बलरामपुर

बीरबल ने गोबर बेचकर खरीदी बकरी तो मनबसिया ने गाय
29-May-2023 2:53 PM
बीरबल ने गोबर बेचकर खरीदी  बकरी तो मनबसिया ने गाय

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलरामपुर, 29 मई।
राज्य शासन की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना से पशुपालक किसान एवं स्व सहायता समूह की महिलाएं लाभान्वित हो रही हैं। इससे पशुपालक किसान व समूह की महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं। वहीं इस योजना के शुरू होने से किसान जैविक खेती की ओर भी अग्रसर हो रहे हैं। गोधन न्याय योजना के तहत 02 प्रति किलोग्राम की दर से गौठानों में गोबर विक्रय किया जा रहा है। इन पशुपालकों द्वारा योजना के प्रारंभ से कई क्विंटल गोबर का विक्रय किया जा चुका है जिसके एवज में पशुपालकों को अच्छी आमदनी हुुई है।

गोबरा ग्राम पंचायत के बीरबल ने बताया कि गौठानों में पशुपालकों द्वारा गोबर बेचकर अच्छी आमदनी हो रही है। उन्होंने बताया कि वे अब तक लगभग 14 हजार किलो ग्राम गोबर बेच चुके हैं जिससे उन्हें 28 हजार रूपए तक की आमदनी हुई है। गोबर बेचकर वे बकरी खरीदकर बकरी पालन करने में सक्षम हुए हैं। साथ ही उन्हें घर की मरम्मत कराने में भी इससे सहयोग प्राप्त हुआ है। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री भूपेष बघेल का धन्यवाद देते हुए कहा कि गोधन न्याय योजना के चालू होने से ग्रामीणों को आर्थिक सहायता मिली है। उन्होंने कहा कि अब ग्रामीण इससे हुई आमदनी का उपयोग बच्चों को अच्छी शिक्षा देने में कर रहे हैं।

गोबरा ग्राम की ही श्रीमती मनबसिया कहती हैं कि उन्हेें गोबर बेचकर गाय खरीदनें में इस योजना के माध्यम से काफी सहयोग मिला है। इस योजना को जनहितकारी बताते हुए उन्होंने शासन को धन्यवाद दिया। साथ ही उन्होंने बताया कि गोबर बेचकर कमाए पैसे से बच्चों की शिक्षा में काफी सहयोग हो रहा है।

बता दें कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ शासन ने जैविक खेती को बढ़ावा देने, रोजगार के नए अवसर पैदा करने, पशुपालन और पशु संरक्षण को बढ़ावा देने के साथ-साथ पशुपालकों को आर्थिक रूप से लाभान्वित करने के लिए 20 जुलाई 2020 को इसकी शुरूआत की थी। योजना के तहत सरकार किसानों और पशुपालकों से 02 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से गाय का गोबर खरीदी करती है। महिला स्व सहायता समूह के सदस्यों द्वारा गोबर को वर्मीकम्पोस्ट और अन्य उत्पादों में परिवर्तित किया जाता है, जिसे किसानों को जैविक खाद के रूप में 10 रूपए प्रति किलोग्राम में बेचा जाता है, इस योजना का एक उद्देश्य रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को भी कम करना है।
 


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