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दपूमरे पर्यावरण जागरूकता में सभी उम्र के लोगों की उत्साहपूर्ण भागीदारी
07-Jun-2023 3:14 PM
दपूमरे पर्यावरण जागरूकता में सभी उम्र के लोगों की उत्साहपूर्ण भागीदारी

बिलासपुर, 7 जून। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा जीवन का पालन पोषण करने वाली प्रकृति को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से पर्यावरण दिवस मनाने की घोषणा की गई थी । पहला विश्व पर्यावरण दिवस 05 जून 1974 को मनाया गया था।

 पर्यावरण दिवस के अवसर पर ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभावों की रक्षा हेतु पर्यावरण संरक्षण जैसे वनों की कटाई रोकना, हरित पर्यावरण को बढावा देना, पौधारोपण करना, बायो इंधन के उत्पादन को बढावा देना जैसे विभिन्न उपायों के द्वारा पर्यावरण संतुलन की दिशा में बेहतर कार्य करने की योजनाएं भी बनाई जाती है ।

पर्यावरण दिवस की महत्ता एवं एक जागरूक संगठन की तरह पर्यावरण संरक्षण में अपनी भूमिका को जिम्मेदारी पूर्वक निभाने हेतु दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे द्वारा प्रतिवर्ष 05 जून को संपूर्ण राष्ट्र के साथ साथ विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजन किया जाता है।

इस अवसर पर वृक्षारोपण एवं पर्यावरण से संबंधित अनेको कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते है। इसी कड़ी में आज दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में वृक्षारोपण सहित पर्यावरण संरक्षण जागरूकता से संबन्धित अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

 प्रात: 7.00 बजे दक्षिण पूर्व

मध्य रेलवे मुख्यालय बिलासपुर से प्रभातफेरी निकाली गई जो लोगों को पर्यावरण जागरूकता का

संदेश देते हुए सेक्रो ऑफिस में समाप्त हुई । प्रभातफेरी में अपर महाप्रबंधक श्री विजय कुमार साहू

सहित सभी विभागाध्यक्ष, मुख्यालय एवं मंडल के अधिकारीगण, सैकडों की संख्या में कर्मचारीगण,

रेलवे सुरक्षा बल, स्काउट गाइड के बच्चे एवं नागरिक सुरक्षा दल की टीमों ने भाग लिया ।

कार्यक्रम के आगे की कड़ी में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे महिला कल्याण संगठन (सेक्रो) में

वृक्षारोपण तथा पर्यावरण संरक्षण जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया, इसमे समस्त

अधिकारियों, कर्मचारियों तथा स्कूल के छात्र-छात्राओ ने वृक्षारोपण किया । इसके पश्चात पौधा

वितरण कर अपने घरों के आसपास पौधे लगाने तथा उसकी देखभाल करने के प्रति सभी को

संकल्पित होने का आह्वान किया गया । रेलवे स्कूलों के बच्चों ने पर्यावरण संरक्षण से संबन्धित

नाटक एवं अन्य कार्यक्रम की मनमोहक प्रस्तुति देकर पर्यावरण संरक्षण जागरूकता का संदेश दिया ।

 

आज आयोजित सभी कार्यक्रमों में पूरी तरह से पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया गया ।

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अपर महाप्रबंधक श्री विजय कुमार साहू के मार्गदर्शन में कार्यक्रम में

पर्यावरण हितैषी डिग्रेडिबल मटेरियल से बने बैनर, पोस्टर आदि के उपयोग किए गए । दक्षिण पूर्व

मध्य रेलवे के इस अभिनव पहल से निश्चित ही रेल कर्मियों एवं नागरिकों में पर्यावरण संरक्षण संदेश

का प्रसार होगा ।

पर्यावरण संरक्षण की महत्ता एवं आवश्यकता को ध्यान में रखकर एक जागरूक

संगठन की तरह पर्यावरण संरक्षण में अपनी भूमिका को जिम्मेदारी पूर्वक निभाने हेतु दक्षिण पूर्व

मध्य रेलवे "पर्यावरण संरक्षण के सजग प्रहरी" के रूप में लगातार कार्य कर रहा है । दक्षिण पूर्व

मध्य रेलवे द्वारा जल संरक्षण, वायु संरक्षण, ऊर्जा संरक्षण आदि के उपाय लगातार किए जा रहे है ।

जल संरक्षण को साकार करने हेतु कुशल जल प्रबंधन के लिए दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे

द्वारा लगातार कदम उठाए जा रहे है । जल संरक्षण के लिए वर्षा जल को संरक्षण करने पर विशेष

ध्यान दिया जा रहा है ताकि वर्षा जल का सदउपयोग एवं अधिक से अधिक उपयोग की जा सके ।

इसके साथ ही साथ भूमिगत जलस्तर को बढ़ाने पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है ।

