महासमुन्द

ईसीजी-सोनोग्राफी-एक्सरे मशीनें खराब, लेबोरेट्री में सीबीसी-आरएफटी-एलईटी जांच भी बंद
20-Mar-2025 3:20 PM
 ईसीजी-सोनोग्राफी-एक्सरे मशीनें खराब, लेबोरेट्री में सीबीसी-आरएफटी-एलईटी जांच भी बंद

महासमुंद जिला अस्पताल से हार्ट के गंभीर मरीजों को लौटना पड़ रहा

महासमुंद, 20 मार्च। मेडिकल कॉलेज सह जिला अस्पताल की अनेक आवश्यक मशीनें इस वक्त खुद बीमार हो चली हैं। जिले का सबसे बड़ा यह अस्पताल जिले भर के लोगों का इलाज करता है लेकिन पिछले 3 दिनों से यहांकी इलेक्ट्रो कॉर्डियोग्राम ईसीजी मशीन खराब पड़ी है जिसे अभी तक सुधारानहींजा सका है। फलस्वरूप यहां आने वाले हृदय रोग मरीजों को हलाकान होना पड़ रहा है। ऐसे मरीजों को मजबूरीवश अधिक दाम देकर निजी अस्पतालों में जाकर ईसीजी कराना पड़ रहा है। ओपीडी में पर्ची कटाने के बाद कल ईसीजी कराने पहुंचे अनेक मरीजों को बिना जांच कराए ही वापस लौटना पड़ा। 

इसके अलावा अस्पताल के लैबोरेट्री में आवश्यक दवाएं नहीं होने की वजह से सीबीसी, आरएफटी, एलईटी सहित अनेक जांच भी बंद है। अत: इन जांचों के लिये प्राइवेट लैब में अधिक दाम देकर जांच कराने मरीज मजबूर हैं।

गौरतलब है कि पहले ही सोनोग्राफी कराने के लिये यहां पहुंचने वाले मरीजों को 20 दिनों से 1 माह तक के लिए वेटिंग करना पड़ रहा है। लंबे समय से सोनोग्राफी के लिए लंबी प्रतीक्षा का निराकरण आज तक नहीं हो पाया है कि अब ब्लड जांच तथा ईसीजी की समस्या शुरू हो गई है। 

यहां के मेडिकल कॉलेज में लंबे समय से एक ही रेडियोलाजिस्ट के भरोसे काम चलाया जा रहा था। अब उनका भी यहां से ट्रांसफर हो चुका है। लेकिन फिलहाल उन्हें रिलीफ  नहीं किया गया है। मिली जनकारी के अनुसार मेडिकल कॉलेज बनने के बाद भी यहां मरीजों को मेडिकल सुविधाएं संतोषजनक नहीं मिल पा रही है। महज मौसमी बीमारियों को छोड़ दें तो गंभीर बीमारियों को लेकर आज भी मरीज मेडिकल कॉलेज में लगातार मशीनें खराब होने की कतार में अब डिजीटल एक्सरे मशीन भी खड़ी हो गई है।

फलस्वरूप एक्सरे विभाग में काम करने वाले कर्मचारियों तथा मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यहां अब जैसे-तैसे मेनुअल मशीन (पानी से फिल्म धोने वाली मशीन) से काम चलाया जा रहा है। यहां कार्य करने वाले तकनीशियनों का कहना है कि डिजीटल मशीन ऑपरेट करने की आदत बन चुकी है। ऐसे में मेन्युअल मशीन पर काम करने में असुविधाएं हो रही है। इस मैन्युअल मशीन में केवल चेस्ट का एक्सरे सही आ रही है। अन्य अंगों की फिल्म स्पष्ट नहीं आ रही है। बताया गया कि हाल ही मशीन को सुधारा गया था। लेकिन मात्र 90 एक्सरे होने के बाद मशीन ने दम तोड़ दिया। बहरहाल अब भी जिले के मरीज प्राइवेट अस्पतालों पर ही निर्भर है। मेडिकल कॉलेज में पदस्थ चिकित्सक जिन जांचों को लिख रहे हैं, उन जांचों से संबंधित मशीनें ही यहां जवाब दे चुकी है। अस्पताल के चिकित्सकों के अनुसार ईसीजी मशीन की सुधार के लिये सीजीएमएससी को आवेदन लिखा जा चुका है।

1-2 दिनों के भीतर मशीन सुधर जाएगी
डॉ.बसंत माहेश्वरी एमएस, मेकाहाम का कहना है कि 1-2 दिनों के भीतर मशीन सुधर जाएगी। मशीन जांच के बाद गलत रिपोर्ट दे रही थी। फिलहाल हार्ट पेसेंट की जांच बंद कर दी गई है। डिजीटल एक्सरे मशीन को सुधारा गया था।

लेकिन 2 दिनों से फि र खराब है। मैन्युअल से काम किया जा रहा है। ओपीडी की ईसीजी खराब है। कल नई इसीजी मशीन लगा दी जाएगी। लैब में कुछ  केमिकल की कमी थी। फलस्वरूप थोड़ी सुविधाएं प्रभावित थी। कल इस पर भी विचार किया जाएगा।

 

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