दन्तेवाड़ा

सडक़ पर जन्मदिन मनाने वाले कारोबारी पर अपराध दर्ज, हाईकोर्ट में पुलिस ने दिया हलफनामा
07-Feb-2025 6:05 PM
सडक़ पर जन्मदिन मनाने वाले कारोबारी पर अपराध दर्ज, हाईकोर्ट में पुलिस ने दिया हलफनामा

मुख्य सचिव को जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय मिला

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बिलासपुर, 7 फरवरी। रायपुर में सार्वजनिक सडक़ पर जाम लगाकर बेटे का जन्मदिन मनाने वाले कारोबारी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत एफआईआर दर्ज कर ली गई है। राज्य सरकार ने गुरुवार को यह जानकारी दी। इससे पहले, इस मामले में केवल 300 रुपए का जुर्माना लगाए जाने की बात सामने आने पर हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई थी। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने इस लचर कार्रवाई पर सख्त रुख अपनाते हुए मुख्य सचिव से शपथ पत्र मांगा था। अब, मुख्य सचिव को अपना जवाब प्रस्तुत करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया है।

मालूम हो कि 29 जनवरी को रायपुर में एक कारोबारी ने अपने बेटे के जन्मदिन का जश्न सडक़ पर मनाया, जिससे यातायात बाधित हो गया। सडक़ के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया और राज्य सरकार से जवाब तलब किया।

गुरुवार को रायपुर के एडिशनल एसपी ने शपथ पत्र प्रस्तुत कर बताया कि पुलिस ने 4 फरवरी को राकेश राजगढिय़ा की शिकायत पर वाहन मालिक रोशन पांडेय, उसके बेटे और अन्य लोगों के खिलाफ भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 126(2) और 3(5) के तहत दीनदयाल नगर थाने में मामला दर्ज किया है। वहीं, मुख्य सचिव की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा गया है। हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 20 फरवरी तय की है।

हाईकोर्ट ने इस मामले में पुलिस की निष्क्रियता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। अदालत ने कहा कि ‘ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस इतनी असहाय थी कि सडक़ पर अराजकता फैलाने वालों को रोकने तक की हिम्मत नहीं जुटा सकी।’ कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सडक़ सार्वजनिक संपत्ति है और किसी व्यक्ति को इसे निजी उपयोग में लेने का अधिकार नहीं है।

न्यायालय ने कहा कि सडक़ों का उपयोग अब केवल मनोरंजन और सोशल मीडिया पर लाइक्स व व्यूज बटोरने के लिए किया जा रहा है। असामाजिक तत्वों के लिए यह नया ट्रेंड बन गया है, जिसे रोकने में पुलिस विफल रही है। कल्पना कीजिए, अगर उस समय कोई एम्बुलेंस जाम में फंस जाती और मरीज की सडक़ पर ही मौत हो जाती तो कौन जिम्मेदार होता?

ऐसा लगता है कि कानून केवल गरीबों और असहायों पर ही लागू होता है, जबकि प्रभावशाली लोग मनमानी करते हैं।

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