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‘आठे-कन्हैया’ दीवार चित्रकला की लोक परंपरा पर ऑनलाइन कार्यशाला-सह-चित्रकला व निबंध स्पर्धा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भिलाईनगर, 29 सितंबर। राष्ट्रीय धरोहर निधि के दुर्ग-भिलाई अध्याय द्वारा छत्तीसगढ़ में प्रचलित रही 'आठे-कन्हैया’ दीवार चित्रकला की लोक परंपरा पर शालेय विद्यार्थियों के लिए एक कार्यशाला-सह-चित्रकला व निबंध स्पर्धा का ऑनलाइन आयोजन किया गया। हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग की कुलपति डॉ. अरुणा पल्टा के मुख्य आतिथ्य व पं रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर के पूर्व कुलपति डॉ. शिव कुमार पाण्डेय की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में इंदिरा कला व संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ के प्रोफेसर डॉ. नाथू तोरे तथा पूर्व प्रोफेसर डॉ. गोरे लाल चंदेल विशेषज्ञ के रूप में शामिल हुए।
मुख्य अतिथि डॉ. अरुणा पल्टा ने कोरोना संकट की अवरोधक स्थितियों के बावजूद टेक्नोलॉजी के सहारे बच्चों में लोक परम्पराओं के प्रति जागृति लाने के इंटेक के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, ग्रामीण जीवन में 'आठे-कन्हैया’ जैसी चित्रकला की लोक परम्पराओं का संरक्षण बहुत जरुरी है। इस हेतु विविध जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन कर नई पीढ़ी को इन चित्रों के सामाजिक महत्त्व को समझाना चाहिए।
डॉ. शिव कुमार पाण्डेय ने कहा कि बच्चों में सृजनात्मकता व लोक परम्पराओं के प्रति उत्सुकता का विकास करना अत्यंत ही पुनीत एवं महत्वपूर्ण कार्य है। छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक समृद्धि का एहसास छत्तीसगढ़ में पलने-बढऩे वाले हर बच्चे को कराना चाहिए।
विशेषज्ञ के बतौर शामिल डॉ. गोरीलाल चंदेल ने कंस रूपी साम्राज्यवादी शक्तियों के विरुद्ध एकजुटता व क्रांति में कृष्ण की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए 'आठे-कन्हैया’ दीवाल चित्रकला के सामाजिक संदर्भों को बतलाया। डॉ. नाथू तोरे ने 'आठे-कन्हैया’ के चित्र को बना कर इस शैली का प्रदर्शन किया व इसकी बारीकियों से बच्चों को अवगत कराया।
आरम्भ में राष्ट्रीय धरोहर निधि के दुर्ग-भिलाई अध्याय के संयोजक डॉ. डी एन शर्मा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए इंटेक की गतिविधियों के विषय में बताया। राष्ट्रीय धरोहर निधि के छत्तीसगढ़ राज्य अध्याय के सचिव राजेंद्र चांडक ने बताया कि खैरागढ़ व महासमुंद में भी बच्चों के लिए ऐसा आयोजन पूर्व में किया जा चुका है। साहित्यकार रवि श्रीवास्तव ने आभार प्रदर्शन किया। तकनीकी संचालन इन्टेक रायपुर की पूनम ने किया।
इस अवसर पर सह संयोजक विद्या गुप्ता, चित्रकार महेश चतुर्वेदी, मालती चांडक, राजशेखर खरे भी विशेष रूप से उपस्थित रहे। डीपीएस-भिलाई, शंकराचार्य विधालय हुडको, एस डी बी पब्लिक स्कूल खुर्सीपार, जी बी एन पब्लिक स्कूल रायपुर नाका, शास बहुद्देशीय स्कूल दुर्ग के विधार्थियों ने विशेष सहभागिता दी।