दन्तेवाड़ा

एकीकृत दृष्टिकोण से जलवायु परिवर्तन से जंग
29-Oct-2024 12:46 PM
एकीकृत दृष्टिकोण से जलवायु परिवर्तन से जंग

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दंतेवाड़ा, 29 अक्टूबर।
जिले में जलवायु परिवर्तन के चलते प्राकृतिक संसाधनों पर पड़ रहे दुष्प्रभाव को देखते हुए जिला प्रशासन और  ‘ ‘ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया’’ द्वारा संयुक्त रूप से एक महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन जिला पंचायत के सभागार में सोमवार को किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य जिले में जल और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने पर विचार विमर्श करना था।

कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने कहा कि जिले में भूजल का स्तर बढ़ाने पर ध्यान देने की अत्यंत आवश्यकता है। जिले में वर्षा की स्थिति अच्छी रही है। लेकिन भविष्य को ध्यान में रखते हुए इसके संरक्षण हेतु एक उत्कृष्ट रणनीति बनाने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि गांवों में पहले की अपेक्षा तालाब या डबरी निर्माण की मांग में कमी आई है, इसके लिए ग्रामीणों को जल संरक्षण का महत्व बताते हुए उन्हें जागरूक किया जाना बेहद जरूरी है। कलेक्टर ने सभी संबंधित विभागों को प्रेरित करते हुए कहा कि वे जल संसाधन के बेहतर प्रबंधन के लिए मिलकर काम करें। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में जल संसाधनों के संरक्षण के लिए व्यापक योजनाएं बनाई जाएंगी।

उल्लेखनीय है कि कार्यशाला में जिले के विभिन्न विभाग जैसे वन, पंचायत, समस्त जनपद पंचायत, महात्मा गांधी नरेगा, कृषि, जल संसाधन, पी.एच.ई, उद्यानिकी, मत्स्य, पशुपालन, एन.आर.एल.एम, स्किल डेवलपमेंट, कृषि विज्ञान केंद्र सहित अन्य विभागों के अधिकारी-कर्मचारी, समुदायों के लोग और गैर-सरकारी संगठनों ने भाग लिया। कार्यशाला में सभी जल संरक्षण, भूमि क्षरण, जैव विविधता और कार्बन उत्सर्जन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहन चर्चा की।

एकीकृत प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन पर बल
इसके साथ ही ट्रांसफॉर्म रुरल इंडिया से आये सीनियर प्रैक्टिशनर आशुतोष नंदा, मुकेश ठाकुर एवं पलाश अग्रवाल ने इस बात पर जोर दिया कि एकीकृत प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन ही जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और जिले के प्राकृतिक संसाधनों को बचाने का एक उचित उपाय है। उपरोक्त विशेषज्ञों ने भूमि, जल, वन और जैव विविधता का एकीकृत तरीके से प्रबंधन करने को बेहद जरूरी बताया।

कार्यशाला के समापन पर विशेषज्ञों ने कहा कि एकीकृत प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन को सफल बनाने के लिए स्थानीय समुदायों की भागीदारी बेहद जरूरी है। 
स्थानीय लोगों को जल संसाधन प्रबंधन में शामिल करना और उनके ज्ञान और अनुभव का लाभ उठाना महत्वपूर्ण है। यह कार्यशाला जिले के लिए एक नए युग की शुरुआत है। अब जिला प्रशासन और स्थानीय समुदाय मिलकर जल और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए काम करेंगे। इस प्रयास से न केवल जिले का विकास होगा बल्कि आने वाली पीढिय़ों के लिए एक बेहतर भविष्य सुनिश्चित होगा। 

इस मौके पर विकासखंड गीदम से आये सी.एल. एफ. के सदस्य कुलवंती एवं रूबी द्वारा समुदाय एवं दीदियों के द्वारा विकासखंड में 40 गांव में प्राकृतिक संसाधन एवं जल संरक्षण पर जी.आई. एस. आधारित किये गए प्लान पर अपना अनुभव साझा किया। इस अवसर पर दिव्या कुमारी एवं अखिल श्री कुमार पीपी आई फेलो भी उपस्थित थे।

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