बलौदा बाजार

बाजार में मंदी, कुम्हार परेशान
29-Jun-2021 6:03 PM
बाजार में मंदी, कुम्हार परेशान

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भाटापारा 29 जून।
नगर व क्षेत्र मे अब कच्चें मकान शनैरू शनैरू विलुप्त होते जा रहे है जिसके चलते अब बांस बल्ली व खपरा की खपत व मांग बहुत कम हो गई है। नगर में वैसे तो दो दर्ज से अधिक बांस बल्ली विक्रेता व चार दर्जन के लगभग मिटटी के खपरैल बनाने वाले लोग सक्रिय है लेकिन बदलते परिवेश में उनके कारोबार को ग्रहण लग गया है जिसके कारण उनके समक्ष भी रोजी रोटी का संकट उठ खडा हो गया है. शासन की योजना के तहत पक्के आवास निर्माण लगातार शहर व ग्रामीण क्षेत्र मे होने से अब अधिकांश स्थानों पर कच्चे मकान तथा कवेलू पोश मकान नहीं के बतौर बन रहे है जिसके कारण बांस, बल्ली व खपरा की बिक्री एक चौथाई रह गई है।

 क्षेत्र में बारिश के पूर्व लोग अपने घरों व पशु आवास गृह की मरम्मत के लिये खपरा लेने टूट पडते थे लेकिन अब स्थिति यह हो गई है कि विशेष आर्डर देने पर हीं कुम्हार खपरे का निर्माण कर देते है यही स्थिति बांस बल्ली की भी है हालांकि बांस-बल्ली सर्व सुलभ है। निजी व्यवसायियों के साथ-साथ शासकीय उपभेक्ता काष्ठागार मे भी बांस बल्ली उपलब्ध है लेकिन खरीददार कम होने से यह व्यवसाय भी अंतिम सांस गिन रहा है अब ज्यादातर गांव व शहर के विभिन्न वार्डो मे पक्के मकान प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बन गये है जिससे अब कच्चे मकान कम रूप से दिखाई दे रहे है। वार्डो में अब उंगली मे गिनने लायक कच्चे मकान बने हुए हैं। कच्चे मकान की जगह पर पक्के मकान बनाने वाले शहरी व ग्रामीण नागरिकों का कहना है कि पक्के मकान बन जाने से हर साल मरम्मत पर खर्च होने वाले व्यय से वे बच गये है वहीं अब बंदर व चूहों की उत्पात से भी उन्हे मुक्ति मिल गई है। हालांकि अनेक घरों मे अब भी बंदर पहुंच जाते है लेकिन खपरैल की जगह पक्के छत हो जाने की वजह से उन्हे नुकसान नहीं होता वहीं कच्चे घरो मे जो बारिश की वजह से सीलन (सीढ़) से भी लोग जो परेशान रहते थे वे अब पक्के आवास बनने के बाद सीलन (सीढ़) की समस्या से मुक्त हो गये है।
 


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