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रायपुर, 19 अगस्त। छग प्रदेश राइस मिलर एसोसिएशन प्रतिनिधिमंडल ने खाद्यमंत्री अमरजीत भगत, खाद्य सचिव टोपेश्वर वर्मा एवं मार्कफेड प्रबंध संचालक किरण कौशल से 2021-22 कस्टम मिलिंग नीति में मिलर्स एवं शासन के हित में आवश्यक संशोधन हेतु मुलाक़ात की। एसोसिएशन प्रदेश अध्यक्ष कैलाश रुंगटा, प्रदेश महामंत्री प्रमोद अग्रवाल एवं प्रदेश प्रवक्ता परमानंद जैन ने बताया कि खाद्य मंत्री एवं अधिकारियों से विस्तृत चर्चा में मिलर्स का लंबित भुगतान, वर्ष 2019-20 के अनुबंध में शेष मात्रा को निरस्त करने एवं पेनल्टी माफी, तथा कस्टम मिलिंग कार्य में आ रही अड़चनों को दूर करने आदि की अपील की गयी। चर्चा में एसोसिएशन से सचिन खंडेलवाल, मोहन अग्रवाल,अमित अग्रवाल और राजू गांधी भी उपस्थित रहे।
श्री जैन ने बताया कि मिलर्स के लंबित भुगतान, एसओआर में हमाली, नान में चावल परिवहन का भुगतान प्रारंभ हो चुका है। इस संबंध में प्रबंध संचालक महोदया ने तत्काल मिलर्स के बकाया बिलों को भुगतान हेतु निर्देश दिया एवं अति शीघ्र भुगतान करने का आश्वासन दिया। इसके अलावा इन विषयों पर विस्तृत चर्चा हुई - कस्टम मिलिंग में प्राप्त पतला धान में कॉमन धान का मिश्रण होता है जिससे पतला चावल भारतीय खाद्य निगम में पास नहीं हो पाता है अतः इस मिश्रण को रोके या धान को कामन में दिया जाए, कस्टम मिलिंग चार्ज प्रोत्साहन राशि अरवा में ₹30 तथा उसना में ₹10 प्रति कुंटल दिया जाता है इसमें भी 2 माह की बाध्यता होती है। वर्तमान में सभी खर्चों में बढ़ोतरी हो चुका है अतः इसे अरवा में ₹80 एवं उसना में ₹50 प्रोत्साहन राशि दिया जाए तथा 2 माह के अनिवार्यता को समाप्त किया जाए। मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र में वर्तमान में प्रोत्साहन राशि ₹250 प्रति क्विंटल प्रदान किया जा रहा है।
श्री जैन ने बताया कि भारतीय खाद्य निगम में चावल परिवहन 2008-2009 से लंबित है यह परिवहन मार्कफेड द्वारा दिया जाए जिससे मिलर के भुगतान में देरी न हो, चावल मिल शासन की कस्टम मिलिंग करती है अतः इसमें लगने वाले जीएसटी को शासन प्रदान करे, समिति स्तर पर धान का उचित रखरखाव हो जिससे विगत 2 वर्षों में काफी मात्रा में धान अमानक हुआ है जिसका खामियाजा राइस मिलर्स को भुगतना पड़ रहा है जिससे वांछित नुकसान से बचा जा सके, 2020-21 में धान के साथ प्रदाय प्लास्टिक बोरा शासन द्वारा वापस लिया जाए यह मिलर के किसी उपयोग में नहीं आता है।
श्री जैन ने बताया कि कस्टम मिलिंग के समय एक ही समिति से बड़ी मात्रा में डीओ काटा जाता है तथा अन्य समितियां खाली रहती हैं जिससे एक समिति में गाड़ियों की लोडिंग नहीं हो पाती और कस्टम मिलिंग में देरी होते जाती है। एक समिति में डीओ काटने पर मात्रा का प्रतिबंध होना चाहिए। कस्टम मिलिंग में धान के अनुपात में परिवर्तन, अनुबंध अवधि में वृद्धि, आदि कार्यों के लिए जिला कलेक्टर को अधिकार दिया जाए, जिससे कस्टम मिलिंग को गति प्राप्त हो। 2021-22 कस्टम मिलिंग नीति निर्धारण के लिए एसोसिएशन को बुलाया जाए और एसोसिएशन के प्रस्ताव को सकारात्मक रूप से विचार कर निर्णय लें, जिससे शासन के धान का निराकरण अति शीघ्र हो।


