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स्व. डॉ. उषा धुप्पड़ का जीवन पीढिय़ों के लिए मार्गदर्शक
20-Apr-2025 2:55 PM
स्व. डॉ. उषा धुप्पड़ का जीवन  पीढिय़ों के लिए मार्गदर्शक

डॉ. उषा धुप्पड़ का जीवन एक ऐसी दीपशिखा की तरह था, जो अपने प्रकाश से अपने परिवार और समाज को आलोकित करती थी। 15 अप्रैल 2025 को वे जब यह संसार छोडक़र चली गई, तब उनके पीछे छूट गईं उनकी अमर स्मृतियाँ, जो करुणा, सेवा, और आध्यात्मिकता का अनुपम संगम हैं। 

डॉ. उषा धुप्पड़ का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ, जहाँ संस्कार, सादगी, और सेवा भावना जीवन का आधार थे। उनके जीवन की नींव उनके परिवार की शिक्षाओं पर टिकी थी। 
उषा जी का विवाह श्री सुभाष धुप्पड़ जी से हुआ, जो उनके जीवन के हर कदम पर उनके सहयोगी और प्रेरणास्रोत रहे। डॉ. उषा धुप्पड़ का जीवन आध्यात्मिकता और मानव सेवा का एक अनुपम उदाहरण था। उनकी आस्था माता रुद्रेश्वरी देवी और सिंघोडा (सरायपाली) के चंडी मंदिर के प्रति अटूट थी। रामकृष्ण मिशन की मानव सेवा की भावना, मदर टेरेसा की करुणा, और स्वामी सत्यरूपानंद जी के मार्गदर्शन ने उनके जीवन को और समृद्ध किया। स्वामी सत्यरूपानंद, जिन्हें वे अपने पिता तुल्य मानती थीं, ने उनके आध्यात्मिक और मानवीय गुणों को न केवल पहचाना, बल्कि उन्हें और गहराई प्रदान की। 

उषा जी विवेकानंद आश्रम के हॉस्पिटल में 24 वर्षों तक गरीब मरीजों के इलाज के साथ उनके लिए मुफ्त दवाइयों की व्यवस्था करती रहीं। 

 

सिंघोडा नेत्र शिविर-दृष्टि की रौशनी, जीवन की ज्योति
डॉ. उषा धुप्पड़ की सबसे बड़ी विरासत थी सिंघोडा के चंडी मंदिर में पिछले 23 वर्षों से आयोजित नि:शुल्क नेत्र शिविर। इस शिविर के माध्यम से सैकड़ों लोगों की आँखों को रोशनी मिली, और उनके जीवन में नया उजाला आया।

यह शिविर केवल एक चिकित्सा कार्यक्रम नहीं था; यह उषा जी की करुणा, समर्पण, और समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारी का जीवंत प्रमाण था।

समाज पर प्रभाव और शोक संदेश
15 अप्रैल 2025 को उनके निधन की खबर ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे समाज को स्तब्ध कर दिया। छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ नेता, जैसे भूपेश बघेल और टी.एस. सिंहदेव, सहित असंख्य लोगों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया। यह उनके प्रभाव और उनके कार्यों की गहराई को दर्शाता है। उनके जाने से समाज ने एक ऐसी आत्मा को खो दिया, जिसने अपने जीवन को दूसरों के लिए समर्पित कर दिया।

उनके निधन पर धुप्पड़ परिवार के प्रति गहरी संवेदनाएँ व्यक्त की गईं। समाज के हर वर्ग ने उनकी स्मृति को श्रद्धांजलि दी, और उनके कार्यों को याद किया। 


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