धमतरी

कुरूद में सुरेंन्द्र दुबे को दी श्रद्धांजलि
30-Jun-2025 5:53 PM
कुरूद में सुरेंन्द्र दुबे को दी श्रद्धांजलि

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

कुरुद, 30 जून। होली के कवि सम्मेलन में हर साल आकर अपनी हास्य रचनाओं से गुदगुदाने वाले पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे के निधन से क्षेत्रीय लोगों को गहरा दु:ख हुआ है। विधायक अजय चन्द्राकर, वन्दे मातरम समिति, प्रेस क्लब सहित विभिन्न संगठनों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की हैं।

शनिवार को कुरुद विधायक अजय चंद्राकर रायपुर स्थित उनके निवास में जाकर शोकसंतप्त परिजनों से भेंटकर अपनी संवेदनाएं व्यक्त की। उन्होंने कहा आज शब्द मौन हैं, व्यंग्य निर्वाक है और कविता शोकसागर में डूबी हुई है। हमने केवल एक देह को खोया है, लेकिन डॉ. सुरेंद्र दुबे की रचनाएं, उनके विचार और उनका प्रखर हास्यबोध सदा जीवित रहेंगे। पूर्व मंत्री श्री चन्द्राकर ने कहा कि श्री दुबे ने छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई। उनके व्यक्तित्व में गहराई, सरलता और व्यंग्य की धार एक साथ समाहित थी। वे केवल कवि नहीं थे, समाज के सजग द्रष्टा थे जिन्होंने हंसाते हुए भी समाज को आईना दिखाया। उनका योगदान युगों तक स्मृतियों में जीवित रहेगा।

इसी तरह नगर पंचायत एवं वन्देमातरम परिवार की ओर से कुरूद में श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया गया। वन्देमातरम परिवार प्रमुख भानू चन्द्राकर ने कहा सुरेन्द्र दुबे हमारे संस्था के आजीवन सदस्य रहे। उन्होंने कुरूद में लगातार 20 वर्षो तक अपनी कविताओं के माध्यम से नगर, क्षेत्र एवं जिलावासियों को हँसाया। पिछली होली में उन्होंने वादा किये था कि कुरुद के कवि सम्मेलन का रजत जयंती वर्ष बहुत धूम धाम से मनायेंगे लेकिन कका ने अपना वादा तोड़ दिया। नगर पंचायत अध्यक्ष ज्योति चन्द्राकर ने नगरवासियों की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा दुबे जी हमारे नगर और घर दोनों से ही जुड़े थे, वे जिंदादिल इंसान थे, घर में बैठे रहते तो भी हर पल हँसाते रहते थे, ईश्वर ने उन्हें हास्य दूत बनाकर हम सबके पास भेजा था, उनका जाना ग़मों के पहाड़ टुटने जैसे है।

रेस्ट हाउस में कुरुद प्रेस क्लब के संरक्षक कृपाराम यादव ने सभी पत्रकारों की भावनाओं को अपनी वाणी में समेटते हुए कहा कि हास्य और व्यंग्य के मंच पर जिनकी रचनाएं केवल तालियां नहीं, सोच भी पैदा करती थीं। ऐसे अद्भुत साहित्यकार का यूं चले जाना छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक चेतना के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके चले जाने से प्रदेश के साहित्य जगत में गहरा सन्नाटा छा गया है। उनके परिजनों को भगवान इस दु:ख को सहने की शक्ति प्रदान करें। अंत में सभी ने दो मिनट मौन धारण कर साहित्य, कला और संस्कृति से जुड़े साधक को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।


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