बलौदा बाजार

कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कसडोल, 4 जून। कसडोल ब्लॉक के वन परिक्षेत्र लवन के रेंजर द्वारा अपने ही रिश्तेदारों के नाम पर मजदूर बताकर डेढ़ लाख रुपये बैंक खाते में जमाकर भ्रष्टाचार का आरोप है, जिस पर संज्ञान लेते हुए कलेक्टर बलौदाबाजार सुनील कुमार जैन ने 31 मई को ही वन मण्डलाधिकारी बलौदाबाजार केआर बढ़ई को जांच के आदेश दिए हैं और 1 सप्ताह के भीतर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने को कहा है।
आरोप है कि बलौदा बाजार वन मंडल के अंतर्गत लवन वन परिक्षेत्र में वन परिक्षेत्र अधिकारी नंद कुमार सिन्हा ने अर्जुनी बीट में विभाग द्वारा बनाई गई नर्सरी में हुए विभिन्न कार्यों में अपने रिश्तेदारों को ही मजदूर बता कर उनके खाते में तकरीबन डेढ़ लाख रुपए की राशि डाली थी।
आरोप है कि लवन परिक्षेत्र के वन परिक्षेत्र अधिकारी नंद कुमार सिन्हा द्वारा अपने रिश्तेदारों नीता सिन्हा एवं खेलावन सिन्हा के नाम पर उनके खाते में आरटीजीएस माध्यम वन परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा भुगतान किया गया था, जो कि लवन परिक्षेत्र क्षेत्र के निवासी ही नहीं है। वह दोनों धमतरी निवासी बताए जाते हैं और बलौदाबाजार जिले के भी नहीं है, उसका नाम चढ़ाकर उसके खाते में मजदूरी की राशि आरटीजीएस के माध्यम से भुगतान की गई। यही नहीं, वन परिक्षेत्र अधिकारी नंद कुमार सिन्हा के परिवार और रिश्तेदारों के कई लोगों ने भी वन विभाग मजदूरी की है।
पूरे छत्तीसगढ़ में शायद यह पहला मामला है, जब एक रेंजर के रिश्तेदार और परिवार जन वन विभाग में मजदूरी करते हुए कागजों पर पाए गए हैं। यह कार्य अर्जुनी स्थित नर्सरी में करवाया गया है। नर्सरी का सबसे बड़ा घोटाला यह है कि यहां मनरेगा एवं कैंपा मद से कार्यों की स्वीकृति की गई है। मनरेगा के माध्यम से स्थानीय मजदूरों को भुगतान किया जाता है एवं मनरेगा द्वारा करवाए गए कार्यों की प्रगति दिखाकर कैंपा मद के पैसों की अफरा-तफरी किया जा रहा है। आरटीजीएस की गई इस कॉपी में नीता सिन्हा नाम की मजदूर रेंजर नंद कुमार सिन्हा की रिश्तेदार है।
खेलावन सिंह सिन्हा भी उसका रिश्तेदार है। जिसके नाम पर वन विभाग द्वारा उसके खाते में राशि अंतरित की गई है। 1,43,874 रुपए की राशि रिश्तेदारों के नाम पंजाब नेशनल बैंक के खाते क्रमांक 15 09 21 9102 53 91 एवं 15 0 92 19 10 24 19 6 में डाली। यह तो सिर्फ एक मामला है।
ज्ञात हो कि कुछ दिनों पूर्व वन परिक्षेत्र लवन के ग्रामीण काम ना मिलने एवं किए गए कार्य का मजदूरी भुगतान न मिलने की शिकायत को लेकर संसदीय सचिव शकुंतला साहू के पास शिकायत करने पहुंचे थे। जिस पर संज्ञान लेते हुए शकुंतला साहू ने रेंजर नंदकुमार का स्थानांतरण करने के लिए वन मंत्री को लिखा था। मजदूरों के द्वारा काम किया गया था। उनका नाम भुगतान हेतु भेजा था। किंतु नंद कुमार द्वारा उन मजदूरों के नाम में सफेदा लगाकर अपने रिश्तेदारों का नाम डालकर उनके खाते में मजदूरी की राशि स्थानांतरित कर दी। जिसके कारण जिन मजदूरों ने काम किया, वह आज भी पैसे के लिए भटक रहे हैं। उन मजदूरों द्वारा मजदूरी मांगने जाने पर रेंजर नंद कुमार सिन्हा द्वारा गाली गलौज किया जाता है और गांव से निकलवा देने की धमकी दी जाती है।