दन्तेवाड़ा

मांगों को लेकर बस्तरिया राज मोर्चा ने राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा
11-Nov-2024 10:25 PM
मांगों को लेकर बस्तरिया राज मोर्चा ने राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बचेली, 11 नवंबर। दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा तीनों जिला के मध्य स्थित तराल मेट्टा पहाड़ को आरती स्पंज द्वारा बिना ग्राम सभा सहमति के खदान उत्खनन करने एवं कड़मपाल बैनपाल के मध्य स्थित के्रशर गिट्टी खदान के लिए होने वाली लोक सुनवाई का विरोध बस्तरिया राज मोर्चा ने किया। साथ ही 7 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदेश के राज्यपाल के नाम ज्ञापन बचेली एसडीएम कमल किशोर को सौपा गया।

सोमवार को बस्तरिया राज मोर्चा द्वारा एसडीएम कार्यालय पहुंच बस्तर संभाग में दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा तीनो जिला के गंभीर समस्याओ को लेकर अवगत कराते हुए ज्ञापन दिया तथा प्रदर्शन करते राज्य व केन्द्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। डीएसपी गौरव कुमारत हसीलदार जीवेश शोरी एवं बचेली थाना प्रभारी मधुनाथ धु्रव किंरदुल प्रभारी पीआर साहु अपने दलबल के साथ उपस्थित रहे।

 बस्तरिया राज मोर्चा ने कहा कि संभाग के तीनों जिला में हमारा देश आजाद होने के बाद भी जिला के समस्त आदिवासी आज भी पूंजीपति वर्ग व अत्याचार, अन्याय, आतंक जैसे शोषक वर्गों के गुलाम है। आदिवासियों की जल, जंगल, जमीन व आदिवासी अस्तित्व खतरे है। तीनों जिला के मध्य स्थित तराल मेट्टा पहाड़ को आरती स्पंज कंपनी द्वारा बिना ग्राम सहमति के पहाड़ में खदान उत्खनन करने के लिए भूमि पूजन किया गया है। किनके सहमति व दिशा निर्देश पर खदान चालू करने के लिए पूजा की गई है। तत्काल इसका जांच कर भूमिपूजन करने वाले और फर्जी सहमति देने वालो को कड़ी कार्रवाई कर दंडित करते हुए फर्जी सहमति दस्तावेज प्रस्ताव को निरस्त किया जाये।

जिला के कड़मपाल बैनपाल किरंदुल बस्ती के मध्य स्थित क्रेशर कुवारी गिट्टी खदान का 28 नवंबर को किरंदुल नगर पालिका फुटबॉल मैदान में लोक सुनवाई पर्यावरण मंडल जगदलपुर द्वारा आयेािजत किया जा रहा है। उसे तत्काल निरस्त किया जाये, क्येाकि जब तक उस पहाड़ का गिट्ी खदान का रॉयल्टी तीनो गांवो के लिए आरक्षित शासन प्रशासन के द्वारा नही की जाती, तब तक के लिए गिट्टी खदान बंद रखना होगा। यह पहाड़ का खदान संपत्ति गांव वालो का है, नगर का नहीं है।

संभाग के अंदर नक्सलवाद के नाम से फर्जी केस लगाकर निर्दोष आदिवासियों को जेलों में बंद रखा गयाहै।

उन्हें दोष मुक्त नि:शर्त रिहाह किया जाये और आदिवासियों को शक के तौर पर पुलिस प्रशासन द्वारा प्रताडि़तत किया जाता है, उसे तत्काल बंद किया जाये। संभाग के अंदर बसे अज्ञात लोगों की जांच की जाये। बस्तर संभाग आदिवासियों का बहुल व पंाचवी अनुसूची क्षेत्र है। क्षेत्र में आदिवासियों की जल, जंगल, जमीन को गैर आदिवासियो को खरीदी बिक्री वर्जित है और जो लोग आदिवासियों को चंगुल में फंसाकर जमीन ले रहे हैं, उन पर कार्रवाई हो।

गांव की पारंपरिक नक्शा के अनुसार गांव के नाम से पट्टा दिया जाये। दूरस्थ गावों में महिलाओं को पद में आरक्षित कर पद देने के कारण गांव के विकास कार्य नही हो पा रहा है क्योंकि महिलाएं जनहित व विकास कार्य के प्रति भाग दौड़ करने में असफल है। इसलिए गांवों में पढ़े-लिखे शिक्षित पुरूष वर्ग को ही पंचायत पदों में पद आरक्षित किया जाए। नगर व शिक्षित क्षेत्र में महिलाएं काम कर सकती हैं, पर दूर अचंल गांवा में नहीं है। उपरोक्त सभी 7 मांगें ज्ञापन में शामिल है।


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