धमतरी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नगरी, 13 जुलाई। स्कूल सरकारी हे नांव के ,असल म हे हमर गाँव के। हमर गाँव, हमर स्कूल, हमर लइका, हमर जिम्मेदारी जी हाँ यही नारा मगरलोड विकासखण्ड के सुदूर ,बीहड़ अंचल के आदिवासी गाँव सिरकट्टा के प्राथमिक शाला में दिन भर गूंज रहा था।
दरअसल यह स्कूल सिंगपुर संकुल के अंतर्गत आने वाले सत्रह स्कूलों में से एक है। इन सत्रह स्कूलों में जन सहयोग से स्मार्ट क्लास की शुरुआत करने के बाद अब इस संकुल में तकनीकी शिक्षा के लिए कंप्यूटर की व्यवस्था सिरकट्टा के पालकों ने की है। गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले मात्र नब्बे घर के इस गाँव में तकनीकी शिक्षा की शुरुआत संकुल के प्राचार्य डॉ. व्ही. पी.चन्द्रा, लक्ष्मण राव मगर सहायक संचालक एवं शिक्षक द्वय टिकेश्वर ध्रुव एवं लोमश मरकाम द्वारा पालकों के बातचीत से। गाँव के लोगों को एकत्रित कर इन्होंने नई शिक्षा नीति में अनुशंसित प्राचीन भारतीय मूल्यों के साथ तकनीकी शिक्षा पर बातचीत की थी। बातचीत का केंद्र बिंदु था कि आज तकनीकी युग के दौर में दोनों की शिक्षा जरूरी है,अन्यथा हमारे बच्चों का पिछडऩा तय है। इसके लिए पालकों को जिम्मेदारी उठाने की जरूरत है। सरकार के ही भरोसे रहना उचित नहीं है।
पालकों को इनकी बात जँच गई और पालकों ने पूरे गाँव की बैठक कर तकनीकी शिक्षा के यज्ञ में दिल खोलकर आहुति देने का निर्णय लिया और देखते ही देखते पच्चीस हजार की राशि एकत्रित कर कंप्यूटर का लोकार्पण राकेश पांडेय संयुक्त संचालक लोक शिक्षण रायपुर एवं संकुल के शिक्षकों की उपस्थिति में करवा दिया। खास बात यह रही कि गाँव के पालकों ने एक दिन बच्चों के नाम करते हुए कृषि कार्य बंद किया। पूरे गाँव की उपस्थिति में सामूहिक भोज का आयोजन किया गया। स्कूल के परिसर में कटहल, आंवला और नींबू जैसे फलदार पौधे का रोपण भी किया।
इस अवसर पर संयुक्त संचालक राकेश पांडेय ने कहा कि सुदूर अंचल का पालक जब अपने बच्चों की तकनीकी शिक्षा के लिये जाग उठा है, तो निश्चित ही प्रधानमंत्री के डिजिटल भारत का सपना पूरा होता हुआ दिखाई दे रहा है। ग्रामीणों की जागरूकता को देखते हुए उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में इस गाँव से जरूर डॉक्टर ,इंजीनियर,शिक्षक कोई ऑफिसर, कोई नेता, समाजसेवी निकलेंगे ही। इन गरीब आदिवासियों का त्याग, जिन्होंने परिश्रम से अर्जित धन को विद्या के मंदिर में समर्पित किया है, जरूर फलीभूत होगा। पालकों से उन्होंने आह्वान किया कि इस जागरूकता को सदैव बनाये रखने के लिए स्कूल में उपस्थित होकर सतत सहयोगात्मक निगरानी जरूरी है ताकि शिक्षकों का मनोबल बढ़े।
संयुक्त संचालक ने यह भी कहा कि उन्हें यहाँ आकर बहुत कुछ सीखने समझने का अवसर मिला है। सफलता की इस कहानी का विस्तार रायपुर सम्भाग के सभी स्कूलों में करने की जरूरत है। आगामी दिनों में होने वाली हर बैठकों में ,हर स्तर के अधिकारियों के समक्ष रखूंगा ताकि वे अपने अपने क्षेत्र के स्कूलों में सिरकट्टा के पालकों की तरह पहल करा सकें।
संकुल के प्राचार्य डॉ व्ही. पी.चन्द्रा ने पालकों के प्रयासों की सराहना करते हुए उनसे यह आह्वान किया कि तकनीकी युग में हमें बच्चों को तकनीकी की शिक्षा देनी है उन्हें मशीन नहीं बनानी है। इसके लिए मातृ शक्ति को बढ़ चढक़र आगे आकर संस्कार पर काम करने की जरूरत है।
जिला शिक्षा कार्यालय से उपस्थित लक्ष्मण राव मगर ने कहा कि ग्रामीण बच्चों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है बस उन्हें अवसर देने की कमी है। डिजिटल युग में सारी जानकारी टीवी एवं मोबाइल के स्क्रीन पर उपलब्ध है।
सिंगपुर के शिक्षक आर बी मारकोले, कल्याण कौशल तथा आरके साहू ने इस कार्य को यज्ञ से बढ़ा करार दिया। इस गरिमामयी कार्यक्रम में उपस्थित रहते जिन पालकों ने अहम योगदान दिया उनमें प्रमुखत: पेमध साहू, बिशम्भर नेताम, इंदल कश्यप, महेश्वर ध्रुव, अजय कुंजाम, जेठूरामनेताम, मनोज, कमलेश, घूरउराम, आदेश्वर, अघन बाई बट्टी, पिंकी बाई,दुर्गा बाई, उमा बाई, सहा बाई,ऐशवर्या गौर, मां बाई, महेतरीन बाई आदि हैं। इस अवसर पर शिक्षक द्वय ने जीजान से मेहनत कर बच्चों को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया वहीं उपस्थित पालकों ने पुन: नारे को दुहराते हुए विद्यालय को तन, मन एवं धन से सहयोग देने का संकल्प दुहराया।