‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर, 8 जनवरी। जिले में 31 जनवरी 2025 तक धान खरीदी का अंतिम समय तय है, लेकिन किसानों के खेतों में धान की कमी के बावजूद समितियों में बढ़ती धान की आवक ने प्रशासन को सतर्क कर दिया है। इस बार धान खरीदी प्रक्रिया में सख्ती बरती गई है, फिर भी राइस मिलरों द्वारा धान की रीसाइक्लिंग और इसे समितियों में खपाने की शिकायतें सामने आ रही हैं।
गड़बड़ी की आशंका बढ़ी
सहकारी संस्थाएं के एआर श्री पैकरा ने बताया कि कई खरीदी केंद्रों का निरीक्षण किया गया है, जहां अब तक पिछले साल की तुलना में समान मात्रा में धान खरीदा जा चुका है। उन्होंने कहा, ऐसी शिकायतें हैं कि राइस मिल से धान रीसाइक्लिंग कर समितियों में लाया जा रहा है। इसे रोकने के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
समितियों के लिए
चुनौती बनी गड़बड़ी
गड़बडिय़ों के चलते समितियों के लिए यह एक बड़ी समस्या बन गई है। खासकर, धान की गुणवत्ता और स्रोत की पहचान करना अब बेहद जरूरी हो गया है।
ऑनलाइन टोकन प्रणाली का दुरुपयोग
धान बेचने के लिए शुरू की गई ऑनलाइन टोकन प्रणाली में भी गड़बड़ी की आशंका जताई जा रही है। बताया जा रहा है कि कुछ लोग घर बैठे फर्जी तरीके से टोकन कटवा रहे हैं और राइस मिलों से लाए गए धान को खपाने की कोशिश कर रहे हैं।
राइस मिलरों पर सख्त नजर
धान की अचानक बढ़ी आवक ने राइस मिलरों की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं। माना जा रहा है कि राइस मिलरों के माध्यम से पुराने धान को नई फसल के रूप में समितियों में बेचा जा रहा है। प्रशासन को इस पर रोक लगाने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे।
किसानों से अपील
एआर श्री पैकरा ने किसानों से अपील की है कि वे अपने वास्तविक धान को ही समितियों में बेचें और किसी भी गड़बड़ी की जानकारी तुरंत साझा करें। साथ ही, गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
किसानों के हित सर्वोपरि
एआर श्री पैकरा ने आश्वासन दिया है कि किसानों के हितों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे। गड़बड़ी रोकने के लिए खरीदी प्रक्रिया में और पारदर्शिता लाई जाएगी।