से अधिक जमीन को हेक्टेयर में और कृषि भूमि 500 वर्गमीटर के जमीन को वर्गमीटर में मुआवजा बनाने का प्रावधान है।
भूअर्जन अधिकारी द्वारा उनकी जमीनों का जांच भी करवाया गया कि जमीन 500 वर्गमीटर से अधिक या कम है अधिक। जमीन अधिसूचना दिनांक से पूर्व रजिस्ट्री है या बाद की। इन सारे जांच के बाद भी उनकी जमीन का मुआवजा सामान्य भू अधिनियम के अनुसार हेक्टेयर में बनाया गया। जिसके अनुसार उन्हें मुआवजा जमीन की रजिस्ट्री के लागत के बराबर भी नहीं मिल रहा यह कृत्य सिर्फ सरकार के आंखों में धूल झोकने के लिए किया गया। उन्होंने उमरपोटी की जमीन का उदाहरण देते बताया कि किस तरह शासन को लाखों के राजस्व का नुकसान पहुंचाया गया है।
प्रभावित भूमि स्वामियों ने बताया कि उचित मुआवजा नहीं मिलने पर परसों भी उन्होंने अपनी जमीन पर निर्माण कार्य रुकवाया, मगर आज तहसीलदार एवं टीआई के नेतृत्व में सुबह से बड़ी संख्या में पुलिस बल की मौजूदगी में काम चालू करने तैयारी थी, जिसका वे विरोध कर रहे थे तभी शिव चंद्राकर, बालमुकुंद तिवारी, काजल देवांगन, सीमा कुजूर, केकती बाई, महेन्द्र चोपड़ा, सुरेन्द्र साहू सहित 20-22 भूमि स्वामियों को लगभग दोपहर 2 बजे गिरफ्तार कर जेल परिसर ले आया जहां से उन्हें शाम 5 बजे छोड़ा गया।