दुर्ग

भारतमाला परियोजना : किसानों ने दर्ज की ढाई सौ से ज्यादा दावा-आपत्तियां
23-Jul-2025 8:25 PM
भारतमाला परियोजना : किसानों ने दर्ज  की ढाई सौ से ज्यादा दावा-आपत्तियां

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

दुर्ग, 23 जुलाई। भारतमाला परियोजना सडक़ के लिए जमीन अधिग्रहण और मुआवजा के निर्धारण में गड़बड़ी मामले में जांच के निर्देश पश्चात किसानों ने दर्ज की ढाई सौ से ज्यादा दावा आपत्तियां प्रस्तुत की है प्रभावित किसानों की ओर से इन प्राप्त दावा आपत्तियों की भूअर्जन अधिकारियों की बजाय पृथक निष्पक्ष टीम द्वारा कराने मांग उठ रही है

जानकारी के अनुसार  जमीन अधिग्रहण और मुआवजे के निर्धारण की पूरी प्रक्रिया संबंधित अनुविभागीय कार्यालयों की माध्यम से कराई गई है। इस पर गड़बडिय़ों की शिकायतों पर राज्य शासन के जांच के निर्देश के बाद किसानों से दावा-आपत्तियां मंगाई गई है संभाग आयुक्त कार्यालय में किसानों ने 250 से ज्यादा दावा-आपत्तियां दर्ज कराई है।

भारत माला परियोजना के जमीन अधिग्रहण और मुआवजे के निर्धारण में व्यापक गड़बड़ी की शिकायतें प्रभावितों की ओर से आती रही हैं। रायपुर भारी गड़बड़ी की  खुलासे और जिले के किसानों की शिकायतों के मद्देनजर राज्य सरकार ने दुर्ग जिले में भी जांच के निर्देश दिए हैं। जिसके परिपालन में संभाग आयुक्त एसएन राठौर ने संबंधित भू-अर्जन अधिकारियों से अधिग्रहण और मुआवजे के निर्धारण से संबंधित मूल दस्तावेजों के आधार पर किसानों से दावा-आपत्ति मंगाया गया था।

किसानों का कहना है कि यदि दावा-आपत्तियों की जांच जिन भू अर्जन अधिकारियों ने गड़बड़ी की है उन्हीं से कराई गई तो गड़बडिय़ां उजागर नहीं हो पाएंगी इसलिए राजनांदगांव, दुर्ग, पाटन, अभनपुर और आरंग तहसील में दुर्ग रायपुर बायपास सडक़ भूअर्जन व मुआवजा निर्धारण संबंधी जांच पृथक, निष्पक्ष एवं पारदर्शी जांच टीमों द्वारा कराया जाना ही न्याय संगत होगा। किसानों का कहना है कि अधिग्रहण की कार्रवाई करने वाले अधिकारी बदले हैं, लेकिन अधिकतर कर्मचारी, पटवारी और आरआई अभी भी वही हैं।

प्रभावित किसान जे के वर्मा का कहना है कि जमीन के अधिग्रहण और मुआवजा के निर्धारण में अनुविभागीय कार्यालयों द्वारा मिलीभगत कर गड़बड़ी किया गया है दावा-आपत्तियों पर जांच व निराकरण उन्हीं कार्यालयों से कराया जाना संदेहास्पद है। तीसरे पक्ष से मामले की निष्पक्ष जांच कराया जाना चाहिए।

इन प्राप्त दावा-आपत्तियों के अलावा करीब 150 आर्बिटेशन के भी मामले हैं। ये उन भू-स्वामियों के मामले है, जिन्होंने पूर्व में संबंधित भू-अर्जन अधिकारियों अथवा जिला प्रशासन के अधिकारियों के समक्ष भू-अर्जन में गड़बड़ी अथवा मुआवजा निर्धारण पर असंतोष व्यक्त करते हुए शिकायतें दर्ज कराई थी। जिस पर संभाग आयुक्त के न्यायालय में आर्बिटेशन में जाने की सलाह दी गई थी।  यहाँ यह बताना लाजिमी है कि जमीन अधिग्रहण और मुआवजा के निर्धारण में गड़बड़ी के मामले की राज्य सरकार ने ईओडब्ल्यू से भी जांच कराने का एलान कर रखा है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सुशासन तिहार के दौरान संभाग मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान इसकी घोषणा की थी।


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