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माल-सेवा करदरों पर पुनर्विचार का वाणिज्यकर मंत्री से कैट का आग्रह
08-Nov-2021 12:31 PM
माल-सेवा करदरों पर पुनर्विचार का वाणिज्यकर मंत्री से कैट का आग्रह

रायपुर, 8 नवंबर। कैट के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल ने वाणिज्यकर मंत्री टीएस सिंहदेव से मुलाकात करके माल एवं सेवाओं की करदरों पर पुनर्विचार किये जाने का आग्रह किया। श्री दोशी ने बताया कि दिये गये सुझाव निम्नानुसार हैं-जीएसटी कौंसिल की बैठक में स्टेशनरी वस्तु पेन पर जीएसटी 12 प्रतिशत बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है, जो 1 अक्टूबर 2021 से लागू हो गया है।

श्री दोशी ने बताया कि इसके पश्चात् स्टेशनरी वस्तु पेन महंगे हो गये हैं। कोरोना में स्कूल-कॉलेज बंद होने के कारण स्टेशनरी व्यवसायी को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ा है। जीएसटी लागू करने के पूर्व, केन्द्र सरकार ने टैक्स में संशोधन कर एक देश-एक कर की बात की थी, लेकिन स्टेशनरी वस्तुओं को 5 टैक्स स्लेब में रखा गया है। जिस पर पूर्व में भी व्यापारियों द्वारा टैक्स में छूट देने हेतु निवेदन किया गया था, परंतु इस पर कोई संशोधन नहीं हुआ, बल्कि स्टेशनरी वस्तु में पुन: जीएसटी बढ़ा दी गई है।

श्री दोशी ने बताया कि इससे निम्न वर्ग के विद्यार्थियों एवं स्टेशनरी विक्रेताओं को आर्थिक भार वहन करना पड़ रहा है। जबकि सरकार गांव-गांव साक्षरता अभियान चलाकर शिक्षा को बढ़ावा देने की बात कर रही है, इसके तहत स्कूल के बच्चों के शिक्षा संबंधी वस्तुओं को करमुक्त श्रेणी में रखकर स्कूली बच्चों को राहत दिलाने की कृपा करें।

श्री दोशी ने बताया कि कृषि उपकरण (जैसे मोटर पम्प सेट, केवल पावर, पाईप, कन्ट्रोल स्टाटर आदि) पर क्रमश: 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत है, छत्तीसगढ़/भारत कृषि प्रधान प्रदेश/देश है, यहां किसानों की माली हालत ठीक नहीं है, उनके हितों को ध्यान में रखते हुए कृषि मोटर पम्प, डीजल पम्प, सबमर्सिबल पम्प, पाईप, केबल पावर, स्टार्टर कन्ट्रोल पैनल आदि आयटमों पर 5 प्रतिशत कर की दर की जानी चाहिए।

श्री दोशी ने बताया कि जीएसटी मे केक और पेस्ट्री को 18 प्रतिशत के टेक्स स्लैब में रखा गया है जबकि मिठाई को 5 प्रतिशत के स्लैब मे रखा गया है और दोनों ही उत्पाद के मूल कच्च पदार्थ मैदा, तेल, शक्कर और डालडा है। सिर्फ बनाने की प्रक्रिया बदलने की वजह से किसी उत्पाद के टैक्स स्लैब को बदलना न्यायोचित नहीं है। 5 प्रतिशत कर की सीमा में रखना चाहिए। सायकल, ट्राई सायकल, सायकल रिक्सा एवं पार्टस में अभी जीएसटी के चारों स्लेब अर्थात 5, 12, 18, 28 प्रतिशत, लागू हैं। ठीक उसी प्रकार जूते के व्यवसाय पर जीएसटी की 5 एवं 12 प्रतिशत कर की दर लागू है।

श्री दोशी ने बताया कि कपड़ों पर जीएसटी दरों में कटौती के संबंध में - जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हमारा देश पिछले 2 वर्षों से महामारी की स्थिति का सामना कर रहा है, पिछले 2 वर्षों में महामारी के कारण परिधान उद्योग अत्यधिक प्रभावित हुआ है, वर्तमान स्थिति को देखते हुए हम जीएसटी स्लैब में कमी के संबंध में सरकार से कुछ समर्थन की उम्मीद कर रहे थे, अब तक परिधान उद्योग में जीएसटी के 2 स्लैब 1000/- से नीचे 5 प्रतिशत, और 1000/- से ऊपर 12 प्रतिशत हैं।

श्री दोशी ने बताया कि हम आपसे अनुरोध करना चाहते हैं कि 12 प्रतिशत जीएसटी स्लैब को 5 प्रतिशत स्लैब में परिवर्तित किया जाएगा एवं कपड़ों पर केवल एक ही कर की दर लागू होगी। यह परिधान व्यवसाय में अधिक मात्रा भी उत्पन्न करेगी, जिससे अंतत: अधिक कर संग्रह होगा, जिससे सरकार और परिधान उद्योग दोनों को लाभ होगा। इसलिए हमारा विनम्र अनुरोध है, कि 12 प्रतिशत स्लैब के जीएसटी स्लैब को घटाकर 5 प्रतिशत, स्लैब करने पर विचार करें।

श्री दोशी ने मंत्री से अनुरोध किया कि समान व्यवसायों पर जीएसटी की विभिन्न  दर लागू होने के कारण व्यापारियों को व्यापार में कर की गणना एवं हिसाब किताब रखने में तकलीफ आ रही है एवं संदेह की स्थिति उत्पन्न हो रही है। उपरोक्त सभी कारणों को ध्यान मे रखते हुए उपरोक्त व्यवसायों में जीएसटी का रेट एक ही स्लेब में ही रखा जाना उचित होगा। श्री दोशी ने आगे कहा कि मंत्री ने ज्ञापन का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया और सकारात्मक आश्वासन दिया ।


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