भीषण गर्मी में धान की पैदावार से खड़ा हुआ जलसंकट, बीते साल की तुलना में 32 फीसदी रकबा घटा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 16 अप्रैल। इस साल पड़ रही भीषण गर्मी में शिवनाथ नदी के तटीय इलाकों में हो रही धान की खेती भी बढ़ते जलसंकट के पीछे एक बड़ा कारण बनी है। शिवनाथ के उद्गम स्थल से लेकर बहाव वाले मार्ग में बसे गांवों में इन दिनों बेहिसाब तरीके से फसल के लिए पानी खर्च किया जा रहा है।
धान की फसल के लिए गर्मी का मौसम अब पहले जैसा अनुकूल नहीं रह गया है। बड़े किसान सालभर में तीन फसल लेते आ रहे हैं। अब गिरते भू-जलस्तर और नदी-नालों में सूखेपन से धान की उपज से जलसंकट खड़ा हो गया है। यही कारण है कि ग्रीष्मकालीन फसल में धान की खेती के बजाय प्रशासन अन्य फसलों पर जोर दे रहा है। किसानों को बकायदा प्रोत्साहित भी किया जा रहा है, लेकिन शिवनाथ नदी के तटीय गांवों के किसान नदी में भरपूर पानी होने का फायदा अपने उपज के लिए कर रहे हैं। जिसका सीधा असर शहरी इलाकों के बाशिंदों के जीवन पर पड़ रहा है।
एक जानकारी के मुताबिक इस साल 6 हजार 348 हेक्टेयर में धान की पैदावार की जा रही है। जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 9 हजार 336 था । यानी इस साल 32 फीसदी रकबा घट गया है। धान की उपज के लिए पानी की ज्यादा खपत होती है। कृषि विभाग के मुताबिक एक किलो धान के लिए लगभग 2 हजार लीटर पानी खर्च होता है। बारिश के मौसम में भी धान की फसल के लिए किसान जमीनी जल का इस्तेमाल करते हैं। बारिश थमने के बा फसलों को खड़ा करने के लिए भू-जल का उपयोग करना किसान जरूरी समझते हैं। यही कारण है कि धान की फसल से सीधा भू-जल में गिरावट आई है।
इस संबंध में कृषि विभाग के उप संचालक नागेश्वर पांडे ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि किसानों को ग्रीष्मकाल में मक्का और अन्य फसल लेने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि धान की खेती बढ़ते जलसंकट की वजह से अब गर्मी के मौसम में विपरीत हो गई है। उधर तटीय इलाकों में किसानों को शिवनाथ नदी के पानी के दुरूपयोग नहीं करने के लिए प्रशासन ने चेतावनी भी दी है। बताया जा रहा है कि शिवनाथ नदी से पंपों के जरिये सीधे खेतों में पानी पहुंचाया जा रहा है। जिसके चलते कस्बाई इलाकों के एनीकट में पर्याप्त पानी नहीं रह गया है।
प्रशासन की अपील बेअसर
भीषण गर्मी और जलसंकट के बीच कृषि विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों ने किसानों से गर्मी के मौसम में धान की फसल के बजाय अन्य फसल लेने की अपील की थी। साथ ही प्रशाासन द्वारा अन्य फसलों के लिए सब्सिडी समेत अन्य सुविधाओं की जानकारी भी दी थी। इसके बाद भी नदी किनारे स्थित खेतों में गर्मी के मौसम में धान की फसल लेने किसान गुरेज नहीं कर रहे हैं। ऐसे में प्रशासनिक अधिकारियों की अपील को दरकिनार कर किसान धान की फसल ले रहे हैं।
नदियों का जलस्तर गिरा
मार्च माह के अंतिम सप्ताह में जीवनदायिनी शिवनाथ नदी का जलस्तर कम होने से जहां लोगों के बीच जलसंकट गहरा गया है। वहीं नगर निगम प्रशासन और प्रशासनिक अधिकारी भी शहर की प्यास बुझाने परेशान नजर आए। हालांकि नगर निगम के अधिकारियों ने मटियामोती जलाशय से पानी मंगाई और शहरवासियों को राहत दी। पानी बचाने के उद्देश्य से निगम प्रशासन ने एक दिन के अंतराल में शाम को जल सप्लाई करने का फरमान जारी किया है। इससे परे शिवनाथ नदी में मटियामोती जलाशय से पानी लिया जा रहा है। बताया जा रहा है कि अगले 20 दिन के लिए मटियामोती के पानी से शहर की प्यास बुझाने का बंदोबस्त है। इसके बाद मोंगरा जलाशय से पानी की आपूर्ति की जाएगी।