मनेन्द्रगढ़-चिरिमिरी-भरतपुर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
मनेन्द्रगढ़, 20 मई। मुक्तिधाम की जमीन पर अतिक्रमण का विरोध करने पर जानलेवा हमले का शिकार हुए स्थानीय निवासी बुजुर्ग रमाशंकर गुप्ता के केस में 5 वर्ष बाद 12 मई को एक नया मोड़ आया है, जिसमें शपथ-पत्र पर पुलिस से लेकर उच्च न्यायालय तक केस की वास्तविकता बताने वाला एकमात्र व्यक्ति अपने कथन से पलट गया है। ऐसे में बड़ा सवाल यह कि वह व्यक्ति पहले सच बोल रहा था या अब उसके द्वारा किसी के दबाव में अपने कथन को बदला जा रहा है।
मुक्तिधाम की जमीन के लिए अपनी जान की बाजी लगाने वाले रमाशंकर गुप्ता से पूरे केस के संबंध में चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि मनेंद्रगढ़ में मुक्तिधाम के लिए तत्कालीन राजा कोरिया ने 6.98 एकड़ जमीन 1944 से आरक्षित की हुई है। उक्त जमीन के अंश भाग पर वर्ष 2000 के बाद से अतिक्रमण की बाढ़ आ गई है, जिसका विरोध उनके द्वारा वर्ष 2006 से लगातार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इसे लेकर उनके ऊपर प्राणघातक हमला तक हो चुका है।
उन्होंने कहा कि इसी मामले में केस की वास्तविकता बताने वाला मात्र एक व्यक्ति अश्विनी सिंह जिसने शपथ पत्र के माध्यम से 5 जनवरी 2021 से पुलिस से लेकर उच्च न्यायालय तक शपथ पत्र प्रस्तुत कर जानलेवा हमले की पूरी वास्तविकता बताई है। यही नहीं अश्विनी सिंह के द्वारा 12 मई 2025 को भी वही शपथ पत्र न्यायालय में प्रस्तुत करने के लिए निष्पादित किया गया है, लेकिन अचानक से अब उसने अपना कथन बदल दिया है।
ऐसे में रमाशंकर गुप्ता का कहना कि अश्विनी सिंह पहले शपथपूर्वक सच बोल रहे थे या अब उनके द्वारा न्यायालय में दिया गया कथन सच है।
शपथ पत्र पर दिए कथन को गवाह के रूप में देना बताया-इस संबंध में अश्विनी सिंह का कहना है कि 12 मई को कोर्ट में दिए गए उनके कथन को सही माना जाए। पूर्व में शपथ पत्र पर दिए गए कथन के संबंध में उन्होंने कहा कि उन्हें पहले इस मामले में मुलजिम बना दिया गया था, जबकि वे गवाह थे।