बीजापुर
127 एकड़ जमीन कब्जा मामले में विधायक मंडावी ने की उद्योगपति पर कार्रवाई की मांग
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बीजापुर, 5 नवंबर। बीजापुर जिले के भैरमगढ़ ब्लॉक के ग्राम बैल, धरमा, मरकापाल और बड़ेपल्ली के ग्रामीणों की लगभग 120 एकड़ से अधिक निजी जमीनों पर रायपुर के उद्योगपति महेंद्र गोयनका द्वारा कब्जे का मामला संज्ञान में आने पर छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज के निर्देश पर नौ सदस्यीय जांच समिति गठित की गई। समिति के संयोजक के रूप में विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष एवं केशकाल विधायक संतराम नेताम को नियुक्त किया गया। अन्य सदस्यों में बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी, चित्रकोट के पूर्व विधायक राजमन बेंजाम, दंतेवाड़ा के पूर्व विधायक प्रत्याशी छवीन्द्र कर्मा, सुकमा के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश कवासी, जिला पंचायत सदस्य नीना रावतिया उद्दे, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष शंकर कुडियम, जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष लालू राठौर तथा जिला पंचायत सदस्य लच्छू राम मौर्य शामिल हैं।
बुधवार को यह नौ सदस्यीय जांच दल प्रभावित ग्रामों के पीडि़तों से मिलने रवाना हुआ। पुलिस ने सुरक्षा कारणों से इंद्रावती नदी पार करने की अनुमति नहीं दी। परिणामस्वरूप पीडि़त ग्रामीण स्वयं नदी पार कर भैरमगढ़ ब्लॉक के इतामपार पंचायत स्थित उस्परी घाट पहुंचे और जांच समिति के समक्ष अपनी पूरी व्यथा रखी।
जांच समिति ने उस्परी घाट पर ही भैरमगढ़ के अनुविभागीय अधिकारी को उद्योगपति महेंद्र गोयनका एवं उनकी पत्नी मीनू गोयनका पर कार्रवाई करने तथा पीडि़तों की जमीनें वापस दिलाने संबंधी ज्ञापन सौंपा। इसके बाद समिति पीडि़तों एवं ग्रामीणों के साथ भैरमगढ़ थाने पहुंची और वहां भी गोयनका दंपति पर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर जमीनें वापस दिलाने हेतु आवेदन दिया।
संयोजक संतराम नेताम ने कहा कि वे स्वयं मौके पर जाना चाहते थे, किंतु पुलिस ने सुरक्षा का हवाला देकर रोका। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार एक ओर बस्तर को नक्सल-मुक्त घोषित करती है, दूसरी ओर पीडि़तों से मिलने से रोकती है; यह सब खनिज संसाधनों की लूट और उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए है।
पूर्व विधायक राजमन बेंजाम ने कहा कि जिस रास्ते से नक्सली समर्पण कर लौटते हैं, उसी रास्ते से उद्योगपति जा रहे हैं। उन्होंने पूछा कि क्षेत्र में ऐसा क्या है जिसके लिए उद्योगपति जमीन खरीद रहे हैं।
विधायक विक्रम मंडावी ने कहा कि सरकार नक्सल-मुक्त बस्तर का दावा करती है, किंतु इंद्रावती नदी के उस पार उद्योगपति ने 127 एकड़ जमीन कैसे हथिया ली? किसने बिकवाई, किसके संरक्षण में? क्या ग्राम सभा एवं शासन से अनुमति ली गई? उन्होंने भाजपा सरकार पर उद्योगपति को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए सभी तथ्यों की जांच और जमीनें वापस दिलाने की मांग की।
इस दौरान बड़ी संख्या में ग्रामीण एवं जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।


