बलौदा बाजार

ऑनलाइन पढ़ाई के साइड इफेक्ट सामने आने लगे
05-Apr-2021 5:50 PM
 ऑनलाइन पढ़ाई के साइड इफेक्ट सामने आने लगे

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बलौदाबाजार, 5 अप्रैलकोरोना संक्रमण काल के दौरान बीते 1 सालों से यहां एक और बच्चों की पूरी पढ़ाई ऑनलाइन हो चुकी है। वहीं अब ऑनलाइन पढ़ाई में बच्चों के दिन में कई कई घंटे तक मोबाइल टेबलेट और कंप्यूटर के समान बैठने के साइड इफेक्ट भी सामने आने लगे हैं। बीते 1 सालों के दौरान बच्चों की आंखों की समस्याएं दुगुने से भी अधिक बढ़ गई है।

वहीं बहुत से बच्चे को अब कम उम्र में ही चश्मा लग गया है ऑनलाइन पढ़ाई के साथ ही साथ अब बच्चे मोबाइल गेम में भी अधिक समय देने लगे हैं जिसका असर उसके पूरे व्यक्तित्व पर नजर आने लगा है। बीते 1 सालों से कोरेना संक्रमण काल के दौरान लगभग पूरे साल बच्चे के स्कूल बंद रहते हैं और पढ़ाई से लेकर परीक्षा तक पूरी तरह से ऑनलाइन ही हो रहे हैं।

जानकारी के अनुसार क्लास बार बच्चे बीते 1 सालों के दौरान प्रतिदिन 2 घंटे से लेकर 6 घंटे तक मोबाइल लैपटॉप पर दे रहे हैं जिसका साइड इफेक्ट अब सामने आने लगा है बलोदा बाजार नगर में ही बीते 1 सालों के दौरान नेत्र चिकित्सक के क्लीनिक पर बच्चों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है जिसका प्रमुख कारण बच्चों का जरूरत से अधिक देर तक मोबाइल लैपटॉप टेबलेट पर आंखें गड़ाए रखें रखना है।

नगर की प्रमुख चश्मा दुकान संचालक रोहित साहू ने बताया कि 1 साल पूर्व तक उसकी दुकान में पहले मां भर में चार पांच बच्चे के नजर वाले चश्मे बनाते थे परंतु अब प्रतिमाह 15 से 20 बच्चे के नजर वाले चश्मा बना रहे हैं बच्चों की आंखों में लाली पन,  सूजन से लेकर नजर का चश्मा तक लगने लगा है बावजूद इसके बहुतेरे पालक गंभीर नहीं हैं।

जानकारी के अनुसार बीते 1 सालों के दौरान पहली से लेकर आठवीं क्लास के बच्चे औसतन 3 से अधिक घंटे और आठवीं से 12वीं क्लास तक के बच्चे 6 से 8 घंटे मोबाइल लैपटॉप पर दे रहे हैं जिसमें क्लास 8 असाइनमेंट कोचिंग प्रैक्टिकल शामिल है। कई पालकों की शिकायत है कि ऑनलाइन क्लास शुरू होने के बाद बच्चे सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक लैपटॉप के सामने ही बैठे रहते हैं इससे बच्चे को कंधे पीठ और आंख में दर्द होने लगा है आंखों में दर्द और थकान होने के साथ ही साथ खाने में मन ना लगना भी का मन समस्या हो गया है।

शासकीय चिकित्सक के सेवानिवृत्त नेत्र चिकित्सक डॉ. आर एस तिवारी ने बताया कि मोबाइल लैपटॉप का रेडिएशन काफी नुकसानदायक होता है। उम्र के साथ-साथ बच्चों की आईबॉल धीरे-धीरे बढ़ती है परंतु मोबाइल के छोटे स्क्रीन पर बच्चे के अधिक देर तक आंख गड़ा कर देखने का असर उनकी आईबॉल पर पड़ता है। बच्चों को मोबाइल के बजाय बड़े स्क्रीन यानी टेबलेट कंप्यूटर पढ़ाई करने की आदत डालें बच्चे को प्रत्येक घंटे में 15 से 20 मिनट तक ब्रेक दिया जाए बच्चे को नियमित रूप से दूध डेयरी प्रोडक्ट घर का पौष्टिक भोजन और पर्याप्त नींद भी दिया जाना चाहिए।

 इन परेशानियों को हल्के में ले रहे हैं

बच्चों में यदि कभी सिर में दर्द टीवी या लैपटॉप की स्क्रीन पास जाकर या आंखों को छोटी करके देखना आंखों में लाल पन आना आंखों को सूखे पन के कारण मसल ना आंखों के जलन होना जैसे लक्षण आदि नजर आए तो तत्काल नेत्र चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। वही बच्चों के बैठने की पोजीशन लैपटॉप या फोन लेकर ना देखे कुर्सी और टेबल का इस्तेमाल करें लैपटॉप या फोन बच्चे को आंखों के स्तर पर होना चाहिए ध्यान रखें कि कमरे में पर्याप्त रोशनी को प्रतिदिन बच्चे को फिजिकल एक्टिविटी जैसे कचरा साइकिल चलाना है या चलने दौरान वो वाले खेल खिलाए जाने चाहिए।


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