मनेन्द्रगढ़-चिरिमिरी-भरतपुर

कस्टम मिलिंग का कार्य करने में एमसीबी के राइस मिलरों ने खड़े किए हाथ
20-Nov-2024 3:49 PM
कस्टम मिलिंग का कार्य करने में एमसीबी  के राइस मिलरों ने खड़े किए हाथ

मिलरों ने कहा- 3 वर्षों में 80 करोड़ से ज्यादा का बकाया

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

मनेन्द्रगढ़, 20 नवम्बर। कस्टम मिलिंग का कार्य करने में एमसीबी जिला सहित प्रदेश के कई राइस मिलरों ने अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। मिलरों के अनुसार पिछले 3 वर्षों में उनका 80 करोड़ से ज्यादा का भुगतान बकाया है। भुगतान के लिए मिलर्स मुख्यमंत्री से लेकर कई मंत्रियों से मिलकर गुहार लगा चुके हैं, लेकिन समस्या का समाधान नहीं होने से उन्हें विकराल आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है।

कस्टम मिलिंग को लेकर एमसीबी कलेक्टर डी. राहुल वेंकट ने मंगलवार को राइस मिलरों की बैठक बुलाई थी जिसमें जिले के राइस मिलर गौतम दुग्गड़, संजीव गोयल, उत्तम दुग्गड़, आशु चावला, प्रियम केजरीवाल, नसरूद्दीन शेख एवं नजीर अजहर आदि उपस्थित रहे। एमसीबी जिला राइस मिलर संगठन के सचिव गौतम दुगड़ ने जानकारी देते हुए बताया कि बिना भुगतान के कस्टम मिलिंग का कार्य कर पाना असंभव है। मिलर आज आर्थिक स्थिति से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि राइस मिलर को मिल चलाने के लिए धान, चावल का परिवहन एवं लेबरों का भुगतान, बिजली बिलों का भुगतान करना होता है जिसके लिए उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं मिलर के द्वारा उठाए गए धान को एफसीआई में काफी समय तक लिया गया जिसके कारण धान की सुखती बहुत ज्यादा आ जाने के कारण मिलर को अत्यधिक आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ा है। वहीं पिछले 3 वर्षों का विभिन्न मदों का भुगतान नहीं किया गया है। कस्टम मीलिंग की राशि को घटा कर 120 से 60 रूपए कर दिया गया है।

उन्होंने कहा कि एफआरके का पिछले 2 साल का भुगतान नहीं हुआ है। बारदाना का यूजर चार्ज एवं बारदाना की मूल्य का भुगतान नहीं किया जा रहा है। नई पॉलिसी में चावल जमा पर भी पेनल्टी का प्रावधान कर दिया गया है जबकि शासन के पास चावल जमा करने का स्पेस एकदम न्यूनतम रहता है। धान एवं चावल परिवहन की राशि को भी एसएलसी दर पर नहीं दिया जा रहा है। वर्ष 2021-22 में मिलर के द्वारा किए गए कार्य के प्रोत्साहन राशि भुगतान भी नहीं किया जा रहा है। राइस मिलर संगठन के सचिव दुगड़ ने बताया कि एमसीबी जिला सहित प्रदेश के राइस मिलर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय एवं संबंधित

विभाग के सभी मंत्रियों दयाल दास बघेल, श्यामबिहारी जायसवाल, उप मुख्यमंत्री अरूण साव, विजय शर्मा व ओपी चौधरी से मिलकर भुगतान नहीं होने की वजह से अपनी आर्थिक तंगी की विकराल समस्याओं से अवगत कराया जा चुका है, लेकिन इसके बाद भी उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया जा रहा है। यही वजह है कि विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करने के कारण कस्टम मिलिंग का कार्य करने में जिले के राइस मिलरों ने असमर्थता जाहिर की है।

कस्टम मिलिंग का मतलब धान से चावल निकालने के काम सरकारी राइस मिलों के अलावा निजी मिलर्स से भी कराया जाता है। इसमें मिलर को मिलिंग के बदले में निर्धारित दर के बराबर चावल अपने पास रखकर बाकी चावल मार्कफेड को लौटाना होता है।  यह प्रक्रिया कस्टम मिलिंग कहलाती है।


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