नये एवं पुराने कार्यालय भवनों की छतों से, सतह पर बहने वाले एवं बारिश की

पानी को जल भंडारण की एक अनोखी तकनीक "जल संचयन प्रणाली (रेन वाटर हार्वेस्टिंग)

प्रणाली" के द्वारा संग्रहित किया जा रहा है । इसके परिणाम स्वरूप न केवल भूजल स्तर में वृद्धि हो

रही है बल्कि संवर्धित जल संसाधन का उपयोग अन्य आवश्यकताओं के अनुसार भी किया जा रहा

है । दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अंतर्गत अलग-अलग स्टेशनो में 159 रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली

लगाए गए है । इसके साथ ही साथ नये एवं भविष्य में बनाए जाने वाले सभी भवन निर्माण में

वर्षा जल संचयन की व्यवस्था लगाने सुनिश्चित किए जा रहे है ।

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के बिलासपुर, दुर्ग, रायपुर एवं गोंदिया में 07 वाटर

रिसाइकिलिंग प्लांट की स्थापना की गई है । वाटर रिसाइकिलिंग प्लांट द्वारा अपशिष्ट पानी को

रिसायकिल कर इसका उपयोग कोच धुलाई तथा पौधो को पानी देने में किया जा रहा है । तीनों

रेल मंडलों में उपयोग में आने वाले पानी की, विशेषकर वर्कशॉप, कोच धुलाई आदि के पानी को

बर्बाद न करके उसे रिसायकिल कर पानी की बचत की जा रही है ।

भूजल स्तर को बढाने के लिए दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में रेलवे परिक्षेत्र के अनेक

जगहों पर तालाब के निर्माण एवं पहले से मौजूद तालाबों को समुचित रखरखाव करते हुए उनमें भी

जल संग्रहण का कार्य किया जा रहा है । दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में अब तक 47 तालाबों के

निर्माण/नवीनीकरण के कार्य सम्पन्न किए गए है । इसके साथ ही 20 प्रमुख स्टेशनों में वाटर ऑडिट

के कार्य भी पूरा किया गया है ।

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे द्वारा पर्यावरण के संरक्षण के लिए एवं हरित ऊर्जा को बढ़ावा

देने के लिए गैर-परंपरागत श्रोतों से ऊर्जा उपलव्ध कराने एवं ऊर्जा संरक्षण की दिशा में बेहतर

 

योगदान के तहत सौर उर्जा को काफी महत्व दिया जा रहा है । गैर-परंपरागत श्रोतों से ऊर्जा

उपलव्ध कराने एवं ऊर्जा संरक्षण की दिशा में बेहतर योगदान के तहत पूरे दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में

अब तक 4.6 मेगावाट क्षमता की सोलर प्लांट की स्थापना की गयी है । भिलाई में 50 मेगावाट

लैण्ड बेस्ड सौर ऊर्जा संयंत्र अपने निर्माण के अंतिम चरण में है ।

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अंतर्गत एलएचबी आधारित 16 ट्रेनों में हेड ऑन जनरेशन

(एचओजी) प्रणाली शुरू कर शांत एवं सुविधाजनक रेल परिवहन के लिए एक सराहनीय पहल की

शुरुआत की गई है । ‘हेड ऑन जेनरेशन‘ (एचओजी) प्रौद्योगिकी को अपनाने के साथ ही ये ट्रेनें हरित

यानी &प्त39;ग्रीन&प्त39; ट्रेन हो गई है । अब ये ट्रेनें महंगे डीजल ईंधन को जलाने की बजाय ओवर हेड उपकरण

(ओएचई) के माध्यम से सीधे ग्रिड से बिजली ले रही है । वर्ष 2022-23 मे दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे

में 100त्न विद्युतीकरण कार्य पुरा किया गया है ।

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में पर्यावरण के संरक्षण के उपायों में जल संरक्षण एवं ऊर्जा

संरक्षण के साथ ही साथ वातवारण को स्वच्छ एवं शुद्ध रखने हेतु वायु संरक्षण को भी महत्व देते हुए

महत्वपूर्ण कदम उठाए गए है तथा न सिर्फ किसी विशेष अवसर पर बल्कि पूरे वर्ष जल, पर्यावरण

एवं वातावरण को संरक्षित रखने के लिए प्रयासरत है । दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के इन सफल प्रयासों

का प्रत्यक्ष उदाहरण बिलासपुर स्थित रेलवे कॉलोनी की हरियाली है ।

स्टेशन परिसर, प्लेटफार्म, गाडी तथा रेलवे ट्रैक को गंदगी से मुक्त रखने तथा

वातावरण को साफ-सुथरा रखने एवं हरित विकास को बढ़ावा देने हेतु रेलवे द्वारा यात्री गाडिय़ों के

कोचों में बायो-टायलेट लगाये जा रहे है । दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में शत-प्रतिशत बॉयो-टायलेट

लगाने के कार्य को पूरा करते हुए सभी 1784 कोचों में बायो-टायलेट लगाने के कार्य को पूरा किया

गया है ।


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