‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पिथौरा, 23 मार्च। पंचायत सचिव संघ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष पुनीत सिन्हा ने सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए ऐलान किया कि यदि 31 मार्च तक मांगें नहीं मानी गईं तो 1 अप्रैल को सचिव बड़ी संख्या में नवा रायपुर स्थित मंत्रालय का घेराव करेंगे।
ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ में पंचायत सचिवों का आंदोलन अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है। 16 मार्च से जारी अनिश्चितकालीन हड़ताल ने प्रदेशभर में पंचायत विभाग का कामकाज पूरी तरह ठप कर दिया है।
पंचायत सचिव संघ द्वारा जारी प्रेस नोट में बताया गया है कि सरकार की बेरुखी के चलते पंचायत सचिवों को शासकीय कर्मचारी का दर्जा अब तक नहीं मिल सका है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष पुनीत सिन्हा ने बताया कि 1995 में पंचायत सचिवों की नियुक्ति मात्र 500 रुपये मानदेय पर हुई थी। समय के साथ पंचायत राज व्यवस्था के तहत उनके कार्यभार में बेतहाशा वृद्धि हुई, लेकिन वेतन और सुविधाओं में मामूली सुधार ही हुआ।
श्री सिन्हा ने शिक्षा कर्मियों और पंचायत सचिवों की तुलना करते हुए बताया कि दोनों की नियुक्ति एक ही समय में हुई थी, लेकिन शिक्षा कर्मियों को शिक्षा विभाग में संविलियन का लाभ मिला, जबकि पंचायत सचिवों को अब तक सरकारी कर्मचारी का दर्जा नहीं मिल पाया। पंचायत सचिव ग्रामीण स्तर पर 22 विभागों के महत्वपूर्ण कार्यों को संचालित कर रहे हैं। योजनाओं के क्रियान्वयन से लेकर पंचायत स्तर पर विकास कार्यों की जिम्मेदारी निभाने वाले ये सचिव बेहद कम वेतन में काम करने को मजबूर हैं। यही कारण है कि अब वे आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं।
सचिवों पर दमन का प्रयास, लेकिन आंदोलन जारी
सचिव संघ ने कहा कि पंचायत विभाग के संचालक द्वारा 24 घंटे के भीतर हड़ताल खत्म करने और ड्यूटी पर लौटने का आदेश जारी किया गया है, जिससे सचिवों में आक्रोश बढ़ गया है। संघ ने इसे आंदोलन कुचलने की साजिश बताते हुए कहा है कि सरकार को इस तरह की दमनकारी नीति अपनाने के बजाय सचिवों की मांगों को पूरा करना चाहिए।