महासमुन्द

एक वो दिन था जब घर आंगन में नन्हीं गौरैया फुदकती थी...अब की बार आए तो उनके लिए दाना-पानी की व्यवस्था जरूर करना
20-Mar-2025 3:22 PM
 एक वो दिन था जब घर आंगन में नन्हीं गौरैया फुदकती थी...अब की बार आए तो उनके लिए दाना-पानी की व्यवस्था जरूर करना

दो कदम प्रकृति की ओर के सदस्यों ने गौरैया को फिर से घर वापसी का जिम्मा लिया

अब तक 13 से ज्यादा राज्यों में भेज चुके हैं मिट्टी के घोंसले

‘छत्तीसगढ़ ’ संवाददाता
महासमुंद, 20 मार्च।
आज विश्व गौरैया दिवस है। लिहाजा एक ऐसे पक्षी प्रेमी टीम के बारे में बताने जा रहे हंै, जो पक्षियों के संरक्षण की दिशा में नेक कार्य कर रहे हैं। यह टीम प्रकृति का संतुलन बनाए रखने के लिए नए-नए कदम बढ़ाती है। यह सच है कि एक वो दिन था जब हमारे घर आंगन में चूं-चूं करती नन्ही प्यारी गौरैया फुदकती थी। पर अब यह नजारा बहुत ही कम देखने को मिलता हैं। बढ़ते प्रदूषण,पेड़ों की कटाई, घरों के बनावट में बदलाव, कीटनाशक का अंधाधुध प्रयोग जैसे कारणों से गौरैया हमसे दूर होती जा रही हैं। इसे देखते हुए खल्लारी विस के ग्राम आमाकोनी महासमुंद की टीम दो कदम प्रकृति की ओर के सदस्यों ने गौरैया को फिर से घर वापसी का जिम्मा लिया। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खल्लारी के फ ार्मासिस्ट और दो कदम प्रकृति की ओर समिति संगठन के संचालक संजय साहू आमाकोनी ने बताया कि इसकी शुरूआत गौरैया को घोसला बनाने के लिए उचित जगह देने से हुआ। ताकि गौरैया को आवासीय संकट ना हो। बसेरा के रूप में ज्योति कलश का उपयोग गौरैया को घोसला बनाने के लिए किया गया। अब टीम के द्वारा मिट्टी से बना बसेरा तैयार किया जा रहा है जो गौरैया के घोसला बनाने के लिए अनुकूल हैं। 

इस बसेरा को छग के साथ भारत के अन्य राज्यों मसलन उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार, ओडि़शा, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक,केरल और तमिलनाडु के साथ-साथ भारत के अन्य राज्यों में भी भेजा जा चुका है। दो कदम प्रकृति की ओर टीम इस घोसला को हर ग्राम गौरैया ग्राम अभियान के माध्यम से भारत के सभी गांवों में भेजना चाहती है। इनकी अपील है कि गौरैया आपके भी छतों और खिड़कियों में आती है। अब की बार आएगी तो उनके लिए दाना और पानी की व्यवस्था जरूर करना। 
 

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