कारोबार
रायपुर, 27 जून। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीडिय़ा प्रभारी संजय चौबे ने बताया कि खुदरा और थोक व्यापारियों का लघु एवं मझोले उपक्रम (एमएसएमई) का दर्जा पुन: बहाल करने की मांग की है।
श्री दोशी ने बताया कि व्यापारी सेवा उधोग का हिस्सा है व्यापारियों से एमएसएमई का दर्जा 2017 में वापस ले लिया गया था। सरकार ने जून 2017 में सूक्ष्म खुदरा और थोक व्यापारियों को एमएसएमई की श्रेणी से हटा दिया था। इससे व्यापारियों को ऊँची दर या अनौपचारिक वित्तीय श्रोतों से कर्ज लेने के लिए बाध्य होना पड़ता है। बैंकिग सूत्रों ने कहा की व्यापारियों को दिए करीब तीन लाख करोड़ रूपये के ऋण का एमएसएमई कर्ज का दर्जा मार्च के अंत तक समाप्त हो सकता है।
श्री दोशी ने आगे कहा कि बैंको के लिए प्राथमिकता क्षेत्र (पीएसएल) के लक्ष्य को पाने में समस्या आ सकती है। इस कमी को उन्हें भारतीय लघु उधोग विकास बैंक (सिडबी) या सूक्ष्म इकाई विकास एवं पुन: वित्त एजेसी ली. (मुद्रा) के पास रखना पड सकता है। रिजर्व बैंक के दिशा निर्देशों के अनुसार कृषि के अलावा एमएसएमई को दिया गया कर्ज प्राथमिकता क्षेत्र ऋण के तहत आता है। वाणिज्य बैंको को अपने कुल कर्ज का 40 प्रतिशत पीएसएल के तहत् देना होता है। हालाकिं क्षेत्रिय ग्रामीण बैंको (आरआरबी) तथा लघु वित्त बैंको (एसएफबी) के लिए प्राथमिकता क्षेत्र रियायती दरों पर दिया जाता है। इसका उद्देश्य अर्थव्यवस्था के श्रम आधारित क्षेत्रों को प्रोत्साहन देना है।


