दुर्ग

ग्रामीणों ने जनसुनवाई पर सवाल उठाते चूना पत्थर उत्खनन कार्यानुमति निरस्त करने लगाई गुहार
15-Oct-2024 3:10 PM
ग्रामीणों ने जनसुनवाई पर सवाल उठाते चूना पत्थर उत्खनन कार्यानुमति निरस्त करने लगाई गुहार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 15 अक्टूबर।
खदान के लिए जनसुनवाई में पाटन विकास खंड के ग्राम पंचायत मुड़पार में सरपंच, पंचगण व ग्रामीणों की आपत्ति के बावजूद दो साल बाद अचानक उत्खनन पट्टा क्षेत्र पर कार्यानुमति आदेश जारी कर दिया गया, इससे मुड़पार के ग्रामीणों ने जनसुनवाई पर सवाल उठाते चूना पत्थर उत्खनन कार्यानुमति निरस्त करने कलेक्टर के समक्ष ज्ञापन सौंपकर गुहार लगाई। 

आक्रोशित ग्रामिणों ने अनुमति निरस्त नहीं किए जाने पर चक्काजाम व आमरण अनशन करने चेतावनी दी है। सरपंच के किशन लाल भारती के नेतृत्व में ज्ञापन सौंपने वाले ग्रामीणों ने बताया कि कलेक्टर दुर्ग के आदेश क्रमांक 1265/ खनिज/ उप/ 2024/ दुर्ग दिनांक 9 अक्टूबर 2024 द्वारा कमलेश देवांगन को ग्राम मुड़पार के रकबा 1.84 हेक्टेयर में खनिज चूना पत्थर का उत्खनिपट्टा क्षेत्र पर भू प्रवेश एवं कार्यनुमति हेतु आदेश जारी किया गया है। जबकि उक्त खदान हेतु दिनांक 16 सितंबर 2022 ग्राम मुड़पार में पर्यावरण विभाग भिलाई द्वारा रखी गई जनसुनवाई में उपस्थित समस्त ग्रामीणों, ग्राम पंचायत सरपंच एवं पंचगणों द्वारा खदान खोलने पर आपत्ति दर्ज करवाई गई थी। इसके बावजूद कलेक्टर कार्यालय द्वारा कार्यानुमति हेतु आदेश जारी किया गया है जो कि गांव एवं पर्यावरण के हित में नहीं है।

उपसरपंच भोजराम यादव ने बताया कि ग्रामीणों के आपत्ति के बाद भी उक्त स्थान पर उत्खनन की सूचना मिलने पर बड़ी संख्या में ग्रामीण मौके पर पहुंचे। जहां ग्रामीणों को खनन की अनुमति दिखाए जाने पर वे भी अचंभित रह गए। इसके बाद सभी वापस आ गए एवं उक्त खदान में उत्खनन आदेश रुकवाने कलेक्टर दुर्ग को ज्ञापन सौंपने कलेक्ट्रेट पहुंचे है। ग्रामीणों ने कहा उक्त खदान की कार्यनुमति निरस्त नही किए जाने पर ग्रामीण चक्का जाम आमरन अनशन करने मजबूर रहेंगे। ज्ञापन सौंपने वालों में मुख्य रूप से सरपंच किशन भारती, उपसरपंच भोजराम यादव, टीकाराम यादव, संतलाल महलवार, पुरन यादव, विनोद कुमार, ओमप्रकाश यादव, धनीराम, टाल सिंह, खिलेंद्र, झुकू पटेल, लक्ष्मण यादव, राजेंद्र, जगत राम सहित अन्य शामिल थे। यहां यह बताना लाजिमी है कि गांव में पहले से ही अनेक पत्थर खदान एवं क्रेशर मशीनें संचालित है। इनमें अनेक खदान एवं क्रेशर मशीनों की वजह से पूरा गांव धूल के गुबार में डूब जाता है इससे ग्रामीण पहले से ही परेशान हैं।


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