बलौदा बाजार

आसपास के मकानों की दीवारों में दरारें, भूजल स्तर गिर रहा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 27 जून। अंचल के विभिन्न सीमेंट संयंत्रों द्वारा नियम कायदे को ताक पर रखकर संयंत्र की खदानों में अत्यधिक तीव्र क्षमता का बारूदी विस्फोट किया जा रहा है, इसके चलते इतने परिधि से लगे ग्रामों के मकानों की दीवारों पर दरारें स्पष्ट देखी जा रही है। शिकायत किए जाने पर मकानों के कमजोर होने का दावा किया जा रहा है। कुछ संयंत्रों के द्वारा किए जा रहे विस्फोटक के चलते भूमिगत जल स्तर से पानी रिस कर इन खदानों में भरने लगा है, इसका उपयोग संयंत्रों द्वारा पावर प्लांट के लिए किया जा रहा है।
धमाकों की वजह से अंचल का भूजल स्तर शीघ्रता से गिरता जा रहा है। इन पर किसी प्रकार की कार्रवाई न किए जाने के आरोप क्षेत्रवासियों द्वारा लगाए जाते रहे हैं। क्षेत्रवासियों में संयंत्रों के प्रबंधक के खिलाफ आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि अंचल के सभी प्रमुख सीमेंट संयंत्र ग्रामीण विकास, एनजीओ, पर्यावरण सुरक्षा, कारपोरेट सामाजिक दायित्व आदि के माध्यम से लोक लुभावने नारे देकर फर्जी आंकड़े प्रस्तुत कर वाहवाही लूटने में लगे हुए हैं, किंतु इन कार्यक्रमों का उपयोग अधिकांश संयंत्रों द्वारा महज अपनी खामियों को छिपाने के लिए सेफ्टीवाल्व के रूप में किया जाता है।
खदानों में ही बोर करके पानी निकाला जा रहा है
कुछ संयंत्रों द्वारा बकायदा गहरा कर छोड़ दिए गए खदानों में अनाधिकृत रूप से और अधिक गहराई से भूजल का दोहन कर संयंत्रों के पावर प्लांट व अन्य मशीनों के शीतलन व कॉलोनियों के उपयोग हेतु किया जा रहा है। संयंत्रों के द्वारा प्रतिदिन जल के दोहन ने अंचल की बड़ी आबादी को भीषण जल संकट की ओर धकेल दिया है। यदि भूजल के खतरनाक स्तर तक दोहन पर शीघ्र रोक नहीं लगाई गई तो पूरे इलाके में गंभीर जल संकट की स्थिति बन सकती है। इसके स्पष्ट संकेत दिखाई देने लगे हैं।
खुदाई में भी खेल
संयंत्रों की खामियों पर गौर करें तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आते हैं। सामान्य तौर पर संयंत्र प्रबंधक को खदानों की स्वीकृति निर्धारित की गई गहराई तक खुदाई करने की अनुमति प्रदान की जाती है, साथ ही अनिवार्य तौर पर खुदाई किए गए वृहद खदानों को भर कर समतल किया जाना अनुबंध की शर्ते हैं, परंतु इस संयंत्रों द्वारा इन नियमों के बचाने निर्धारित गहराई से कुछ 1 मीटर कम खुदाई कर उसे रिकॉर्ड में उपयोगी साबित कर उसका उपयोग लगातार किया जाता है, जो पर्यावरण एवं क्षेत्र की परिस्थिति की दृष्टि से बेहद हानिकारक है।