कारोबार

रायपुर, 30 मई। व्यापारिक संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वाइस चेयरमेन अमर पारवानी, प्रदेष एक्सक्यूटिव चेयरमेन जितेन्द्र दोषी, प्रदेश अध्यक्ष परमानंद जैन, प्रदेश महामंत्री सुरिंदर सिंह एवं प्रदेश कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत का विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना देश के छोटे व्यापारियों के लिए सुनहरा अवसर लेकर आया है।
श्री पारवानी ने बताया कि यह उपलब्धि भारत की व्यापारिक संरचना में एक शक्तिशाली बदलाव का संकेत है, विशेष रूप से उन छोटे व्यापारियों, व्यापारिक संगठनों, एमएसएमई और स्टार्टअप्स के लिए जो भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। घरेलू खपत में वृद्धि, वैश्विक व्यापारिक रिश्ते और डिजिटल परिवर्तन के साथ छोटे व्यवसाय अब एक स्वर्णिम युग की दहलीज़ पर खड़े हैं। देश और विदेश दोनों स्तर पर बड़े बाजारों तक पहुंच अब पहले से अधिक होगी जिससे घरेलू खपत में तेज़ी आएगी और स्थानीय व्यवसायों के लिए एक बड़ा बाज़ार तैयार होगा। बेहतर होते व्यापारिक रिश्ते और मुक्त व्यापार समझौते भारतीय वस्तुओं और सेवाओं के लिए निर्यात के नए अवसर खोलेंगे।
श्री पारवानी ने बताया कि सरकार की ओर से मिलने वाला सहयोग और सुधार - जैसे कि पीएलआई (उत्पादन आधारित प्रोत्साहन) योजनाएं और एमएसएमई के लिए क्रेडिट योजनाएं - छोटे व्यापारियों को सशक्त बनाएंगे। जीएसटी में सुधार, व्यापार करने में आसानी और अनुपालन प्रक्रिया को सरल बनाना छोटे व्यापारियों के लिए व्यापार को और सहज बनाएगा।
श्री पारवानी ने बताया कि तेज़ी से हो रहा डिजिटल परिवर्तन और ई-कॉमर्स की पैठ छोटे व्यापारियों को अपने क्षेत्र से बाहर भी ग्राहकों तक पहुँचने में मदद कर रही है, वहीं सशक्त सप्लाई चेन के माध्यम से सडक़ों, रेलवे, लॉजिस्टिक्स और वेयर हाउसिंग में हो रहे इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेडेशन से लागत में कमी और डिलीवरी समय में सुधार होगा।
श्री पारवानी ने बताया कि बढ़ती आर्थिक ताकत के चलते अब बैंकों, फिनटेक कंपनियों और एनबीएफसी द्वारा छोटे व्यापारियों को अधिक फाइनेंस और क्रेडिट उपलब्ध कराया जा रहा है। साथ ही छोटे व्यापारियों का औपचारिकरण उन्हें सरकार की योजनाओं, टेंडर और संरचित ऋणों के लिए पात्र बनाता है। सरकार और निजी क्षेत्र की साझेदारी से छोटे व्यापारियों और उनके कर्मचारियों को डिजिटल टूल्स, अकाउंटिंग, मार्केटिंग और निर्यात जैसे विषयों में स्किलिंग दी जा रही है, जिससे दीर्घकालिक और टिकाऊ विकास संभव होगा। नवाचार आधारित प्रोत्साहन योजनाएं जमीनी स्तर पर उद्यमिता को बढ़ावा देंगी।