बिलासपुर

अनुभव ज्ञान देता है, लेकिन निरंतर प्रशिक्षण उसे प्रभावी नेतृत्व में बदलेगा -चीफ जस्टिस सिन्हा
07-Oct-2025 4:14 PM
अनुभव ज्ञान देता है, लेकिन निरंतर प्रशिक्षण उसे प्रभावी नेतृत्व में बदलेगा -चीफ जस्टिस सिन्हा

छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी में नव पदोन्नत जिला न्यायाधीशों के दो सप्ताह का प्रशिक्षण

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 

बिलासपुर, 7 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी, बिलासपुर के विवेकानंद सभागार में सोमवार से नव पदोन्नत जिला न्यायाधीश (प्रवेश स्तर) 2025 के लिए दो सप्ताह का प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और राज्य न्यायिक अकादमी के मुख्य संरक्षक न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की उपस्थिति में हुआ।

मुख्य न्यायाधीश ने प्रशिक्षणार्थी न्यायाधीशों को संबोधित करते हुए कहा कि अनुभव ज्ञान प्रदान करता है, किन्तु निरंतर प्रशिक्षण उस ज्ञान को परिष्कृत कर प्रभावी नेतृत्व में परिवर्तित करता है।उन्होंने न्यायिक कार्यप्रणाली में ईमानदारी, संवेदनशीलता और संवैधानिक मूल्यों के प्रति निष्ठा को न्यायाधीश की पहचान बताया। साथ ही, न्यायिक पद पर रहते हुए विनम्रता और करुणा को जीवनभर साथ रखने की प्रेरणा दी।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि जिला न्यायालय आम नागरिक और न्याय व्यवस्था के बीच पहला संपर्क होते हैं, इसलिए जिला न्यायाधीश की भूमिका अत्यंत जिम्मेदारीपूर्ण है। यह पद सम्मान के साथ-साथ उत्तरदायित्व का प्रतीक भी है। उन्होंने प्रशिक्षुओं से कहा कि इस प्रशिक्षण को सीखने और अनुभव साझा करने की भावना से अपनाएं, क्योंकि न्यायिक शिक्षा एक निरंतर यात्रा है, जो केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं बल्कि न्याय के मूल्यों और व्यवहारिक दृष्टिकोण तक फैली है।

उन्होंने हाल के वर्षों में न्यायपालिका में आए तकनीकी बदलावों का उल्लेख करते हुए कहा कि ई-फाइलिंग, वर्चुअल सुनवाई और डिजिटल अभिलेख जैसे नवाचारों को अपनाने के साथ-साथ न्यायाधीशों को इनका उदाहरण भी बनना चाहिए, ताकि न्याय अधिक सुलभ और प्रभावी हो सके।

इस अवसर पर न्यायमूर्ति रजनी दुबे, अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी भी उपस्थित रहीं। उन्होंने प्रशिक्षण कार्यक्रम के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह पहल नव नियुक्त न्यायाधीशों को न केवल विधिक ज्ञान बल्कि न्यायिक दृष्टिकोण से भी समृद्ध करेगी।

दो सप्ताह के इस प्रशिक्षण में न्यायालय प्रबंधन, वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली, आचार संहिता, समाज के कमजोर वर्गों के प्रति संवेदनशीलता, विधिक प्रक्रियाएं और प्रौद्योगिकी के उपयोग जैसे विषय शामिल किए गए हैं। कार्यक्रम में रजिस्ट्रार जनरल और रजिस्ट्री के अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे। स्वागत उद्बोधन राज्य न्यायिक अकादमी के निदेशक द्वारा और आभार प्रदर्शन अतिरिक्त निदेशक द्वारा किया गया।


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