बस्तर
आचार्य श्री महाश्रमण का जगदलपुर में दूसरा दिन, जैन समाज में उत्साह का माहौल
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 23 जनवरी। आदमी दुनिया में सुखी कैसे बन सकता है सुखी कैसे रह सकता है इस प्रश्न का समाधान है कि अपने आप को तपाकर सुकुमारता को छोड़ो। जो व्यक्ति थोड़ी सी भी कठिनाई नहीं झेल सकता वह थोड़े में दुखी हो जाता है। और जो खुद को तपा लेता है भले कोई शारीरिक छोटी-मोटी कठिनाई हो या कोई वैचारिक उलझन हो, ऐसी स्थितियों को झेलने का सामथ्र्य रखता है, वह सुखी बन सकता है। हमारा रास्ता अच्छा होना चाहिए। उपरोक्त उद्गार अहिंसा के प्रणेता आचार्य श्री महाश्रमण जी ने धर्म सभा के दौरान व्यक्त किए।
आचार्य श्री का आज जगदलपुर प्रवास का द्वितीय दिवस। इतने वर्षों में पहली बार तेरापंथ के आचार्य का जगदलपुर में ससंघ पदार्पण पर संपूर्ण जैन समाज में एक विशेष उत्साह का माहौल है। अन्य समुदायों से भी बड़ी संख्या में लोग शांतिदूत के दर्शन कर आशीर्वाद ग्रहण करने पहुंच रहे हैं।
गुरुदेव के सान्निध्य में आज तेरापंथ दर्शन कार्यशाला एवं शनिवार सायं 7 बजे से 8 बजे तक सामायिक भी समायोजित है। मंगल देशना देते हुए आचार्य श्री ने आगे कहा कि जो व्यक्ति कठिनाइयों से डर कर कार्य शुरू ही नहीं करता वह निम्न श्रेणी का होता है। कार्य शुरू कर दें और फिर डरकर जो उसे छोड़ दे वह मध्यम श्रेणी का और जो व्यक्ति कठिनाइयों में भी निष्ठा से कार्य करता है छोड़ता नहीं है और लक्ष्य तक पहुंचाता है वह उत्तम श्रेणी का होता है। कठिनाइयों को झेलेंगे तो जीवन में परिपक्वता, मजबूती आ पाएगी। सुविधावादी वृत्ति नहीं होनी चाहिए। कामनाओं का त्याग करो दुख भी खत्म हो जाएगा। जीवन में उपयोगिता का विकास हो यह जरूरी है।
तत्पश्चात जगदलपुर के सभी तेरापंथी परिवारों को आचार्य वर ने सम्यक्त्व दीक्षा प्रदान की। आचार्य वर के उद्बोधन से पूर्व मुख्यमुनि महावीर कुमार जी ने वक्तव्य में कहा- अहिंसा यात्रा का जगदलपुर में प्रवेश हुआ तो हर जाति, वर्ग का व्यक्ति आचार्य वर का स्वागत कर रहा था।
मुख्य नियोजिका साध्वी विश्रुत विभा जी ने कहा- आचार्य श्री महाश्रमण पहले आचार्य है, जो इस क्षेत्र में विचरण कर रहे हैं। तेरापंथ धर्मसंघ के इतिहास में एक नवीन पृष्ठ जुड़ गया है। जगदलपुर आए और यहां देखा कि धर्म की कितनी प्रभावना हो रही है। जगदलपुर वासी सौभाग्यशाली है, जो ऐसे जन-जन को आलोकित करने वाले महासूर्य स्वयं यहां पधारे हैं।
साध्वीवर्या संबुद्धयशा जी ने कहा कि गुरुदेव की साधना में ऊंचाई और आचरण में गहराई है। दिल्ली से शुरू हुई इस यात्रा में कितने राज्यों का स्पर्श करते हुए यहां जगदलपुर में आना हुआ है। सभी आचार्य श्री की सेवा-उपासना से अपने जीवन को धन्य बनाने का प्रयास करे। सभा में मुनि जिनेश कुमार जी ने भी वक्तव्य दिया। मंच संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया। आचार्य श्री का कल का संभावित प्रवास संस्कार गुरुकुल इंटरनेशनल स्कूल, चिदैपदर में रहेगा।