दन्तेवाड़ा

सांस्कृतिक और पारंपरिक धरोहर को भी जीवित रखती है जैविक खेती-विधायक
07-Dec-2024 10:27 PM
सांस्कृतिक और पारंपरिक धरोहर को भी जीवित रखती है जैविक खेती-विधायक

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

दंतेवाड़ा, 7 दिसंबर। ऑर्गेनिक दंतेवाड़ा कॉन्क्लेव के द्वितीय दिवस जावंगा स्थित ऑडिटोरियम में विधायक चैतराम अटामी ने कहा कि यह हर्ष का विषय है कि जिले में प्रथम बार ऑर्गेनिक दंतेवाड़ा कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया है। इस आयोजन से न केवल हमारे जिले के जैविक किसानों की उपलब्धियों को सम्मानित किया गया। परंपरागत खेती के महत्व और उसकी परंपरागत विरासत को दर्शाया गया है। जैविक खेती कृषि की एक स्वस्थ और पर्यावरण-अनुकूल विधि है, साथ ही यह हमारी सांस्कृतिक और पारंपरिक धरोहर को भी जीवित रखती है।

श्री अटामी ने किसानों की सराहना करते हुए यह संदेश दिया है कि वे जिले के गौरव को बढ़ा रहे हैं। दंतेवाड़ा जिले में जैविक खेती की परंपरा हमारे पूर्वजों के समय से चली आ रही है। इस क्षेत्र की विशेषता और पहचान है। इस प्रकार के आयोजन से  न केवल किसानों को प्रोत्साहित करते हैं। अन्य लोगों को भी इस दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित करते हैं। जैविक खेती को बढ़ावा देने से न केवल पर्यावरण संरक्षण होगा। स्वस्थ जीवनशैली और समृद्ध कृषि अर्थव्यवस्था की ओर भी यह एक सकारात्मक कदम है।

 उन्होंने आगे कहा कि जिले में अंधाधुंध भूमिगत जल दोहन करने के दुष्परिणामों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि अत्यधिक बोर खनन से जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा है। अत: हमें घर -घर कुएं के निर्माण को बढ़ावा देना होगा। इसके साथ ही उन्होंने गोवंश पालन के महत्व को बताते हुए कहा कि जैविक खाद का प्रमुख स्त्रोत गोवंश ही है अत: गायों सहित अन्य पशुओं को घुमन्तू न बनाए। राज्य शासन द्वारा किसानों के हित में प्रारंभ की गई योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि शासन किसानों के सम्मान के लिए प्रतिबद्ध है। इसके साथ ही उन्होंने विभिन्न प्रदेशों से आए जैविक कृषि विशेषज्ञों को आने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि जैविक कृषि विशेषज्ञ पद्मश्री भारत भूषण त्यागी ने भी प्रेरक उद्बोधन दिया। ज्ञात हो कि बुलंदशहर उत्तर प्रदेश के निवासी श्री त्यागी भारतीय किसान शिक्षक और प्रशिक्षक है। जिन्होंने जैविक कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है।

 जिसके लिए भारत सरकार द्वारा पद्मश्री अवार्ड से नवाजा गया है।

उनका कहना था कि कृषकों की आर्थिक विकास जैविक कृषि से ही संभव है। इसके अलावा हमें बहु फसलीय पद्धति का भी अनुकरण करना होगा। यदि पूरी समझदारी से जैविक कृषि के नियमों को सीखा जाए तो फसल उत्पादन में बढ़ोतरी निश्चित है। इसके साथ ही भारत सरकार द्वारा प्रमाणीकरण भी नि:शुल्क किया गया है। कृषकों को अपने जैविक उत्पादन के साथ उसके प्रसंस्करण प्रक्रिया भी अपनानी पड़ेगी। कुल मिलकर कृषि का लाभकारी व्यवसाय में बदलना इसका अंतिम उद्देश्य है। उत्तर प्रदेश और यहां के कृषि परिदृश्य की तुलना करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के मुकाबले यहां जैविक कृषि के लिए अधिक अनुकूल अवसर है। यहां के प्राकृतिक संसाधन और भूमि के चलते यह क्षेत्र जैविक कृषि हेतु पूर्णतया अनुकूल है।

इस अवसर पर जिला पंचायत सदस्य रामू राम नेताम, कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी और विशेषज्ञ प्रमुख रूप से मौजूद थे।


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