‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा राजिम, 17 मार्च। जन जागृति मंच के तत्वावधान में ग्राम पंचायत घोंट में पिछले दिनों अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन किया गया, जिसमें पांच ग्राम पंचायत (घोंट,हसदा,गिरोला,पारागाँव,आलेखुटा )के पंचायत प्रतिनिधि, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन, समता सैनिक दल के सदस्य, विहान समूह के सदस्य व किशोर किशोरियां शामिल हुर्इं।
कार्यक्रम का शुभारंभ संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर व सावित्री बाई फुले के छायाचित्र की आरती व पुष्प अर्पित कर किया गया। कार्यक्रम में नव निवार्चित महिला पंचायत प्रतिनिधि एवं महिला समूह की अध्यक्ष,सचिव महिलाओं को गुलाल लगाकर श्रीफल से सम्मानित किया गया।
जन जागृति मंच की संचालिका अजीत एक्का ने कहा कि विश्व महिला दिवस विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्रेम प्रकट करते हुए, महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों एवं कठिनाइयों की सापेक्षता के उपलक्ष्य में उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। यह दिवस, महिलाओं की उपलब्धियों का सम्मान करने, उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और महिला-पुरुष समानता को बढ़ावा देने के प्रति स्वयं को समर्पित करने का अवसर है। इस सम्मेलन का विषय ‘नारी नेतृत्व से विकसित भारत’अत्यंत प्रासंगिक है। पंच मधु सोनवानी ने कहा कि महिला ही संसार की जननी है महिला को सविधान में मतदान करने का अधिकार दिया गया है यह वो अधिकार है जिससे आज महिला अपने ग्राम की पंच से लेकर राष्ट्रपति तक बन रही हैं।
भावेश देवांगन ने कहा कि आप सभी से निवेदन करना चाहता हू की बेटी और बेटा में कोई भेदभाव नही करना चाहिए,दोनों को सामान अधिकार देना चाहिए।
जन जागृति मंच के कार्यकर्ता हेमलता ने कहा कि हम किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है इस लिए हमें जीने दे हमें दुनिया में आने से न रोके बेटियों है तो कल है।
परमेश्वर तारक ने कहा - ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता’, यानी जहां पर नारी का सम्मान होता है, वहां देवताओं का वास होता है। नारी को हर स्थान में पूज्नीय माना जाना चाहिए। प्रिंस कुमार ने कहा कि कार्यक्रम में शामिल महिलाओं किशोर किशोरियों का संस्था जन जागृति मंच के तारफ से धन्यवाद और नारी शक्ति जिंदाबाद के नारा के साथ कार्यक्रम की समापन की घोषणा किये।
कार्यक्रम में नीता यादव,पूजा सोनवानी,सोहाद्रा सोनवानी,मुन्नी सोनवानी,रामेश्वरी साहू व ग्रामवासियों का विशेष योगदान रहा।