धमतरी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नगरी, 11 सितंबर। सप्तर्षि क्षेत्र नगरी सिहावा के ग्राम मोदे के सामान्य परिवार का हीरालाल 50 वर्ष बाद योग साधना के बल पर योग गुरु स्वामी विश्वज्योति सरस्वती धारण कर गृह ग्राम लौटे। ऋषि पंचमी पर दिनेश्वरी नेताम जनपद अध्यक्ष नगरी और महेन्द्र नेताम सरपंच मुनईकेरा ने स्वामीजी के दर्शन कर आशीर्वाद लिये। स्वामीजी ने उन्हें योग और संस्कार शिक्षा को बढ़ावा देने पर काम करने कहा। वर्तमान युवा पीढ़ी को झूठ, फरेब और भटकाव से बचाने योग और संस्कार को जरूरी बताया।
स्वामीजी ने बताया कि उनका जन्म ग्राम मोदे के एक साधारण परिवार बाबूलाल कश्यप और बृजबाई कश्यप के घर 4 जून1950 को हुआ। बचपन से आध्यात्म में रूचि के कारण गायत्री परिवार से जुड़ गये। बचपन के मित्र ब्रम्हानंद के साथ तीन साल तक 3 लाख गायत्री मंत्र का जाप किया। एक 16 साल के युवा को आध्यात्म ने अपनी ओर खींच कर मुंगेर आश्रम बिहार पहुँचा दिया। 7 वीं तक की शिक्षा नगरी के श्रृंगी ऋषि स्कूल में की। इंटर कालेज की पढाई अंग्रेजी माध्यम से भारत मंदिर ऋषिकेश से की। स्वामी जी मोदे के स्कूल में न्यौता भोज में शामिल हुए।