बिलासपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 29 जनवरी। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य के पंचायती राज अधिनियम में संशोधन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका सूरजपुर जिला पंचायत के उपाध्यक्ष नरेश राजवाड़े ने दायर की थी, जिसमें संशोधन को अवैधानिक बताया गया था।
राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में जवाब देते हुए बताया कि 3 दिसंबर 2024 को जारी अध्यादेश की जगह 23 जनवरी 2025 को नया अध्यादेश जारी किया गया है। इसे आगामी बजट सत्र में विधानसभा में पारित किया जाएगा। इस स्पष्टीकरण के आधार पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने याचिका को खारिज कर दिया।
याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि पंचायती राज अधिनियम में संशोधन करते हुए सरकार ने ओबीसी आरक्षण से संबंधित धारा 129(ड.) की उपधारा (03) को विलोपित कर दिया, जो संवैधानिक प्रक्रिया का उल्लंघन है। संविधान के अनुच्छेद 213 के अनुसार कोई भी अध्यादेश अधिकतम छह सप्ताह तक प्रभावी रह सकता है। इसे विधिवत अधिनियम में परिवर्तित करना अनिवार्य होता है, लेकिन यह प्रक्रिया पूरी नहीं की गई।
3 दिसंबर 2024 को जारी अध्यादेश को जनवरी 2024 के विधानसभा सत्र में केवल पटल पर रखा गया, लेकिन इसे पारित नहीं कराया गया। इस कारण यह अध्यादेश विधिशून्य हो गया। इसके बावजूद, इसी आधार पर 24 दिसंबर 2024 को छत्तीसगढ़ पंचायत निर्वाचन नियम (5) में संशोधन किया गया, जिसे याचिकाकर्ता ने पूरी तरह अवैधानिक करार दिया।
याचिका में मांग की गई कि अवैधानिक हो चुके संशोधन के आधार पर जारी आरक्षण रोस्टर को निरस्त किया जाए और पूर्व प्रावधानों के तहत वैध तरीके से नया रोस्टर तैयार कर पंचायत चुनाव आयोजित किए जाएं।
महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि नया अध्यादेश 23 जनवरी 2025 को जारी किया गया है और इसे बजट सत्र में पारित किया जाएगा। अदालत ने सरकार के इस तर्क को स्वीकारते हुए याचिका खारिज कर दी।


